Made In China रिव्यू: आसानी से भुलाई जाने वाली फिल्म

फिल्म सेक्स और रिप्रोडक्टिव हेल्थ को लेकर एक पब्लिक सर्विस अनाउंसमेंट लगने लगती है

स्तुति घोष
मूवी रिव्यू
Updated:
फिल्म सेक्स और रिप्रोडक्टिव हेल्थ को लेकर एक पब्लिक सर्विस अनाउंसमेंट लगने लगती है
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फिल्म सेक्स और रिप्रोडक्टिव हेल्थ को लेकर एक पब्लिक सर्विस अनाउंसमेंट लगने लगती है
(फोटो: Maddock Films)

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मेड इन चाइना एक ऐसी फिल्म है, जो आखिरी सीन तक समझ नहीं पाती कि उसे क्या चाहिए. ये शुरू एक थ्रिलर के तौर पर होती है, जब एक चीनी डिप्लोमैट की गुजरात में लव ड्रग के ओवरडोज के कारण रहस्यमयी तरीके से मौत हो जाती है. इसके बाद, एक कैरेक्टर कहता है कि भारत को भले बेहतर सड़कें चाहिए, लेकिन इसे असल में बेहतर सेक्स चाहिए!

राजकुमार राव का कैरेक्टर रघु, अपना ज्यादातर टाइम टीवी पर किसी चोपड़ा (गजराज राव) के मोटीवेशनल वीडियो देखकर गुजारता है. इसी के सहारे वो अपने नए-नए बिजनेस में हुए नुकसान से उबर रहा होता है.

जब वो ‘सेक्स से जुड़ी सभी समस्याओं का इलाज करने वाले सेक्स पोशन’ को बेचने का इंडो-चाइनीज धंधा शुरू करता है, तो ये लगने लगता है कि फिल्म सेक्स कॉमेडी होने वाली है!

लेकिन, फिर वो एक सेक्सोलॉजिस्ट त्रिभुवन वर्धी के साथ काम शुरू करता है और फिर फिल्म अपनी ग्रिप खो देती है.

फिल्म सेक्स और रिप्रोडक्टिव हेल्थ को लेकर एक पब्लिक सर्विस अनाउंसमेंट लगने लगती है. लेकिन ये कोशिश भी कम नजर आती है.

राजकुमार राव और बोमन ईरानी क्लास एक्टर्स हैं. वो अपने किरदारों में पूरी जान लगा देते हैं, लेकिन फिर भी फिल्म निराश करती है. एक आसानी से भुलाई जाने वाली फिल्म है ये!

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Published: 25 Oct 2019,05:29 PM IST

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