Home Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019Entertainment Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019The Elephant Whisperers में क्या खास,जिसकी वजह से मिला ऑस्कर अवॉर्ड

The Elephant Whisperers में क्या खास,जिसकी वजह से मिला ऑस्कर अवॉर्ड

'द एलिफेंट व्हिस्परर्स' के ऑस्कर जीतने पर निर्माता गुनीत मोंगा की भारतीय महिलाओं से उम्मीद?

हिमांशु जोशी
एंटरटेनमेंट
Published:
<div class="paragraphs"><p>The Elephant Whisperers में क्या खास,जिसकी वजह से ऑस्कर ज्यूरी ने दिया पुरस्कार?</p></div>
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The Elephant Whisperers में क्या खास,जिसकी वजह से ऑस्कर ज्यूरी ने दिया पुरस्कार?

(फोटो- द क्विंट)

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फिल्म RRR के नाटू-नाटू (Natu Natu) गाने से इतिहास रचते हुए ऑस्कर अवॉर्ड अपने नाम कर लिया है. उसके साथ एक शॉर्ट डाक्यूमेंट्री 'The Elephant Whisperers' ने भी भारत की झोली में ऑस्कर पुरस्कार (Oscar 2023) डाला है, पर इस फिल्म को क्रिकेट विश्व कप के लीग मैच देखने वाले दर्शकों की आधी संख्या ने भी नहीं देखा होगा. भारतीय जब तक यह फिल्म नही देखेंगे तब तक उन्हें इसे ऑस्कर मिलने की वजह भी पता नही चलेगी और न ही ऑस्कर मिलने का उद्देश्य पूरा होगा.

क्रिकेट में एकदिवसीय मैचों का विश्वकप जितना अहम और लोकप्रिय है, फिल्मों की दुनिया में ऑस्कर पुरस्कार का भी उतना ही महत्व है.

'RRR' फिल्म के 'नाटू नाटू' गाने को साल की शुरुआत में जब 'गोल्डन ग्लोब अवार्ड' मिला तब ही लग रहा था कि यह गाना ऑस्कर पुरस्कार भी जीतेगा, हुआ वही. नाटू नाटू को ऑस्कर का बेस्ट ऑरिजनल सांग पुरस्कार मिला. आर आर आर का यह गाना फिल्म के साथ ही लोकप्रिय हो गया था और करोड़ों भारतीयों तक यूट्यूब व अन्य माध्यमों के जरिए पहुंच गया.

बेस्ट डॉक्यूमेंट्री शॉर्ट फिल्म का ऑस्कर पुरस्कार भी भारत की झोली में आया. तमिल भाषा में आई शॉर्ट डॉक्यूमेंट्री फिल्म 'द एलिफेंट व्हिस्परर्स' ने यह पुरस्कार जीता. इस फिल्म के बारे में लोगों ने ज्यादा नही सुना था क्योंकि भारत में डॉक्यूमेंट्री फिल्में देखने का चलन बहुत कम है. एकदिवसीय या टी 20क्रिकेट विश्व कप में भारत के लीग मैच भी बहुत बड़ा उत्सव होते हैं और दूरदर्शन पर यह मैच फ्री में लाइव दिखाए जाते हैं, लेकिन यह मुश्किल दिखता है कि फिल्मों के इतने बड़े उत्सव में पुरस्कार जीत चुकी यह डॉक्यूमेंट्री नेटफ्लिक्स के बाद कहीं मुफ्त में दिखाई जाएगी.

द एलिफेंट व्हिस्परर्स को ऑस्कर मिलते ही भारत के लगभग हर बड़े नेता ने इस फिल्म को ऑस्कर मिलना भारतीयों के लिए गर्व की बात बताया है. फिल्म को ऑस्कर ज्यूरी ने क्यों ऑस्कर दिया इसकी वजह शायद बहुत से भारतीयों को पता भी न चले. बिना फिल्म देखे उसको ऑस्कर मिलने के महत्व को समझना मुमकिन भी नही है.

हाथी के बच्चों की देखरेख की कहानी, छायांकन और बैकग्राउंड स्कोर के मामले में दमदार

निर्देशक कार्तिकी गोंजल्वेज ने इंसान और जानवरों के संबंधों के प्लॉट पर यह फिल्म तैयार की है. इसकी कहानी अम्मू और रघु नामक हाथी के बच्चों की देखरेख करने वाले बेली और बोमेन के इर्द गिर्द घूमती है. छायांकन और बैकग्राउंड स्कोर के मामले में यह डॉक्यूमेंट्री शुरू से ही प्रभावित करती है. शहद निकालने वाला दृश्य शानदार है. वैसे ही हाथी के बच्चे रघु को पानी में खेलते देखना भी बड़ा सुखद लगता है.

अभिनय की बात की जाए तो निर्देशक ने बेली, बोमन, रघु, अम्मू, बच्चों के महत्वपूर्ण पलों को जैसा का तैसा कैमरे पर कैद किया है. हाथी के बच्चों से बेली और बोमन का वास्तविक प्रेम ही इस डॉक्यूमेंट्री को शानदार बनाता है. यहां पर बच्चों को अपने दांतों पर उठाए हाथी सर्कस में तैयार हाथी नही हैं जो किसी फिल्म के दृश्य के लिए पोज दे रहे हों. डॉक्यूमेंट्री के मुख्य कलाकार निर्देशक और कैमरामैन हैं जो इन दृश्यों को संजोने में जुटे हैं.

जितना मनुष्य उतने ही पशु भी प्रकृति के लिए महत्वपूर्ण

भारत में धार्मिक मान्यताओं के अनुसार पशुओं का हमेशा से ही समाज में बड़ा महत्वपूर्ण स्थान रहा है. मनुष्य और पशुओं के संबंध पर इस फिल्म में यह दिखाने की कोशिश रही है कि दोनों ही प्रकृति के लिए बराबर महत्वपूर्ण हैं.

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जंगल की आग और सुरक्षा पर आवाज बुलंद करती फिल्म

गर्मी आने वाली हैं और गर्मियों में जंगल की आग तेजी के साथ बढ़ते ही जाती है, ऐसे समय में इस पर उठाए गए विषय को जन-जन तक पहुंचाया जाना बेहद ही जरूरी हो जाता है. फिल्म में जंगल की सुरक्षा ग्रामीणों को सौंपने की तरफदारी करते कुछ संवाद शामिल हैं और इन पर अमल कर जंगल की आग से भी काफी हद तक बचा जा सकता है.

भारत में औपनिवेशिक काल से पहले लोग वनों का उपभोग और रक्षा दोनों करते थे, लेकिन अंग्रेजों ने आते ही जनता के वन पर अधिकारों में कटौती कर वनों का दोहन शुरू कर दिया था.

स्वतंत्र भारत में वनों को लेकर बहुत से नए-नए नियम कानून बनाए गए और समुदाय के वनों पर अधिकार को लगातार कम किया जाता रहा. डाउन टू अर्थ में छपी एक रिपोर्ट के अनुसार विश्व में आदिवासी बहुल क्षेत्र सबसे कम कार्बन उत्सर्जित करते हैं. इसका मतलब यह है कि समुदाय के पास जंगल का नियंत्रण रहने से वहां आग कम लगती है.

जंगल में लगने वाली आग के समाधान पर पर्यावरणविद राजीव नयन बहुगुणा कहते हैं कि गांवों की चार किलोमीटर परिधि में जंगलों से सरकारी कब्जा हटा कर उन्हें ग्राम समुदाय के सुपुर्द किया जाना चाहिए.

निर्माता गुनीत मोंगा की महिलाओं से उम्मीद

गुनीत मोंगा ने अपना दूसरा ऑस्कर मिलने पर जो ट्वीट किए उनमें से एक ट्वीट में उन्होंने भारतीय महिलाओं से दुनिया भर में छा जाने की उम्मीद लगाई है. वह लिखती हैं कि आज की रात ऐतिहासिक है क्योंकि पहली बार किसी भारतीय प्रोडक्शन को ऑस्कर मिला है.

जितनी भी महिलाएं देख रही हैं ये उनके लिए है. भविष्य बहुत साहसी है और भविष्य आ चुका है.आइए चलें, जय हिंद.

सह निर्माता के तौर पर इससे पहले अपनी शॉर्ट फिल्म 'पीरियड एंड ऑफ सेंटेंस' के लिए साल 2019 में ऑस्कर पुरस्कार जीत चुकी गुनीत का यह कथन भी इस बात पर निर्भर करता है कि कितनी महिलाएं द एलिफेंट व्हिस्परर्स देखती हैं और उनमें से कितनी अपने काम से गुनीत और कार्तिकी की तरह दुनिया में छा जाती हैं.

(हैलो दोस्तों! हमारे Telegram चैनल से जुड़े रहिए यहां)

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