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आदित्य राज कपूर अपनी मां को याद करते हुए कहते हैं. तब आदित्य महज 9 साल के थे, जब स्मॉल पॉक्स की वजह से 34 साल की गीता बाली की मृत्यु हो गई. एक इंटरव्यू में आदित्य उन्हें एक प्यार करने वाली मां, साहसी और जिंदादिल महिला की तरह याद करते हैं.
गीता बाली का जन्म अमृतसर में हुआ. उनके बचपन का नाम हरकीर्तन कौर था. उन्हें शास्त्रीय नृत्य, घुड़सवारी और गटका (मार्शल आर्ट्स का एक प्रकार) का प्रशिक्षण मिला.
बाली अपने समय की सबसे दिलचस्प अदाकाराओं में से एक थीं. कम उम्र में ही उन्होंने फिल्मों में करियर बना लिया था. गीता उस समय की अकेली कपूर महिला थीं, जिन्होंने विवाह के बाद भी फिल्मों में काम जारी रखा.
12 साल की उम्र में फिल्म ‘द कॉबलर’ से गीता बाली ने अपना करियर शुरू किया था. बदनामी (1946) से गीता ने एक नायिका के तौर पर बॉलीवुड में शुरुआत की और 50 के दशक में वे एक स्थापित अभिनेत्री बन चुकी थीं.
राज कपूर के साथ ‘बावरे नैन’ (1950), देव आनंद के साथ ‘बाजी’ (1951) और ‘जाल’ (1952), भगवान दादा के साथ ‘अलबेला’ (1951) और गुरुदत्त के साथ ‘बाज’ (1953) उनकी कुछ खास फिल्में थीं, जिन्होंने उन्हें लोकप्रियता के शीर्ष पर पहुंचा दिया.
शम्मी कपूर और गीता बाली की प्रेम कहानी भी काफी फिल्मी थी. वरिष्ठ अभिनेता उन्हें बड़े प्यार से याद करते हैं और रानीखेत में हुई गीता से अपनी पहली मुलाकात के बारे में बताते हैं. इसी के बाद उन्हें गीता से प्यार हो गया था.
जॉनी ने उन्हें बताया कि वे मंदिर में जाकर शादी कर सकते हैं और उन्होंने वैसा ही किया. दोनों बाणगंगा के मंदिर जा पहुंचे. जब वे पहुंचे, तो बारिश हो रही थी और रात हो चुकी थी. मंदिर के पुजारी को जगाया, तो उसने कहा कि अभी तो भगवान सो गए हैं, अगर वे सुबह चार बजे आएंगे, तो उनकी शादी करा दी जाएगी. वे दोनों माटुंगा वापस गए और सुबह होने का इंतजार किया.
सुबह चार बजे तक वे वापस मंदिर तक पहुंच चुके थे. कुछ ही देर में उन्होंने शादी भी कर ली.
शम्मी गीता को अपने दादा के पास लेकर गए और उनका आशीर्वाद लिया. 24 अगस्त 1955 के उस दिन को याद करते हुए शम्मी कहते हैं कि वो उनकी जिंदगी का सबसे खूबसूरत दिन था, जिसे वे कभी भूल नहीं सकते.
एक और अनप्लग्ड वीडियो में शम्मी गीता के एक दिल छू लेने वाले तोहफे के बारे में बताते हैं, जो उन्होंने शम्मी की पहली बड़ी हिट फिल्म ‘तुम सा नहीं देखा’ की रिलीज के बाद दिया था.
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