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137 विजेताओं को गुरुवार को 65वें राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार समारोह में सम्मानित किया गया. लेकिन एंटरटेनमेंट इंडस्ट्री के कुछ लोग इससे नाराज दिखे.
दरअसल राष्ट्रपति ने सिर्फ 11 कलाकारों का ही अभिनंदन किया, बाकियों को सूचना और प्रसारण मंत्री स्मृति ईरानी ने सम्मानित किया. इस पर पुरस्कार लेने आईं सिंगर साशा तिरुपति ने कहा, ''हम राष्ट्रपति के हाथों पुरस्कार लेने आए थे, न कि किसी सरकारी अधिकारी से.''
साशा ने बातचीत में कहा, “पुरस्कार मिल रहा है, लेकिन राष्ट्रपति से नहीं. सिर्फ 11 लोगों को ही राष्ट्रपति के हाथों सम्मानित किया जाएगा. अब बहुत ज्यादा अपमानित महसूस कर रही हूं. इसका पूरा रोमांच ही चला गया है. मैं बहुत एक्साइटेड थी. मेरे पिता वैंकूवर से आने वाले थे. शुक्र है कि वे नहीं आए. अगर वे आ जाते तो यह वाकई शर्म की बात होती, क्योंकि वह इतना लंबा सफर तय करके मुझे राष्ट्रपति के हाथों पुरस्कार मिलता देखना चाहते थे. 64 साल से राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार राष्ट्रपति दे रहे थे. जब आप राष्ट्रीय पुरस्कार की बात करते हैं, तो आंखों के सामने अपने आप से ही राष्ट्रपति के हाथों पुरस्कार मिलने की तस्वीर घूम जाती है.”
वहीं, इस बारे में ऑस्कर विजेता साउंड आर्टिस्ट रेसुल पुकुट्टी ने ट्वीट कर कहा, "अगर भारत सरकार हमारे सम्मान में अपना तीन घंटे का समय भी नहीं दे सकती, तो उन्हें हमें राष्ट्रीय पुरस्कार देने की जहमत नहीं उठानी चाहिए. हमारे 50 फीसदी से ज्यादा पसीने की कमाई आप मनोरंजन कर के रूप में ले लेते हैं. हमारी जो प्रतिष्ठा है, कम से कम उसका तो सम्मान कीजिए."
पुकुट्टी ने पिछले महीने पुरस्कार समिति के सर्वश्रेष्ठ ऑडियोग्राफी के पुरस्कार के निर्णय पर भी सवाल उठाए थे और अपनी नाराजगी जताई थी. ये पुरस्कार 'विलेज रॉकस्टार' के लिए मल्लिका दास (लोकेशन साउंड रिकॉर्डिस्ट) और 'वॉकिंग विद द विंड' के लिए सनल जॉर्ज (साउंड डिजाइनर) और जस्टिन ए जोस (साउंड री-रिकॉर्डिग) को दिया गया था.
(इनपुट IANS से)
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