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केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह (Amit Shah) ने 10 अप्रैल को अरुणाचल प्रदेश (Arunachal Pradesh) के किबिथू गांव में 'वाइब्रेंट विलेज प्रोग्राम' (VVP) को लॉन्च किया. ये गांव भारत और चीन के बीच वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर स्थित है.
शाह पूर्वोत्तर राज्य के दो दिवसीय दौरे पर हैं और इस क्षेत्र में कई परियोजनाओं का उद्घाटन करेंगे, जिसमें 'गोल्डन जुबली बॉर्डर इल्युमिनेशन प्रोग्राम' के तहत बने 9 माइक्रो हाईडिल प्लांट शामिल हैं.
इसके अलावा, गृहमंत्री भारत-तिब्बत सीमा पुलिस (ITBP) की परियोजनाओं का भी अनावरण करेंगे और सैनिकों और स्थानीय निवासियों से बातचीत करेंगे.
शाह की यात्रा चीन द्वारा अरुणाचल प्रदेश में पर्वत, आवासीय क्षेत्रों और नदियों सहित 11 स्थानों का नाम बदलने के बीच आई है. चीन ने नाम बदलकर ये दावा किया है कि वो असल में दक्षिण तिब्बत का हिस्सा हैं. चीन ने 11 स्थानों को "जंगनान" कहा है.
भारत सरकार ने पड़ोसी देश की इस घोषणा को खारिज करते हुए कहा कि चीन का इस क्षेत्र में कोई दावा नहीं है.
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा, "ये पहली बार नहीं है जब चीन इस तरह के दावे कर रहा है, और हमने इन कोशिशों की आलोचना की है."
बागची ने आगे कहा, "अरुणाचल प्रदेश भारत का अभिन्न हिस्सा था, है और रहेगा. नए नामों का आविष्कार कर जगहों के नाम बदलने की कोशिश इस सच्चाई को नहीं बदलेगी."
इसलिए, अरुणाचल में शाह की यात्रा राज्य के संबंध में चीन की घोषणा के जवाब में शक्ति प्रदर्शन है. ये यात्रा ऐसे समय में भी हो रही है जब दोनों देशों की सरकारों के बीच सीमा वार्ता चल रही है.
किबिथू में अपने संबोधन में अमित शाह ने चीन पर हमला बोलते हुए कहा कि कोई भी भारत से "जमीन का एक टुकड़ा" भी नहीं ले सकता है.
सरकार की 'पूर्व की ओर देखो' नीति पूर्वोत्तर में औद्योगिक विकास पर केंद्रित है. इसका उद्देश्य दक्षिण-पूर्व एशियाई देशों के साथ संबंधों को मजबूत करना है, जो इस क्षेत्र से जुड़े हुए हैं.
शाह ने आगे कहा कि ITBP और भारतीय सेना के बॉर्डर पर पहरा देते हुए कोई भी भारत की जमीन के "एक कदम भर के हिस्से" का भी अतिक्रमण नहीं कर सकता है.
दूसरी ओर, भारत द्वारा आलोचना करने के बाद चीनी सरकार ने कड़े शब्दों में एक बयान जारी किया, जिसमें कहा गया कि शाह की अरुणाचल प्रदेश की यात्रा चीन की संप्रभुता का "उल्लंघन" थी.
न्यूज एजेंसी ANI के मुताबिक, चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता वांग वेनबिन ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा, "जंगनान चीन का क्षेत्र है. जंगनान में उनकी यात्रा चीन की क्षेत्रीय संप्रभुता का उल्लंघन करती है, और सीमा की स्थिति और शांति के लिए अनुकूल नहीं है."
वाइब्रेंट विलेज प्रोग्राम (VVP) केंद्र सरकार की एक योजना है, जिसके तहत भारत की उत्तरी सीमा से सटे राज्यों के 2,967 गांवों का विकास किया जाएगा.
इस योजना में अरुणाचल प्रदेश, सिक्किम, उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश और केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख के गांव शामिल हैं. योजना में उन गांवों को चुना गया है, जिनकी "छितरी हुई आबादी है, और कनेक्टिविटी और बुनियादी ढांचा सीमित है."
पहले फेज में, प्राथमिकता के आधार पर 662 गांवों की पहचान की गई है, जिनमें अरुणाचल प्रदेश के 455 शामिल हैं.
योजना के तहत, सड़क संपर्क, पेयजल, सौर और पवन ऊर्जा, बिजली, मोबाइल और इंटरनेट कनेक्टिविटी, पर्यटन केंद्र, स्वास्थ्य केंद्र और कल्याण केंद्र पर फोकस किया जाएगा.
भारत सरकार के मुताबिक, VVP खासतौर से सीमा से सटे गांवों में लोगों के जीवन को सुधारने में मदद करेगा और सीमा की सुरक्षा को मजबूत करके उन्हें अपने मूल जगहों पर रहने के लिए प्रोत्साहित करेगा. इससे इन गांवों से होने वाले पलायन को रोकने में मदद मिलेगी.
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