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आयुष्मान खुराना और राधिका आप्टे की फिल्म 'अंधाधुन' ने बॉक्स ऑफिस पर कमाल किया था साथ ही फिल्मों को अच्छे रिव्यू मिले थे. इस फिल्म के लिए आयुष्मान को आईफा बेस्ट एक्टर का अवॉर्ड भी मिला.
अब एक बार फिर फिल्म चर्चा में है, लता मंगेशकर ने आयुष्मान खुराना के फिल्म की तारीफ की है.
फिल्म की तारीफ करते हुए लता मंगेशकर ने कहा कि,
आयुष्मान ने लता मंगेशकर से मिली शुभकामनाओं पर तुरंत जवाब देते हुए कहा,
''अंधे होने का प्रॉब्लम तो सबको पता है, फायदे मैं बताता हूं.''
फिल्म में ये डायलॉग एक अंधे पियानो प्लेयर का है, जिसका नाम है आकाश. शुरुआत में जो किरदार हमारे सामने दिखाया जाता है, सब कुछ वैसा ही लगता है, लेकिन बाद में आपको महसूस होता है हकीकत कुछ और ही है. और यहीं से असली कहानी का मजा शुरू होता है. श्रीराम रावघन की इस फिल्म में आप निश्चित होकर नहीं बैठ सकते.
जो किरदार एक पल को अच्छा लग रहा है, वो अगले ही पल कुछ और लगने लगता है. देखते ही देखते आप खुद ब खुद अंदाजा लगाने को मजबूर हो जाएंगे कि आगे क्या होगा.
अंधाधुन में एंटिसिपेशन और टेंशन दोनों ही है, लाउड बैंकग्राउंड हैं और जबरदस्त कैमरावर्क भी.
शॉर्ट फ्रेंच फिल्म द पियानो ट्यूनर पर आधारित अंधाधुन में हर कुछ मिनटों के बाद आप ट्विस्ट देखते हैं.
फिल्म के उस सीन को ही ले लीजिए, जिसमें आयुष्मान खुराना ऐसे प्यानो बजाते हैं कि हवा में बैचेनी फैल जाती है और प्यानो पर कैमरा ऐसा फेरा गया है कि आप एक पल को सीट से ऊपर उठ जाएंगे और सोचने पर मजबूर हो जाएंगे कि अब क्या होगा. फिर अचानक सोचेंगे कि कौन मरा? कैसे? कब? क्यों?
ये सब सोच ही रहे होंगे कि आप एक सिच्युवेशन में घिर जाएंगे. जहां म्यूजिक बंद नहीं होगा और न ही एक शब्द बोला जाएगा. सबकुछ सिर्फ एक्ट के साथ सब समझ आ जाएगा. जैसे ही आगे एक्शन होता है, आप अपनी सांसें छोड़ते हैं, क्योंकि उससे पहले आपको पता ही नहीं चलता कि कितनी देर से सांस रोककर बैठे थे. अच्छी बात ये है कि फिल्म में सिर्फ ये अकेला ऐसा सीन नहीं है. ऐसे मौके कई बार आते हैं.
अंधाधुन’ में ऐसे किरदार मिलते हैं, जिन्हे आप भूल नहीं पाएंगे और इसमें श्रीराम राघवन की दुनिया की झलक दिखती है. लीड रोल में आयुष्मान ने अपने आपको पूरी तरह से कैरेक्टर में डुबो लिया है. पूरी फिल्म में उनकी पकड़ कहीं कमजोर नहीं पड़ती.
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