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‘लूडो’ रिव्यू: गुडनेस से भरीं चार अलग और दिलचस्प कहानियां  

फिल्म आखिर में चेहरे पर मुस्कुराहट छोड़ जाती है

स्तुति घोष
मूवी रिव्यू
Updated:
फिल्म आखिर में चेहरे पर मुस्कुराहट छोड़ जाती है
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फिल्म आखिर में चेहरे पर मुस्कुराहट छोड़ जाती है
(फोटो: क्विंट हिंदी)

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अरे यार... ये तो बड़ी स्लो फिल्म है, ये कैरेटक्टर कौन है? यार कुछ समझ ही नहीं आ रहा... फिल्म लूडो देखते हुए पहले 5-10 मिनट इस तरह के कुछ सवाल आपके जहन में आएंगे. लेकिन फिल्म को यहीं पर मत छोड़िएगा, क्योंकि कई बार हमें खुद को फिल्म की फ्रीक्वेंसी के हिसाब से सेट करना पड़ता है और एक बार वो बैठ गया तो सब सही है. अनुराग बसु इस फिल्म के डायरेक्टर, राइटर, सिनेमेटोग्राफर और एक्टर भी हैं.

अनुराग बासु का छोटा सा रोल

अनुराग ने फिल्म में छोटा सा रोल किया है, जैसे किसी प्ले में सूत्रधार होता है, यहां पर राहुल बग्गा और अनुराग बासु ने ये रोल निभाया है. जो फिल्म की शुरुआत और आखिर में आते हैं. शुरुआत में तो हमें समझ नहीं आता है कि वो क्या रिप्रजेंट कर रहे हैं, लेकिन जब आप इनकी पूरी बातचीत सुनेंगे तो पता चलेगा कि इनका किरदार पाप और पुण्य, सही और गलत, कौन स्वर्ग जाएगा- कौन नर्क इन्हीं सब कॉन्सेप्ट पर बेस्ड है.

जितना नॉन जजमेंटल इनका जवाब है, उतना ही नॉन जजमेंटल टोन फिल्म का भी है. अब अगर आप अनुराग बासु की पुरानी फिल्मों से वाकिफ हैं तो आपको पता होगा कि वो अपने कैरेक्टर्स को काफी अलग तरीके से दिखाते हैं. वही गुडनेस वो इस फिल्म में भी लेकर आए हैं.

लूडो के गेम से इंस्पायर्ड फिल्म- 4 कहानियां

अब अगर आप इसी हफ्ते रिलीज हुई फिल्म लक्ष्मी के शोर से परेशान हो चुके हैं तो आप लूडो पर एक ट्राइ जरूर मार सकते हैं. क्योंकि ये थोड़ी अलग है. फिल्म लूडो रियल लाइफ गेम लूडो से इंस्पायर्ड है. जिस तरह से लूडो में चार खाने होते हैं, यहां पर भी चार कहानियां हैं और एक किरदार डाइस का रोल अदा कर रहा है.

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कुल मिलाकर चार ट्रैक और चार रंगों को लेकर ये फिल्म बनाई गई है. जिसमें सबसे पहला कलर येलो, जिसमें आदित्य रॉय कपूर और सानिया मल्होत्रा के किरदार एक साथ दिखाए गए हैं. जो एक कपल है और अपने ही लफड़ों में उलझा हुआ है. इसके बाद रेड कलर में अभिषेक बच्चन के रोल को दिखाया गया है, जो 6 साल बाद जेल से बाहर आए हैं और उन्हें पता चला है कि उनका परिवार अब नहीं है. ये अपनी बेटी को ढूंढ़ रहे होते हैं. इनायत वर्मा ने उनकी बेटी का रोल अदा किया है, जो खुद की झूठी किडनैपिंग करवाती है. इसके बाद ब्लू कलर में रोहित सराफ और पर्ल माने के किरदार को दिखाया गया है. इसके बाद राजकुमार राव को मिथुन चक्रवर्ती के फैन के तौर पर दिखाया गया है. उनके किरदार का नाम आलू है, जो पिंकी पर काफी ज्यादा फिदा है. पिंकी का रोल फातिमा सना शेख ने निभाया है.

अब इन सभी कैरेक्टर्स को कभी दूर और कभी पास लाने वाले डाइस का रोल निभाया है पंकज त्रिपाठी ने, जिनकी एक्टिंग की तारीफ जितनी की जाए उतनी कम है. यहां उनके किरदार का नाम सत्तू भैया है. लेकिन ये डॉन कालीन भैया से काफी ज्यादा अलग है.

चेहरे पर स्माइल छोड़ जाती है फिल्म

तो कुल मिलाकर जो कैरेक्टर हमें शुरुआत में समझ नहीं आ रहे थे, वो बाद में बताते हैं कि हम एक दूसरे का कितना खयाल रखते हैं. इसके साथ ही अनुराग की फिल्मों में जितना जरूरी साइसेंस होता है उतना ही जरूरी इसका म्यूजिक भी, इस फिल्म में 1951 की फिल्म अलबेला के गाने को खूबसूरती से इस्तेमाल किया गया है. कुल मिलाकर जब फिल्म खत्म होती है तो आपके चेहरे पर एक स्माइल छोड़कर जाती है.

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Published: 12 Nov 2020,10:41 PM IST

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