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बहुत सारी फिल्में हिटलर और उसके काम के प्रचार-प्रसार के लिए बनाने वाली जर्मन सिने-निर्देशक लेनी रिफेंस्थाल (Leni Riefenstahl) का काम विवादास्पद रहा. उसका पूरा नाम हेलेन बेर्टा अमाली रिफेंस्थाल था और उसका जन्म 22 अगस्त, 1902 में बर्लिन में बेर्था और अल्फ्रेंड रिफेंस्थाल के घर हुआ था. 1932 में उसने पहाड़ों की यात्रा की रहस्यमयी, रोमांटिक गाथा पर ‘द ब्लू लाइट’ बनाई. इसमें लेनी ने इटली की आदर्शवादी लड़की युंटा की भूमिका निभाई थी. युंटा कठिन चढ़ाई के बाद उस जादूयी चोटी पर पहुंचती है, जहां क्रिस्टल से चमकीली नीली रौशनी निकलती है.
मिथक के अनुसार, उस चोटी पर जाने वाला मृत्यु को प्राप्त होता है. मगर युंटा वहां जाकर रौशनी के मूल को देखती है. हिटलर ने सत्ता में आने पर लेनी को 1933 में न्यूरेम्बर्ग में होने वाली नाजी पार्टी की रैली को कैमराबद्ध करने को कहा. फिल्म ‘विक्ट्री ऑफ फेथ’ आज उपलब्ध नहीं है. पर 1934 की रैली फिल्म ‘ट्रैयम्फ ऑफ द विल’ उपलब्ध है.
लेनी ने 1935 में ‘डे ऑफ फ्रीडम: आवर आर्म्ड फोर्सेस’ लघु फिल्म बनाई. 1936 ओलंपिक खेलों पर उसने दो भाग में ‘ओलंपिया’ (पहले भाग ‘फेस्टीवल ऑफ नेशन्स’, दूसरा भाग ‘फेस्टीवल ऑफ ब्यूटी’ नाम से) बनाई, 1938 में इनका प्रदर्शन हुआ. दूसरा भाग अपनी कलात्मकता के लिए सराहा गया.
अट्ठारहवीं सदी के स्पैनिश ऑपेरा के आधार पर उसने ‘लोलैंड’ बनाई जिसे 1944 में रोक दिया गया. इसी समय उसके पिता और भाई की मृत्यु हुई. खुद भी बीमार पड़ गई, उसने जर्मन आर्मी के मेजर पीटर जेकब से शादी की. पर उसे हिटलर की निगरानी में रख दिया गया. बाद में ‘हिटलर्स फिल्म गॉडेस’ के नाम से जानी जाने वाली लेनी रिफेंस्थाल को जेल में डाल दिया गया, फिर दोषमुक्त कर छोड़ दिया गया.
उसने ‘लोलैंड’ 1954 में पूरी की. लेनी दोबारा फिल्म जगत में अपने पैर न जमा सकी, फिल्म बिरादरी ने उसका बॉयकॉट कर दिया. वह अपने काम में लगी रही, अफ्रीका गई और गुलाम व्यापार पर एक रंगीन डॉक्यूमेंट्री ‘ब्लैक कार्गो’ बनाई, पंद्रह साल स्पेन में रह कर तीन स्क्रीनप्ले लिखें और अपनी फिल्म ‘ओलम्पिया’ ले कर जर्मनी का दौरा किया. उसने ‘द लास्ट ऑफ द न्यूबा’ नाम से ढ़ेरों फोटोग्राफ्स प्रकाशित किए.
लंदन टाइम्स ने 1972 में म्यूनिख में होने वाले ओलंपिक खेलों को कवर करने के लिए उसे सौंपा. वह कोलोराडो में फिल्म समारोह में गई, उसे वहां से नाजी विरोधियों ने उठा लिया. ‘पीपुल ऑफ काऊ’ नाम से 1976 में उसने फोटोग्राफ्स का एक और भाग प्रकाशित किया. स्कूबा डाइविंग सीख कर उसने पानी के भीतर के कोरल जीवन पर फोटोग्राफी की और ‘कोरल गार्डेन’ नाम से प्रकाशित किया. जर्मन निर्देशक रे म्यूलर ने उसकी जीवनी पर एक फिल्म ‘द वंडरफुल, हॉरीबल लाइफ ऑफ लेनी रिफेंस्थाल’ बनाई. उसी साल उसकी आत्मकथा ‘लेनी रिफेंस्थाल: ए बायोग्राफी’ प्रकाशित हुई.
वह 100 साल की हुई तो उसने गहरे समुद्र में गोताखोरी पर ‘अंडरवाटर इंप्रेशंस’ प्रदर्शित की. 101 वर्ष की उम्र में इस जुझारू और कर्मठ फिल्म निर्देशक का सोते हुए 8 सितम्बर, 2003 को निधन हो गया.
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