Home Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019Explainers Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019छठ पूजा पर यमुना में कौन केमिकल डाल रही केजरीवाल सरकार? ये वाकई नुकसानदेह है?

छठ पूजा पर यमुना में कौन केमिकल डाल रही केजरीवाल सरकार? ये वाकई नुकसानदेह है?

Chhath Puja: क्या BJP MP परवेश वर्मा का दिल्ली जल बोर्ड पर आरोप सही है कि वो यमुना में जहरीला केमिकल डाल रही है?

सर्वजीत सिंह चौहान
कुंजी
Published:
<div class="paragraphs"><p>सिलिकॉन डिफोमर का इस्तेमाल फूड इंडस्ट्री में भी किया जाता है.</p></div>
i

सिलिकॉन डिफोमर का इस्तेमाल फूड इंडस्ट्री में भी किया जाता है.

(फोटो: Altered by The Quint)

advertisement

एक सरकारी कर्मचारी को डांटते बीजेपी सांसद प्रवेश वर्मा (Parvesh Verma) का एक वीडियो वायरल हुआ जिसमें वो यमुना में किसी केमिकल के छिड़काव को लेकर बात कर रहे हैं और इसे जहरीला बता रहे थे. इस केमिकल को सिलिकॉन डिफोमर बताया जा रहा है.

इस केमिकल को जहरीला बताते हुए कई बीजेपी नेताओं ने ट्वीट किया.

हालांकि, दिल्ली जल बोर्ड के जिस अधिकारी संजय शर्मा को प्रवेश वर्मा फटकार लगा रहे थे, उन्होंने बीजेपी सांसद के खिलाफ एफआईआर भी की है. उन्होंने ये भी कहा है कि जिस केमिकल को नुकसानदेह बताया जा रहा है वो नुकसानदेह नहीं है. उन्होंने केमिकल का नाम पॉलीऑक्सीप्रोपाइलीन बताया. संजय शर्मा के मुताबिक सिलिकॉन डिफोमर और पॉलीऑक्सीप्रोपाइलीन एक ही चीज है.

छठ पूजा और केमिकल का छिड़काव

छठ पूजा में दिल्ली में रहने वाले लोगों के लिए यमुना का अपना महत्व है. इस पूजा में जल में खड़े होकर सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है. लेकिन दिल्ली में यमुना में प्रदूषण खतरनाक स्तर पर पहुंच चुका है. सर्दियों में नदी में झाग काफी बढ़ जाता है. इसे खत्म करने के लिए नदी में एक केमिकल का छिड़काव किया जा रहा था, ताकि लोगों को पूजा करने से पहले नदी का पानी बिना झाग के मिले. अब इसे लेकर विवाद शुरू हो गया है.

प्रदूषित यमुना

(फोटो: क्विंट)

क्या होते हैंं डिफोमर? साइंस जर्नल का क्या है कहना? फायदे-नुकसान

सिलिकॉन डिफोमर: पहले बात कर लेते हैं सिलिकॉन डिफोमर की. क्योंकि दावा तो यही किया जा रहा है कि जिस केमिकल का इस्तेमाल किया जा रहा है वो यही है.

हमें Science Direct में पब्लिश एक जर्नल मिला. जिसमें डिफोमर्स के बारे में बताया गया था. ये समुद्री जल में इस्तेमाल होने वाले डिफोमर के दीर्घकालिक नुकसान के बारे में था.

क्या पता चला इस टेस्ट में?: चूहों में किए गए टेस्ट में पता चला कि डिफोमर के संपर्क में लंबे समय तक रहने से लिवर को नुकसान हो सकता है. हालांकि, इससे चूहों के गुर्दे से जुड़े काम पर कोई खास प्रभाव नहीं पड़ा.

सिलिकॉन डिफोमर का स्ट्रक्चर

(सोर्स: BYK)

वैज्ञानकों का क्या है कहना?

हमने केमिस्ट्री और केमिकल की लैंग्वेज को साफ-साफ और आसान भाषा में समझने के लिए, विज्ञान प्रसार में साइंटिस्ट डॉ. टी. वेंकटेश्वरन से बात की.

क्या कहना था साइंटिस्ट का?

डॉ. वेंकटेश्वरन ने एक सीधा सा उदाहरण दिया. वो उदाहरण था डिटर्जेंट का, जिससे कपड़े साफ किए जाते हैं. उन्होंने कहा:

आप और हम डिटर्जेंट यूज करते हैं ताकि कपड़ों को साफ किया जा सके. अगर उस डिटर्जेंट के पानी पर ज्यादा देर हाथ रखेंगे तो हो सकता है कि आपका हाथ जलने लग जाए. या फिर पी लेंगे तो आपको उल्टी भी आ सकती है. लेकिन आप ऐसा नहीं करते. आप उसका सावधानी से इस्तेमाल करते हैं. बिल्कुल यही चीज डिफोमर पर भी लागू होती है. वो पानी पिया नहीं जा सकता जिसमें ये पड़ा हो. लेकिन यमुना पहले से ही इतनी गंदी है कि उसे इसकी मदद से पहले से ज्यादा साफ किया जा सकता है.
डॉ. वेंकटेश्वरन, साइंटिस्ट
संजय शर्मा के उलट डॉ. वेंकटेश्वरन ने कहा कि सिलिकॉन डिफोमर और पॉलीऑक्सीप्रोपाइलीन अलग चीजें हैं, लेकिन उनका काम एक ही है और सीमित मात्रा में इस्तेमाल से नुकसान नहीं है.

उन्होंने आगे बताया कि अगर एक निश्चित मात्रा में ही इसका इस्तेमाल किया जाए, तो ये उतना नुकसानदायक नहीं है.

इसे डिटर्जेंट के उदाहरण के साथ फिर से समझते हैं

जब हम कपड़े धोने के लिए उसमें डिटर्जेंट डालते हैं, तो उस डिटर्जेंट का एक पार्ट पानी की ओर आकर्षित होता है, वहीं दूसरा पार्ट गंदगी की ओर. इस तरह से गंदगी कपड़ों से बाहर हो जाती है. बिल्कुल वैसे ही डिफोमर काम करता है. जो पानी से गंदगी को अलग करता है.

डिफोमर के काम करने का तरीका

(फोटो: Altered by The Quint)

ADVERTISEMENT
ADVERTISEMENT

कैसे काम करता है डिफोमर? समझिए और आसान भाषा में

मान लीजिए डिफोमर के तौर पर सिलिकॉन डिफोमर इस्तेमाल किया गया. उसे गंदे पानी में डालते ही वो उसमें मौजूद जहरीले फोम को डिजॉल्व करेगा और उसके गंदे पार्ट्स को पानी के नीचे बिठा देगा. जिससे पानी अपेक्षाकृत ज्यादा साफ हो जाएगा. हालांकि, ये पानी पीने लायक तो बिल्कुल भी नहीं होगा.

क्या कहना है दिल्ली जल बोर्ड के अधिकारी संजय शर्मा का?

हमने संजय शर्मा से बात की. ये वही संजय शर्मा हैं जिनके साथ प्रवेश वर्मा ने हाल में ही पानी में केमिकल को डालने को लेकर बदसलूकी की है. संजय शर्मा ने बताया:

दिल्ली जल बोर्ड में चीफ वॉटर एनालिस्ट

(सोर्स:Linkedin)

नेशनल मिशन फॉर क्लीन गंगा (NMCG) के तहत भी गंगा को साफ करने के लिए डिफोमर इस्तेमाल होते हैं. और दिल्ली जल बोर्ड के पास केंद्र सरकार की ओर से इन डिफोमर को इस्तेमाल करने को लेकर दिशानिर्देश भी भेजे गए हैं. नो डाउट इनके कुछ नुकसान हैं लेकिन इनके फायदे भी हैं. क्योंकि अगर पानी हद से ज्यादा गंदा है तो उसे कम गंदा वाली श्रेणी में लाने के लिए ये केमिकल इस्तेमाल होते हैं.

संजय शर्मा ने हमें जल शक्ति मंत्रालय और डिपार्टमेंट ऑफ एनवायरमेंट की ओर से भेजे गए डॉक्युमेंट्स भी भेजे जिनमें से साफ-साफ लिखा हुआ है कि पानी साफ करने के लिए सिलिकॉन बेस्ड एंटी फोमिंग एजेंट का इस्तेमाल किया जाए.

डिफोमर की कितनी मात्रा का इस्तेमाल किया जाता है?

संजय शर्मा आगे बताते हैं कि 100 हिस्से पानी में 1 हिस्सा डिफोमर का इस्तेमाल किया जाता है. इससे ज्यादा डिफोमर नहीं डाला जाता.

फूड इंडस्ट्री में भी इस्तेमाल होता है सिलिकॉन डिफोमर

डॉ. वेंकरमन ने हमें ये भी बताया कि इसका इस्तेमाल फूड इंडस्ट्री में भी फर्मंटेशन के लिए किया जाता है. उन्होंने बताया कि फूड इंडस्ट्री में इसका इस्तेमाल बेहद कम मात्रा में होता है.

कुल जमा बात क्या है?

फिटकरी भी एक केमिकल है. लेकिन उसका इस्तेमाल भी पानी को शुद्ध करने के लिए किया जाता है. केमिकल का सीधा मतलब ये नहीं है कि वो हमेशा शरीर के लिए जहर का ही काम करे.

हां ये बात सही है कि डिफोमर पड़ा पानी पिया नहीं जा सकता. अगर जानवर या इंसान इसका इस्तेमाल करते हैं तो उसके नुकसान हो सकते हैं. लेकिन जिस तरह से बीजेपी लीडर्स ने केमिकल छिड़काव को पेश किया है. वो पूरा सच तो बिल्कुल भी नहीं है.

ज्यादा गंदे पानी को कम गंदे पानी में तब्दील करना: असल में इन केमिकल्स का इस्तेमाल नदियों की सफाई के लिए अंतिम उपाय बिल्कुल भी नहीं है. नदियां साफ करने के लिए विस्तृत योजनाओं और दृढ़ संकल्प की जरूरत है. केमिकल का छिड़काव सिर्फ एक वैकल्पिक रास्ता है. लेकिन ये भी सच है कि इसकी मदद से पानी को कुछ हद तक साफ किया जा सकता है.

साफ है कि जिस चीज के लिए मंत्रालय और केंद्र सरकार निर्देश दे रही है उसी चीज को लेकर लोगों में नेगेटिविटी फैलाने का काम सरकार से जुड़े लोग ही कर रहे हैं.

(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)

Published: undefined

ADVERTISEMENT
SCROLL FOR NEXT