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नौजवानों के नए-नए प्यार में मासूमियत तो होती है, लेकिन एक ऐसा बागीपना भी होता है, जो अपने प्यार के लिए दुनिया की परवाह नहीं करता. नागराज मंजुले ने सुपरहिट मराठी फिल्म 'सैराट' में बहुत ही बखूबी से सबको चौंका देने वाली स्टारकास्ट और जातिवाद की सच्चाई से सबका दिल जीत लिया था.
'धड़क' मराठी फिल्म 'सैराट' का ही ऑफिशियल रीमेक है, इसलिए दोनों की तुलना तो होनी ही है. अगर आपने 'सैराट' देखी है तो 'धड़क' आपको असली फिल्म के आसपास भी नहीं लगेगी. खासतौर पर आखिरी के ट्रैजिक सीन में. ये 'सैराट' जितनी लंबी फिल्म नहीं है, और शायद ऐसा जानबूझकर नहीं किया गया है.
जाह्नवी गानों में और डांस करती हुईं तो अच्छी लग रही हैं, लेकिन इमोशन दिखाने के मामले में वर्क इन प्रोग्रेस हैं. दूसरी तरफ ईशान खट्टर काफी एक्साइटेड यंग लवर दिखे हैं. पार्थवी के पिता का रोल आशुतोष राणा ने किया है, जो एक क्रूर राजनेता दिखाए गए हैं. जो अपनी ताकत का इस्तेमात करके मधु को जेल भिजवा देता है और अपनी बेटी पार्थवी को घर में कैद कर देता है.
फिल्म रोमांस और इमोशन का मसाला है, लेकिन बार बार रोने धोने के बाद भी जाह्नवी के आंखों के मस्कारे पर आंच नहीं आती. करण जौहर की बाकी फिल्मों की तरह यहां खूबसूरती पर काफी ध्यान दिया है फिर भी फिल्म लोगों के दिलों को नहीं छूती.
फिल्म का प्लॉट तो सैराट से ही लिया गया है, लेकिन फिल्म में छोटे मोटे बदलाव किए गए हैं, जैसे पार्थवी और मधु घर से भागने के बाद हैदराबाद की जगह कोलकाता में रहते हैं.
जाह्नवी और ईशान ने 'धड़क' से बॉलीवुड में कदम रख लिया है. लेकिन आप इस फिल्म को तभी एंजॉय कर पाएंगे अगर आपने सैराट नहीं देखी है.
5 में से 2.5 क्विंट!
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