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प्यार को खूबसूरती से दिखाती है ‘एक लड़की को देखा तो ऐसा लगा’

‘एक लड़की को देखा तो ऐसा लगा’, ‘दोस्ताना’ की असंवेदनशीलता और होमोफोबिया से काफी दूर है

स्तुति घोष
मूवी रिव्यू
Updated:
‘एक लड़की को देखा तो ऐसा लगा’, ‘दोस्ताना’ की असंवेदनशीलता और होमोफोबिया से काफी दूर है
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‘एक लड़की को देखा तो ऐसा लगा’, ‘दोस्ताना’ की असंवेदनशीलता और होमोफोबिया से काफी दूर है
(फोटो: सोनम कपूर इंस्टाग्राम)

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पंजाब और उसके पिंड. शादी, उसमें नाच-गाना, ब्‍याह ते बाराती और एक शादी लायक 'कुड़ी' के लिए एक अच्छा 'लड़का'. लेकिन स्क्रीनराइटर गजल धारीवाल और राइटर-डायरेक्टर शेली धर चोपड़ा हमें बिना ज्यादा शोर-शराबे के उस रास्ते ले गईं, जिसे अभी तक ज्यादा एक्सप्लोर नहीं किया गया है!

ये फिल्म ‘दोस्ताना’ की असंवेदनशीलता और होमोफोबिया से काफी दूर है. ‘एक लड़की को देखा तो ऐसा लगा’ एक बॉलीवुड फिल्म है, जो अपनी सभी जटिलताओं में भी प्यार की बात करती है और समाज को उससे बांधती है. भले फिर ये एक नामुमकिन सपना हो या फिर दोबारा प्यार की तलाश या फिर बिना किसी जजमेंट के समझना.
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फिल्म में सोनम कपूर ने मोगा, पंजाब की रहने वाली स्वीटी चौधरी का रोल निभाया है. पहली बार स्वीटी जब साहिल (राजकुमार राव) को अपनी सेक्सुएलिटी के बारे में बताती है, तो उसका रिएक्शन एकदम वैसा होता है, जैसा फिल्म देख रही ऑडियंस का.

जब स्वीटी का भाई गुस्से में होता है या फिर जब उसके पिता को बेटी की सच्चाई के बारे में पता चलता है, तो वो जबरदस्ती मेलोड्रमैटिक नहीं होते.

जब छत्रो जी, तलाकशुदा जूही चावला बताती हैं कि कैसे उन्होंने अपने बच्चों को अपनी मर्जी से शादी करने या फिर बिना सही कारणों से शादी नहीं करने की सीख दी है. इस सच्चाई को इतने सिंपल तरीके से बताया गया है. हमें ये समझने में इतना वक्त क्यों लग गया?

प्यार बहुत सिंपल है और ‘एक लड़की को देखा तो ऐसा लगा’ इसे कोई बड़ा मुद्दा बनाना भी नहीं चाहती. फिल्म की सबसे खूबसूरत बात यही है कि इसे इसी तरीके से पेश किया गया है - जैसा प्यार होता है - नेचुरल अट्रैक्शन, साफ और कच्चा.

जब वो 'बीमारी', 'गलती', 'गुनाह' या 'खानदान की इज्जत' जैसी धारणाओं को संबोधित करते हैं, यह उतना ही प्रासंगिक है जितना कि दिलचस्प!

अगर वो हमें लव बर्ड्स के साथ ज्यादा वक्त देते और ये बताते कि कैसे वो एक-दूसरे से अट्रैक्ट हुए तो फिल्म और पूरी लगती, लेकिन लगता है मेकर्स कुछ और दिखाना चाहते थे.

फिल्म में सभी ने शानदार एक्टिंग की है. राजकुमार राव फिल्म में परफेक्ट हैं. ये कोई चौंकाने वाली बात है भी नहीं, लेकिन जिस तरह से उन्होंने लाइमलाइट में आने की कोशिश नहीं की, ये दिखाता है कि वो कितने सिक्योर एक्टर हैं. अपनी बेटी की सच्चाई से डील करते पिता के रूप में अनिल कपूर शानदार हैं.

सोनम कपूर आहूजा ने उस लड़की का किरदार अच्छे से निभाया है जो न अपने परिवार को दुख पहुंचाना चाहती है और न ही उन्हें सरेंडर करना चाहती है.

जूही चावला, सीमा पाहवा, ब्रिजेंद्र काला, अभिषेक दुहान और मधुमालती कपूर जब भी स्क्रीन पर आते हैं, छा जाते हैं.

'एक लड़की को देखा तो ऐसा लगा' प्यार के बारे में एक सिंपल स्टोरी है. फिल्म खत्म होने के बाद भी ये आपके साथ रहेगी.

मैं इसे 5 में से 3.5 क्विंट दूंगी!

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Published: 01 Feb 2019,05:33 PM IST

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