Bombay Begums रिव्यू:बेहतरीन राइटिंग,Women’s Day पर तोहफा है ये शो

ये शो वर्कप्लेस पर हैरेसमेंट और #MeToo जैसे गंभीर मुद्दों पर भी रौशनी डालता है.

स्तुति घोष
वेब सीरीज
Published:
(फोटो: नेटफ्लिक्स)
i
null
(फोटो: नेटफ्लिक्स)

advertisement

इंटरनेशनल वीमेन्स डे के मौके पर नेटफ्लिक्स खास सीरीज ‘बॉम्बे बेगम्स’ लेकर आया है. शो को देखते वक्त मशहूर फेमिनिस्ट राइटर वर्जीनिया वुल्फ और नारीवादी विचारधारा का खयाल दिमाग में आता है. शो में एक एपिसोड का टाइटल भी, वूल्फ की किताब ‘अ रूम ऑफ वन्स ओन’ पर रखा गया है. शो में महिलाओं की जद्दोजहद इसी को लेकर है... एक कमरा जिसे वो अपना कह सकें, एक सुरक्षित जगह, खुद पर हक.

अलंकृता श्रीवास्तव महिलाओं की जिंदगी को एक अलग लेंस से दिखाने के लिए जानी जाती हैं. वो महिलाओं को बिना किसी रंग-बिरंगे चश्मे के दिखाती हैं.

नाम की ही तरह, शो बॉम्बे की पांच महिलाओं पर आधारित है. ये महिलाएं उम्र के अलग-अलग पड़ाव पर हैं और जिंदगी से इनकी अलग ख्वाहिशें हैं, लेकिन फिर भी कुछ बातें हैं जो सभी की जिंदगी में एक जैसी हैं, और इन्हीं बातों के जरिए हम इनसे रिलेट कर पाते हैं.

रानी (पूजा भट्ट) रॉयल बैंक ऑफ बॉम्बे को लीड कर रही है. वो अपने करियर में अच्छे मुकाम पर है और शादी में खुश है, लेकिन फिर भी जैसे किसी चीज की कमी है. उसके सौतेले बच्चे उसे पसंद नहीं करते और प्रोफेशन लाइफ में भी लोग जैसे शार्क की तरह पीछे पड़े हैं. उसके नीचे काम करती है फातिमा वारसी (शहाना गोस्वामी). फातिमा यंग है, स्मार्ट है और इंटेलीजेंट है. उसके पास सबकुछ है जो किसी को चाहिए होता है. लेकिन प्रोफेशनल और पर्सनल लाइफ के बीच बैलेंस बनाना तो मुश्किल होता ही है.

ADVERTISEMENT
ADVERTISEMENT

ऑर्गनाइजेशन में एक और लड़की की एंट्री होती है, आयशा जो इंदौर शहर से बड़े सपने लेकर मुंबई आई है. फिर कुछ ऐसा होता है कि इनका सामना लिली से होता है, जो पहले बार डांसर थी. इन 'बेगमों' में एक और चेहरा है- 13 साल की शाई का. शाई, रानी की सौतेली बेटी है और एंग्जाइटी से जूझ रही है.

‘बॉम्बे बेगम्स’ की सबसे बेहतरीन बात उसकी राइटिंग है. सभी किरदारों को एक मैच्योरिटी के साथ लिखा गया है. ये शो वर्कप्लेस पर हैरेसमेंट और #MeToo जैसे गंभीर मुद्दों पर भी रौशनी डालता है.

इन किरदारों को पसंद करना आसान नहीं है, क्योंकि ये हमें चुनौती देते हैं. इनकी हरकतें कभी सही लगती हैं, कभी नहीं. लेकिन फिर भी, आखिर में, हमें इन किरदारों से हमदर्दी होती है.

शो में पूजा भट्ट शानदार हैं. सीरीज के सबसे भावुक सीन उनके और उनकी सौतेली बेटी शाई के बीच में हैं. भट्ट दर्द और बेबसी को दिखाती हैं, लेकिन फिर भी उनके किरदार की मजबूती कम नहीं होती. शहाना गोस्वामी, अमृता सुभाष और प्लाबिता बोरठाकुर भी अपने-अपने किरदारों की बारिकियों को अच्छे से दिखाती हैं.

शो में मेल कैरेक्टर्स का स्क्रीन टाइम फीमेल किरदारों से कम है. विवेक गोम्बर, दानिश हुसैन, विवेक गोम्बर, इमान शाह, राहुल बोस और प्रशांत सिंह शो में अच्छे लगते हैं. मनीष चौधरी सभी मेल कैरेक्टर्स में बेहतर लगते हैं.

जहां ये शो एक ओर प्रभावी है, तो वहीं दूसरी ओर कुछ चीजें ऐसी हैं जो बिल्कुल समझ से परे हैं. जैसे कई सीन में शाई का वॉइसओवर, या देव्यानी का कैरेक्टर. हालांकि, इन सबके बावजूद ये शो असरदार है.

शो को अलंकृता श्रीवास्तव ने क्रिएट किया है, और तीन एपिसोड भी डायरेक्ट किए हैं. तीन एपिसोड बोर्निला चैटर्जी ने डायरेक्ट किए हैं.

5 में से 4 क्विंट.

(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)

Published: undefined

ADVERTISEMENT
SCROLL FOR NEXT