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REVIEW:फॉरवर्ड जोक्स और महिलाओं के प्रति ‘कचरे’ से फुल ‘हाउसफुल 4’

मैं बिना किसी उम्मीद के फिल्म देखने गई और फिर भी निराश होकर लौटी

स्तुति घोष
मूवी रिव्यू
Updated:
मैं बिना किसी उम्मीद के फिल्म देखने गई और फिर भी निराश होकर लौटी
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मैं बिना किसी उम्मीद के फिल्म देखने गई और फिर भी निराश होकर लौटी
(फोटो: क्विंट हिंदी)

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हाउसफुल फ्रेंचाइजी, जिसका जन्म 2010 में हुआ था, वो अपने ह्यूमर को लेकर एक जैसी रही है. अगर आपको बचकाने और WhatsApp फॉरवर्ड टाइप जोक्स, सेक्सिज्म, महिलाओं को किसी वस्तु की तरह पेश करना और अजीब प्लॉट लाइनें पसंद हैं, तो 'हाउसफुल 4' में ऐसी चीजें कम ही हैं जो आपका नजरिया बदल सकती है.

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मैं बिना किसी उम्मीद के फिल्म देखने गई और फिर भी निराश होकर लौटी.

अक्षय, रितेश, रंजीत, चंकी पांडे और कुछ नए चेहरों वाली कृति सैनन, कृति खरबंदा, पूजा हेगड़े, बॉबी देओल और राणा दग्गुबती की 'हाउसफुल 4' आखिरकार हमारे सामने है. 1419 में सेट 'पुनर्जन्म कॉमेडी' में 3 कपल हैं, जो किसी कारण साथ नहीं हो पाते. गलत को सही करने के लिए वो 600 साल बाद फिर जन्म लेते हैं.

इन लड़कों ने जिन्हें अपनी बीवी चुना है, वो उनकी भाभी निकल जाती हैं! पाप! रंजीत तीन लड़कियों के साथ फिर फ्रेम में आते हैं या जैसा वो कहता है 'बेबी'. बेबी 1, 2, और 3. ये उस तरह की फिल्म है जहां महिलाओं को पुकारने के लिए बस नंबर दे दिए जाते हैं. उन्हें नाम देना जैसे उन्हें ज्यादा इज्जत देने जैसा है.

एक जैसी लीड हीरोइनें, कई बार एक जैसे कपड़े भी पहनती हैं. ऐसी जगह जहां पूरा नैरेटिव और क्रेजीनेस लड़कों के एंगल से बताई जा रही हो, वहां इन्हें आसानी से नजरअंदाज किया जा सकता है.

इस तरह के जोक्स ‘क्या तुम्हारा पुनर्जन्म हुआ है? हां मेरा पूना में जन्म हुआ है!’ और डायलॉग जैसे ‘मैंने स्लो इसलिए मारा क्योंकि आज मेरा फास्ट है.

चौथी बार भी हाउसफुल फ्रेंचाइजी मेरी समझ से बाहर है. अगर महिलाओं को ऑब्जेक्टिफाई करते और एलजीबीटी समुदाय का मजाक बनाते जोक्स आपको आपत्तिजनक नहीं लगते, तो ऐसे चांस हैं कि आप इस फिल्म को देखते हुए ठहाके मारकर हंसेंगे. अगर नहीं, तो हो सकता है कि गुस्से में अपने बाल नोंचने लगें. मैं इस फिल्म को 5 में से 1 क्विंट दूंगी!

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Published: 25 Oct 2019,07:03 PM IST

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