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उत्तर प्रदेश के वाराणसी में कोविड से रिकवर हो रहे एक्टर विनीत कुमार सिंह ने हाल ही में दवाइयों की कमी को लेकर प्रशासन पर गुस्सा जाहिर किया था. कुछ दिनों पहले विनीत ने ट्विटर पर लिखा था कि बाजार में FabiFlu दवा नहीं मिल रही है और निजी लैब कोविड टेस्ट करने में पांच दिनों से असमर्थ हैं. सरकार और प्रशासन पर गुस्सा जाहिर करते हुए विनीत ने लिखा था, “बीमार को क्या दूं? आपके वादे या आपके अपार भीड़ वाली रैली के वीडियो? जो आप लोग लगातार पोस्ट कर रहे हैं? धिक्कार है.” 42 साल के विनीत खुद सर्टिफाइड आर्युवेदिक डॉक्टर हैं.
अपनी कोविड रिकवरी और वाराणसी में दवाइयों की कमी को लेकर विनीत ने क्विंट से बात की.
आप में बीमारी के लक्षण कब आने शुरू हुए?
विनीत कुमार सिंह: मैं उत्तर प्रदेश के प्रतापगढ़ में फिल्म ‘सिया’ की शूटिंग कर रहा था. हमने शेड्यूल खत्म किया और मैं खुश था कि अब घर जा पाउंगा. मैं पिछले डेढ़ सालों से एहतियात के तौर पर घर नहीं गया था, क्योंकि मेरा परिवार बड़ा है और उसमें हर उम्र के लोग हैं. इस बार मुझे लगा कि हमने शूटिंग में सभी सावधानी बरती है तो घर जाना सुरक्षित रहेगा. हालांकि, आखिर के 4-5 दिन हमने पब्लिक स्पेस में शूटिंग की. प्रतापगढ़ से बनारस का रास्ता 5 घंटे की ड्राइव का है. सफर के 20-30 मिनट में ही मुझे ठीक नहीं लगने लगा, मुझे लगा ये खाने की वजह से हुआ है क्योंकि हम बाहर शूटिंग कर रहे थे. मैं एक्टर हूं, तो शॉट से पहले मास्क उतारना पड़ता है, लेकिन मैं वापस पहनूं, इससे पहले ही लोग सेल्फी खिंचवाने आ जाते हैं. वो खुद मास्क नहीं पहनते और मुझे भी नहीं पहनने देते, क्योंकि फिर सेल्फी का मतलब क्या? है ना. लेकिन मैं कहता हूं कि अगर उन्हें सेल्फी चाहिए तो मास्क पहनना होगा. मैं घर गया और अगले दो दिनों तक एकदम ठीक था, तो मुझे लगा कि गर्मी की वजह से हुआ होगा. दो दिन बाद मुझे बुखार आया, जैसे मलेरिया में आता है. मैंने मलेरिया के लिए टेस्ट करवाया, जो कि नेगेटिव आया. अगले दो दिन मैं फिर ठीक था, लेकिन उसके बाद तीसरे दिन फिर बुखार आ गया. मैंने फिर अपने सभी टेस्ट करवाए, कोविड छोड़कर सभी की रिपोर्ट नेगेटिव आई. मैंने रिपोर्ट आने से पहले ही अपने पेरेंट्स को दूसरी जगह भेज दिया था, लेकिन मेरी बहन पास में ही थी, इसलिए उसे भी संक्रमण हो गया. उसके कुछ समय में मेरी मासी में भी लक्षण दिखने लगे, तब तक दवाइयां शुरू हो चुकी थीं.
दवाइयों को लेकर आपको क्या परेशानी झेलनी पड़ी?
विनीत कुमार सिंह: मैं जो दवाई ले रहा था - FabiFlu - वो शुरुआती दिनों में आसानी से मिल गई, लेकिन इसके बाद ये मिलने में मुश्किल होने लगी. मैं एक डॉक्टर हूं, मेरे दोस्त डॉक्टर्स हैं, और मेरा दोस्त मेरा इलाज कर रहा था. उसने शुरुआत में मुझे दवाई ला कर दी. मैंने देखा कि मेरे दोस्तों में सभी के घर में 4-5 मरीज हैं. और सभी के सामने दवाई नहीं मिलने की समस्या थी. जब मैंने एक डॉक्टर दोस्त से पूछा, तो उसने कहा, “विनीत, हम सभी के सामने एक ही मुश्किल है. इसलिए अगर तुम मैनेज कर सकते हो, तो प्लीज कर लो.” आप सोच सकते हैं कि कितनी मुश्किल हालात होंगे, जब परिवार वालों के लिए रातभर की भी दवाई नहीं है और आपको नहीं मालूम कि कहां से लेकर आएं.
पंकज त्रिपाठी के अलावा किन-किन लोगों ने आपकी मदद की?
विनीत कुमार सिंह: जब मैंने ट्वीट किया, तो पंकज त्रिपाठी, मनोज बाजपेयी और कई दूसरे लोगों ने मुझसे संपर्क किया. पंकज जी ने तुरंत मुझे फोन किया और पूरा मामला जाना. जब मैंने उन्हें बताया, तो उन्होंने कॉल कर कहा कि उन्होंने दवाई अरेंज कर दी है. मैंने देखा कि मेरे आसपास सभी घरों में मरीज थे, और सभी एक ही मुश्किल से गुजर रहे थे. इसलिए मुझे लगा कि मुझे कुछ करना होगा. मैं एक एक्टर हूं, मैं दूसरे मामलों में नहीं पड़ता, लेकिन इस बार हालात अलग थे. जो लोग मुझसे संपर्क कर रहे हैं, मैं लगातार उनकी मदद करने की कोशिश कर रहा हूं. अब हमने एक तरह की टीम बना ली है, लेकिन ऐसे भी मामले हैं जहां हम मरीज को खो देते हैं और वो देखकर दर्द होता है. मैं इस कारण सो नहीं पाता. पिछले 7 दिनों में, 4-5 दिन ऐसे रहे हैं जहां मैं केवल 3-4 घंटे ही सो पाया हूं.
पंकज त्रिपाठी के दवाई भिजवाने के बाद विनीत ने उनका शुक्रिया अदा करते हुए ट्वीट किया था. उन्होंने लिखा, “मेरे किरदार को सुल्तान ने वासेपुर (फिल्म गैंग्स ऑफ वासेपुर) में गोली मारी थी, लेकिन असल जीवन में गोली(दवा) भिजवायी है.”
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