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महाराष्ट्र के पूर्व डीजीपी और मुंबई पुलिस के पूर्व कमिश्नरों समेत आठ पूर्व पुलिस अधिकारियों ने सुशांत सिंह राजपूत मौत मामले में 'मीडिया ट्रायल' पर रोक लगाने के लिए बॉम्बे हाईकोर्ट में पीआईएल दाखिल की है. अधिकारियों का कहना है कि चैनलों की पक्षपातपूर्ण रिपोर्टिंग से जनता के मन में मुंबई पुलिस की गलत छवि बन रही है.
PIL कहा गया है कि टीवी चैनलों का एक वर्ग पक्षपातपूर्ण रिपोर्टिंग और झूठे प्रचार के जरिए केंद्रीय एजेंसियों द्वारा की जा रही जांच को प्रभावित करने की कोशिश कर रहा है. इसने केस के फैक्ट्स और मुंबई पुलिस और राज्य की दूसरी सेवाओं को लेकर आम जनता के मन में संदेह पैदा कर दिया है.
याचिका में कुछ टीवी चैनलों के एंकरों पर मुंबई पुलिस के कमिश्नर, जोन के डीसीपी और दूसरे अफसरों के खिलाफ कैंपेन चलाने का भी आरोप लगाया गया है.
दोषी साबित होने तक निर्दोष होने के अधिकार पर जोर देते हुए, याचिका में कहा गया है कि मीडिया ने अपना ट्रायल करते हुए इसका उल्लंघन किया है. पूर्व पुलिस अधिकारियों ने कहा कि ये 'गैरजिम्मेदाराना कवरेज' जनता के सामने मुंबई पुलिस की छवि को प्रभावित कर रही है.
अधिकारियों ने केंद्र सरकार, प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया, न्यूज ब्रॉडकास्टर्स एसोसिएशन, न्यूज ब्रॉडकास्टिंग स्टैंडर्ड्स अथॉरिटी और राज्य सरकार से मीडिया संगठनों को किसी भी तरह की झूठी, अपमानजनक और निंदनीय टिप्पणियों, या सोशल मीडिया पोस्ट करने से बचने के लिए दिशानिर्देश जारी करने को कहा है.
बता दें कि 14 जून को सुशांत सिंह राजपूत की खुदकुशी से मौत हो गई थी. इसके करीब एक महीने बाद उनके पिता ने सुशांत की गर्लफ्रेंड रिया चक्रवर्ती के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई थी. मुंबई पुलिस की जांच से नाखुश सुशांत के पिता ने पटना में ये एफआईआर दर्ज कराई थी. बिहार पुलिस की जांच जारी थी, लेकिन परिवार की मांग और बिहार सरकार की सिफारिश के बाद इस केस को सीबीआई को सौंप दिया गया. सुशांत सिंह राजपूत डेथ केस का सीबीआई, ईडी और नार्कोटिक्स टीम अलग-अलग एंगल से जांच कर रही है.
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