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शाहरुख खान (Shahrukh Khan) की जवान (Jawan) बॉक्स ऑफिस पर छाई हुई है. खान की फिल्म जवान के शानदार प्रदर्शन के बीच उनका एक ऐसा पहलू सामने आया है जो उन्हें कई समकालीनों से अलग करता है और वो है बॉलीवुड अभिनेताओं से अपेक्षित पुरुषत्व और उनकी फिल्मों में महिलाओं का चित्रण कैसा है? शाहरुख खान की फिल्म को रिलीज के पहले दिन ही देखना अपने आप में एक जरूरी हो जाता है. सिनेमाघरों में तालियों की गड़गड़ाहट और स्क्रीन पर शाहरूख की एंट्री लाखों लोगों के दिल को छू जाती है.
बॉलीवुड अक्सर खुद को पुरुषत्व जैसी होमोफोबिक चीजों में फंसा हुआ पाता है, लेकिन किंग खान ने लगातार ऐसी भूमिकाएं और फिल्में चुनी हैं जो महिला पात्रों को ताकत देती है.
शाहरुख खान ने फिल्मों में जो भूमिकाएं निभाई हैं वो सब पुरुषत्व के पारंपरिक मानदंडों तक सीमित नहीं है. शाहरुख फिल्मों में स्क्रीन पर रोने से डरते नहीं है (देवदास), वो स्क्रीन पर जिस महिला से प्यार करते हैं उनके सामने झुकने के लिए तैयार रहते हैं ( कुछ कुछ होता है).
वास्तव में SRK की सराहना करने के लिए, आपको मूल अमिताभ बच्चन के संस्करण की तुलना में डॉन के उनके चित्रण के अलावा और कुछ देखने की जरूरत नहीं है. दोनों ने आपराधिक सरगना या शायद उसके हमशक्ल के प्रतिष्ठित चरित्र को निभाया, यह इस पर निर्भर करता है कि आप इसे कैसे देखते हैं?
शाहरुख खान अपने कई दशकों के कैरियर में स्क्रीन पर कई किरदारों में नजर आए हैं. फिल्म दिलवाले दुल्हनिया ले जाएंगे में एक प्यारे राज के रूप में, चक दे इंडिया फिल्म में एक हॉकी कोच के रूप में. इनमें से प्रत्येक भूमिका में, उन्होंने शालीनता से मजबूत, सूक्ष्म और संवेदनशील महिला नेतृत्व के साथ स्क्रीन पर नजर आए हैं.
2023 में आई फिल्म में शाहरुख एक एक्शन हीरो के रूप के साथ साथ गंभीर राजनीतिक मुद्दों से प्रेरित हैं. एटली द्वारा निर्देशित और नयनतारा से लेकर विजय सेतुपति तक के शानदार कलाकारों को प्रदर्शित करते हुए, उनकी नई फिल्म जवान में वो एक मसीहा के रूप में नजर आए हैं.
फिल्म में शाहरुख खान एक दोहरी भूमिका में नजर आए हैं, उनके एक पात्र को मसीहा बोला जा सकता है. इस फिल्म के प्रदर्शन का प्रभाव सिनेमाघरों में स्पष्ट था. जब उनका किरदार, एक महिला जेल की जेलर, बुरे लोगों में से एक को घेर लेती है, तो संवाद का आदान-प्रदान किसी क्रांतिकारी से कम नहीं रहता.
जवान फिल्म प्रताड़ित महिलाओं की ताकत का प्रदर्शन करती है, इसके अलावा यह फिल्म राजनीतिक और सामाजिक मुद्दों पर गहराई से प्रकाश डालती है, किसानों की आत्महत्या, चिकित्सा क्षेत्र में भ्रष्टाचार और उद्योगपतियों द्वारा पैदा किए गए जलवायु संकट पर भी प्रकाश डालती है.
यह उल्लेखनीय है कि शाहरुख ने खुद जवान को महिलाओं द्वारा संचालित फिल्म के रूप में प्रचारित किया और इसे "महिलाओं के बारे में, पुरुषों के लिए" फिल्म बताया था.
यह घोषणा अधिक परियोजनाएं बनाने की उनकी इच्छा को दर्शाती है जो न केवल महिलाओं के लिए एक मंच प्रदान करती है बल्कि उनके विविध अनुभवों और आकांक्षाओं को भी पूरा करती है, जैसे डियर जिंदगी या चक दे इंडिया.
हालांकि शाहरुख खान की शुरुआती फिल्में समस्याग्रस्त पहलुओं से रहित नहीं हैं - रोमांटिक, यौन व्यवहार जैसी फिल्में हैं, लेकिन ये उदाहरण कम और बहुत दूर हैं, खासकर जब उनके कुछ समकालीनों की स्पष्ट रूप से स्त्री द्वेषपूर्ण कहानियों की तुलना में कायम रखा है.
बॉलीवुड की दुनिया में जहां परिवर्तन धीरे-धीरे हो सकता है, बाद में शाहरुख की अपनी फिल्मों में भी महिलाओं के चित्रण पर प्रभाव पड़ा.
जब बॉलीवुड में अभिनेता अक्सर 'जागरूकता' के नाम पर महज दिखावे के लिए सामाजिक रूप से जागरूक फिल्में करते हैं, उस समय शाहरुख महिलाओं का बेधड़क समर्थन करने के अपने रुख पर कायम हैं, यह तब की बात है जब उन्होंने प्रतिज्ञा की थी कि वे केवल वही फिल्में करेंगे जिनमें क्रेडिट में उनकी महिला सह-कलाकार का नाम उनसे पहले होगा.
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