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Byju's Crisis: एक टॉपर कैसे हुआ 'फेल'? कभी मेसी थे एम्बेसडर, अब किश्त चुकाने के पैसे नहीं

बायजूस गहरे आर्थिक संकट से जूझ रही है, ईडी की रेड का सामना कर रही है. कंपनी इस हालत में कैसे पहुंची?

प्रतीक वाघमारे
कुंजी
Published:
<div class="paragraphs"><p>Byju's Crisis Explained: जब से बायजू बनी बिलियन डॉलर कंपनी तब से ही बज रही खतरे की घंटी</p></div>
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Byju's Crisis Explained: जब से बायजू बनी बिलियन डॉलर कंपनी तब से ही बज रही खतरे की घंटी

(फोटो- क्विंट हिंदी)

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किसी भी स्टार्टअप की वैल्यू अगर 1 बिलियन डॉलर की हो जाए तो वह युनिकॉर्न कहलाता है. अगर किसी स्टार्टअप की वैल्यू यानी कीमत 10 बिलियन डॉलर की हो जाए तो वह डेकाकॉर्न कहलाता है, भारत के पांच डेकाकॉर्न स्टार्टअप में से एक है एडटेक कंपनी बायजूस (Byju's). हाल में इसकी वैल्यू 22 बिलियन डॉलर यानी 1 लाख 82 हजार करोड़ से ज्यादा की हो गई थी.

लेकिन फिलहाल बायजूस गहरे आर्थिक संकट से जूझ रही है, ईडी की रेड का सामना कर रही है. अपने कर्मचारियों को तनख्वाह देने के लिए कंपनी के मालिक को अपना घर बेचना पड़ रहा है, कंपनी लोन की किश्त नहीं चुका पा रही है. मालिक के खिलाफ लूकआउट नोटिस जारी हो गया है यानी वो देश के बाहर नहीं जा सकते. और हाल ही में एक ऐसा वीडियो सामने आया जिसमें एक बच्चे के पिता रिफंड लेने आए थे, उन्हें रिफंड नहीं मिला तो कानून को हाथ में लेते हुए उन्होंने बायजूज के ऑफिस का टीवी निकाल लिया और चले गए.

चलिए आपको बताते हैं बायजूस की ऐसी हालत कैसे हो गई?

कौन है Byju's कंपनी का मालिक?

बायजूस कंपनी के फाउंडर और सीईओ का नाम है बायजू रविंद्रन. यूके में नौकरी कर चुके हैं, और दो बार IIM का एंट्रेंस 100 पर्सेंटाइल के साथ क्लियर कर चुके हैं. केरल के बायजू रविंद्रन ने फिर मैथ्स और साइंस ऑनलाइन पढ़ाना शुरू कर दिया, जिसे काफी पसंद किया जाने लगा.

कैसे बना Byju's?

ऑनलाइन एंट्रेंस की तैयारी करवाने वाले बायूज रविंद्रन ने इसी को आगे बढ़ाते हुए थिंक एंड लर्न नाम से इसकी शुरुआत कर दी. दो साल मेहनत करने बाद 2013 में उन्हें पहली बार फंडिंग मिली जिसके बाद 2015 में बायजूस नाम से उन्होंने एप लॉन्च कर दिया, कंपनी की वेबसाइट के मुताबिक, 2-3 महीनों में 20 लाख लोगों ने इसे डाउनलोड किया. यहां तक की बायजूज को लेकर एक केस स्टडी हार्वर्ड बिजनेस स्कूल में भी पढ़ाई जाने लगी.

कंपनी लगातार ग्रो कर रही थी. 2017 में बायजूस ने शाहरुख खान को अपना ब्रैंड एंबेसेडर बनाया. और 2018 में बायजूस यूनिकॉर्न स्टार्टअप बन गया यानी कंपनी की वैल्यूएशन 1 बिलियन डॉलर को पार कर गई. इसके बाद कंपनी को फंडिंग पर फंडिंग मिलती चली गई. साल 2019 में बायजूस भारतीय क्रिकेट टीम की स्पॉन्सर बन गयी. आपने हमारे खिलाड़ियों की जर्सी पर बायजूस का लोगो देखा होगा.

फिर आया साल 2020, महामारी का दौर, कई लोगों के लिए मुश्किलें लेकिन बायजूस ने सबसे बड़ी छलांग इसी दौरान लगाई. लॉकडाउन के बीच घर से बाहर नहीं निकल पा रहे बच्चों ने बायजूस के पैकेज खरीदे, इसी के बाद मेडिकल और IIT एंट्रेंस की तैयारी करवाने वाली आकाश कोचिंग को भी बायजूस ने करीब 7300 करोड़ रुपयों में खरीदा. 2022 में फुटबॉल खिलाड़ी लियोनेल मेसी को बायजूस ने अपना ग्लोबल ब्रैंड एंबेसेडर बनाया और कतर में हुए फीफा वर्ल्ड का बायजूस स्पॉन्सर भी बना.

लेकिन आज के बायजूस को देखते हुए ये सब बातें झूठ लगने लग सकती है.

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जब से बना यूनिकॉर्न तब से दिखाई दे रहे खतरे के संकेत

बायजूस को लेकर सबसे ज्यादा बात यही की जाती है कि कंपनी के पास जितने ग्राहक हैं ये ग्राहक अपने आप आकर्षित हो कर नहीं आए. यानी बायजूस पर प्रोडक्ट को बेचने के लिए मिस सेलिंग के आरोप लगते रहे हैं. मिस सेलिंग का मतलब जबरदस्ती प्रोडक्ट को बेच देना, बिना ये देखें कि सामने वाले की क्या जरूरतें हैं. एक प्रसिद्ध निवेशक डॉ अनिरुद्ध मालपानी बायजूज को लेकर कई लेख लिखे जिसमें उन्होंने बताया कि कैसे बायजूस अलग अलग सेल्स स्ट्रेटेजी अपनाकर जबरन प्रोडक्ट्स को बेचता है.

उन्होंने अपने कई लेख में बायजूस पर आरोप भी लगाए कि कंपनी बच्चों के पेरेंट्स के साथ धोखा करती है.

  • उनका आरोप है कि कंपनी के सेल्समैन स्कूल और शिक्षकों के बारे में गलत जानकारी देकर कम पढ़ें लिखे मां-बाप को चेतावनी देते हैं कि अगर उन्होंने बायजूस के ऐप्स नहीं खरीदे तो उनके बच्चे पीछे रह जाएंगे. सेल्समैन ईएमआई पर ऐप्स खरीदवाते हैं और बार बार बची हुई पेमेंट के लिए कॉल करते हैं.

  • डॉ मालपानी का कहना है कि ऐसी कई खबरें सामने आईं लेकिन इसके बावजूद कंपनी को फंडिंग मिलते चली गई.

2022 में बच्चों के अधिकारों की रक्षा करने वाली संस्था - NCPCR ने आरोप लगाया कि बायजूस छात्रों के फोन नंबर "चोरी" कर रहा है और उन्हें उसके पैकेज खरीदने के लिए शर्मिंदा कर रहा है और धमकी दे रहा है. पहले तो बायजूस ने आरोपों को खारिज कर दिया लेकिन बाद में अपने बच्चों को साइन अप करते समय सहमति सुनिश्चित करने और अपने सेल्स एजेंटों को लोगों के घरों में जाने से रोकने का वादा किया. इसके बाद बायजूस कंज्यूमर कोर्ट में केस हार गया. इसके बाद बायजूज के कई कर्मचारी बायजूस की तरफ से सेल्स के लिए पड़ने वाले प्रेशर के बारे में बोलने के लिए आगे आए.

जाहिर तौर पर बायजूस को अपनी स्ट्रेटेजी बदलनी पड़ी लेकिन इसके बाद कंपनी को घाटा होने लगा, महामारी भी दूर जा चुकी थी और बच्चे अब ऑनलाइन से ज्यादा ऑफलाइन पढ़ने के लिए बाहर कोचिंग सेंटर में जाने लगे. फिर बायजूस ने नौकरियों में छंटनी शुरू कर दी, 25 हजार से ज्यादा कर्मचारियों को निकाल दिया गया. कंपनी ने विदेशों में बायजूस का विस्तार करने के लिए कर्ज भी ले रखा था, वह कंपनी चुकाने में अब असमर्थ है.

2023 में फॉरेन एक्सचेंज मैनेजमेंट एक्ट का उल्लंघन करने के आरोप में बायजूस के ऑफिस और बायजू रविंद्रन के घर में ईडी के छापे पड़े. ईडी ने 9 हजार करोड़ रुपये से ज्यादा के उल्लंघन का आरोप लगाते हुए कारण बताओ नोटिस जारी किया.

वर्तमान में बायजूस की क्या स्थिति है?

असेट मैनेजर ब्लैकरॉक ने बायजूस की वैल्यूएशन घटा कर 1 बिलियन डॉलर कर दी है. हाल ही में कंपनी के निवेशकों ने एक्स्ट्राऑडनरी जनरल मीटींग की और बायजू रविंद्रन को सीईओ के पद से हटा दिया, हालांकि बाद में बायजू रवींद्रन ने साफ कर दिया है कि वो कंपनी के सीईओ के तौर पर काम करते रहेंगे.

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