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बीजेपी के नए-नवेले नेता और फिल्म अभिनेता सनी देओल की फिल्म ‘ब्लैंक’ रिलीज हो गई है. लेकिन सनी देओल आजकल अपनी फिल्मों की वजह से नहीं, बल्कि राजनीति की वजह से चर्चा में है. जब से उन्होंने बीजेपी ज्वाइन किया है वो लगातार सुर्खियों में हैं, लेकिन इसी बीच उनकी फिल्म रिलीज हो गई, जिसकी चर्चा नहीं के बराबर है. सनी देओल भी फिल्म के प्रमोशन में ज्यादा नजर नहीं आए, बल्कि वो तो आजकल गुरदासपुर की गलियों में ज्यादा नजर आते हैं. क्या सनी देओल अब फिल्मी करियर छोड़कर सियासी करियर पर ज्यादा जोर दे रहे हैं?
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ब्लैंक में सनी देओल एक बार फिर देशभक्ति के रंग में डूबे नजर आए, लेकिन लोगों को एटीएस ऑफिसर के रूप में सनी देओल कुछ खास पसंद नहीं आए.
2018 में रिलीज हुई सनी देओल की फिल्म ‘मोहल्ला अस्सी’ और ‘भैयाजी सुपरहिट’ सुपर फ्लॉप हुई थी. सनी ने अपने ढाई किलो के हाथ से अपनी ही दोनों फिल्मों को बॉक्स ऑफिस पर ढेर कर दिया था. 'भैयाजी सुपरहिट’ से सनी देओल को काफी उम्मीदें थीं. सनी इस फिल्म में डबल रोल में भी नजर आए, साथ ही उनकी गदर वाली हीरोइन अमीषा पटेल भी थीं, लेकिन लोगों ने इस फिल्म को बुरी तरह नकार दिया.
वहीं दूसरी फिल्म ‘मोहल्ला अस्सी’ का तो हाल और भी बुरा था. इस फिल्म ने तो बॉक्स ऑफिस पर पानी तक नहीं मांगा. डॉ. चंद्रप्रकाश द्विवेदी के निर्देशन में बनी 'मोहल्ला अस्सी' रिलीज से पहले ही अपने डायलॉग्स की वजह से विवादों में रही. बड़ी मुश्किल से ये फिल्म रिलीज हुई, फिल्म में साक्षी तंवर भी मुख्य किरदार में थीं, लेकिन दर्शकों को ये फिल्म कुछ खास पसंद नहीं आई. इस फिल्म को बड़ी मुश्किल से 25 लाख की ओपनिंग मिली थी.
वहीं 2018 में ही रिलीज हुई 'यमला पगला फिर से' ने भी निराश किया. सनी देओल को ‘घायल वंस अगेन’ से काफी उम्मीदें थी. ये फिल्म उनकी सुपरहिट फिल्म ‘घायल’ की सीक्वल थी, लेकिन ‘घायल वंस अगेन’ ने सनी को ऐसा घायल किया कि ये फिल्म अपनी लागत तक नहीं निकाल पाई. अब सनी देओल की ये फिल्म ‘ब्लैंक’ क्या कमाल करेगी, ये तो पता नहीं, लेकिन गुरदासपुर की जीत या हार जरूर सनी देओल का सियासी सफर तय करेंगी.
सनी देओल के राजनीति में आने की चर्चा तो महीनों से चल रही थी और 23 अप्रैल को बीजेपी ने उन्हें कमल का फूल थमा ही दिया और साथ में मिला गुरदासपुर का टिकट. वही गुरदासपुर जहां से विनोद खन्ना 4 बार सांसद बने थे. 2017 में विनोद खन्ना के निधन के बाद ये सीट खाली हो गई थी और उपचुनाव में कांग्रेस ने ये सीट बीजेपी से छीन ली. अब सनी देओल के कंधे पर बहुत बड़ी जिम्मेदारी है, बीजेपी की इस सीट को वापस पाने की.
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सनी देओल का मुकाबला कांग्रेस के उम्मीदवार सुनील जाखड़ से है. जिन्होंने उपचुनाव में ये सीट जीती थी. सनी देओल के सामने कई चुनौतियां हैं, जिसमें सबसे बड़ी चुनौती है सनी का बाहरी होना. बीजेपी चुनाव में बाहरी लोगों को तवज्जो दे रही है और स्थानीय नेताओं को नजरंदाज कर रही है. सनी देओल को बाहरी होने के टैग से ना सिर्फ वोटरों, बल्कि बीजेपी के अधिकारियों की बेरुखी का सामना करना पड़ेगा.
गुरदासपुर पंजाब के चुनिंदा लोकसभा सीटों में एक है, जो सिख बहुल नहीं है. इस सीट पर करीब 47 फीसदी हिंदू, 44 फीसदी सिख और 8 फीसदी से कुछ कम ईसाई हैं. सनी देओल के पिता धर्मेंद्र लुधियाना के जाट सिख हैं और कांग्रेस के सुनील जाखड़ अबोहर के पास पांजकोसी के जाट हिंदू हैं. आम आदमी पार्टी ने पीटर मसीह के रूप में एक ईसाई को अपना उम्मीदवार बनाया है. बीजेपी के पक्ष में एक मजबूत पहलू उपचुनाव में हिंदू बहुल क्षेत्रों में वोट शेयर में बढ़ोत्तरी के रूप में है, जो उसी साल हुए विधानसभा चुनाव में कम थे.
अगर सनी ये सीट जीत जाते हैं, तो जाहिर है उनके सियासी सफर का आगाज जीत के साथ शुरू होगा, लेकिन अगर ये सीट हारते हैं, तो क्या वो फिल्मों में वापसी करेंगे?
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