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भारतीय फिल्म इंडस्ट्री में ऐसी बहुत सी फिल्में आई हैं, जिसमें मुख्य किरदार में महिलाएं रही हैं. लेकिन त्रिभंगा जैसी मूवी ने फिल्म इंडस्ट्री के सामने खूबसूरत उदाहरण पेश किया है. ये फिल्म महिलाओं के व्यक्तित्व के बारे में दर्शकों से बात करती है, जबकि फिल्म में बड़े-बड़े मेल स्टार्स का भी बहुत अहम रोल है.
भारतीय सिनेमा ने अधिकतर फिल्मों में महिलाओं को एक अलग ढंग से दिखाया है. जब भी किसी फीमेल कैरेक्टर का मूवी में अहम रोल होता है, तो भी उसे फिल्म के किसी पुरुष किरदार से जोड़कर, उसकी छाया में दिखाया जाता है. लेकिन यह फिल्म बाकी फिल्मों से हटकर है.
त्रिभंगा (Tribhanga) फिल्म की कहानी उन औरतों पर आधारित है जो दूसरों के इशारों पर नाचने से मना कर देती हैं. ये फिल्म एक ही परिवार में महिलाओं के तीन पीढ़ियों की कहानी है, जो अपनी जिंदगी की अलग-अलग दिक्कतों से लड़ती है. रेणुका शहाणे (Renuka Shahane) ने इस फिल्म की स्क्रिप्ट लिखी है और इसे डायरेक्ट भी किया है.
फिल्म त्रिभंगा- टेढ़े मेढ़े क्रेजी से परिवार की तीन जेनरेशन काजोल (अनु आप्टे), तन्वी आजमी (नयन आप्टे), मिथिला पालकर (माशा ) के किरदार से बनी है .फिल्म में कुणाल रॉय कपूर का भी बेहतरीन रोल है, वो अपने हिंदी डायलॉग से ऑडियंस को अपने आगोश में ले लेते हैं. एक्टर राघव ने मानव घोली और भास्कर रैना ने कंवलजीत सिंह का किरदार किया है जो फिल्म की कहानी को सपोर्ट करता है.
फिल्म ओटीटी प्लेटफॉर्म पर रिलीज हुई है तो काजोल के किरदार ने अपने डायलॉग्स में कहीं भी ब्रेक न लगते हुए अपनी बातें दिल खोल कर कीं हैं , जिसे ऑडियंस बहुत पसंद करेगी. तन्वी आजमी का रोल एक पॉपुलर राइटर का है जो आप को फिल्म के अंत तक एंटरटेन करेगा.
यह फिल्म दिखाती है कि भले ही आप बहुत बड़े लेखक, बॉलीवुड एक्ट्रेस, स्टार किड हों. आपकी लाइफ हमेशा परफेक्ट नहीं रहती. लाइफ में उतार-चढ़ाव होता रहता है. फिल्म में कुछ भी बढ़ा चढ़ा कर नहीं दिखाया गया है. यह डेढ़ घंटे की फिल्म आपको हंसाने के साथ-साथ थोड़ा रुला भी सकती है. आखिर में बस यही कहा जा सकता है कि यह फिल्म की कहानी अच्छी है और एक्टिंग लाजवाब.
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