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"तुम मुझे तंग करने लगे हो" - लव आज कल के इस डायलॉग को सुनकर कहीं न कहीं मन में ये खयाल आता है कि अपनी फिल्मों के जरिए मॉडर्न लव स्टोरीज का ताना-बाना बुनने वाले फिल्ममेकर इम्तियाज अली की पकड़ अपनी इस खासियत से छूटती जा रही है.
कमियों वाले किरदारों से दर्शकों के जुड़ाव की वजह से उन्हें पसंद किया जाता है. हम सभी जानते हैं कि प्यार और रिलेशनशिप मुश्किल होते हैं... क्या यह केमिस्ट्री है, क्या यह बायोलॉजी है? क्या यह समय के साथ बढ़ता है या रोमांस का पहला फ्लश हमेशा के लिए एक अमिट छाप छोड़ देता है? इस तरह के सवाल दिमाग और दिल के संघर्ष के बारे में किसी भी फिल्म के लिए तैयार कंटेंट हैं. इम्तियाज अली ने अपनी फिल्मों में भावनात्मक रूप से नाजुक और दोष वाले किरदार दिखाए हैं. जब वी मेट और रॉकस्टार जैसी उनकी फिल्मों ने बेहतरीन प्रदर्शन किया है. लेकिन उनकी पिछली कोई भी फिल्म उतनी पुरानी और निराशाजनक नहीं रही, जितनी ये नई वाली फिल्म है.
लव आज कल में दो अलग-अलग समय में दिखाई गई दो प्रेम कहानियां हैं. एक रघु (कार्तिक आर्यन) और लीना (आरुषि शर्मा) के 90 के दशक की कहानी और दूसरा जोई (सारा अली खान) और वीर (फिर से कार्तिक आर्यन) के बीच का प्यार. सूत्रधार के तौर पर दोनों कहानियों की कड़ियों को जोड़ने वाले रणदीप हुड्डा उबाऊ लगते हैं.
फिल्म में दिखाया गया है कि एक लड़की अपने करियर और प्यार के बीच संतुलन नहीं बना सकती. यकीनन ये 2020 है, लेकिन असली समस्या यही है. इसके अलावा, फैक्ट ये है कि वीर जोई के साथ हमबिस्तर नहीं होगा, क्योंकि वो 'स्पेशल' है. कई बार घिसी-पिटी बातें गुस्सा दिलाती हैं. सेक्स साफ तौर पर एक बुरा शब्द है, क्योंकि 'सच्चा प्यार' वही है, जो सेक्स से दूर रहे. और एक अच्छी प्रेम कहानी को किसी की लिंक्डइन प्रोफाइल से बेहतर कोई बर्बाद नहीं कर सकता, क्योंकि करियर हमेशा आपको प्यार से दूर रखेगा.
फिल्म में एक जगह जोई को दुबई से जॉब का एक ऑफर मिलता है, जिसे वह अपनी मां के कहने पर ठुकरा देती है. और फिर अपने इस फैसले पर खुद को कोसते हुए फिल्म का आधा स्क्रीन टाइम गुजार देती है. ये भी हो सकता था कि लॉन्ग डिस्टेंस रिलेशनशिप की कोशिश की जाती. लेकिन नहीं, जोई और वीर को तो हर समय एक दूसरे से सटे रहना और वह भी सबसे ज्यादा मुमकिन संस्कारी तरीके से.
वीर के किरदार में कार्तिक आर्यन कुछ शुरुआती उतार-चढ़ाव के बाद सेटल हो जाते हैं. लेकिन रघु के कैरेक्टर में कमी साफ तौर पर दिखाई देती है. सारा का किरदार काफी लाउड है. वह अपने ज्यादातर लाइंस में चिल्लाती है. लेकिन यह समझने लायक है कि उसे एक कन्फ्यूज्ड वीर और एक लड़के के बीच किसी एक को चुनना है जो हर समय उसे "बेब्बी" कहता रहता है.
म्यूजिक हमेशा से इम्तियाज की फिल्मों का मजबूत पक्ष रहा है, जो कहानी को आगे ले जाते हैं. लेकिन इस फिल्म में आप सिर्फ स्किप बटन को हिट करना चाहते हैं, क्योंकि फिल्म के सबसे वास्तविक सीन वही हैं, जहां जोई कैब बुक करती है, और ड्राइवर को कभी उसका लोकेशन नहीं मिल पाता. इसी से मैं सबसे ज्यादा रिलेट कर पाती हूं. GPS ने कभी काम ही नहीं किया. अगर आप इम्तियाज अली के फैन हैं, तो निराश होने के लिए तैयार रहें, लेकिन इससे पहले कन्फ्यूज्ड होने के लिए भी तैयार रहें.
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