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शॉपिंग में डेबिट या क्रेडिट कार्ड से पेमेंट के दौरान होने वाली धोखाधड़ी सरकार के लिए बड़ा सिरदर्द बनती जा रही है. लिहाजा अब वह बैंकों से ज्यादा से ज्यादा कॉन्टेक्टलेस कार्ड इश्यू करने की अपील कर रही है.
वित्त मंत्रालय ने कहा है कि बैंक अब अपने ग्राहकों को नियरफील्ड कम्यूनिकेशन (NFC-NEAR FIELD COMMUNICATION) टेक्नोलॉजी पर आधारित कॉन्टेक्टलेस डेबिट और क्रेडिट कार्ड इश्यू करें ताकि इनका इस्तेमाल शॉपिंग के साथ, बस स्टेशनों, रेल और मेट्रो के सफर में टिकट खरीदने के लिए भी किया जा सके. आइए जानते हैं कॉन्टेक्टलेस कार्ड की खासियत और ऑनलाइन फ्रॉड से बचाने में उसकी भूमिका के बारे में छह कार्ड में
कॉन्टेक्टलेस कार्ड के इस्तेमाल से ऑनलाइन धोखाधड़ी की आशंका कम हो जाती है क्योंकि इन्हें पीओएस मशीन में स्वाइप या डिप नहीं करना पड़ता है. कार्ड दूसरे के हाथ में नहीं जाता. कार्ड को पीओएस टर्मिनल पर हल्का सा छुआना या इसके सामने हिलाना होता है और फिर पिन डालना होता है.
वित्त मंत्रालय और इस तरह के कार्ड इश्यू करने वाली कंपनियों का दावा है कि नियर फील्ड कम्यूनिकेशन पर आधारित होने की वजह से ये कार्ड बेहद सुरक्षित हैं. कॉन्टेक्टलेस कार्ड को नेक्स्ट जेनरेशन कार्ड कहा जा रहा है जिससे पेमेंट ज्यादा तेज, सुविधाजनक और सेफ हो जाता है. कार्ड इश्यू करने वाली कंपनियों का दावा है कि इससे ट्रांजेक्शन तीन गुना तेज हो जाता है लेकिन इनके पूरी तरह सेफ होने को लेकर अभी पूरा भरोसा नहीं है.
कॉन्टेक्टलेस कार्ड नियर फील्ड कम्यूनिकेशन (NFC) टेक्नोलॉजी पर काम करते हैं, जिससे पेमेंट डिवाइस नजदीकी दायरे में रेडियो फ्रीक्वेंसी आइडेंटिफिकेशन के कॉन्टेक्ट में आ जाते हैं. यह ब्लूटूथ या वाई-फाई जैसा ही होता है. कम से कम 4 सेंटीमीटर के दायरे में एनएफसी आधारित चीजों के बीच इससे कम्यूनिकेशन होने लगता है.
कॉन्टेक्टलेस कार्ड को पीओएस या कार्ड रीडर पर हल्के से छुआना इसके सामने हिलाना पड़ता है और फिर पिन डालना होता है. कार्ड आपके हाथ में ही रहता है. इसे दुकानदार को देना नहीं पड़ता है. जाहिर है कार्ड स्वाइप होने या इलेक्ट्रॉनिक डाटा कैप्चर रीडर (EDC) में डीप होने से बच जाता है. कहा जा रहा है कि इस वजह से धोखाधड़ी की आशंका से आप बच जाते हैं. इन कार्ड के लिए नए पीओएस की जरूरत नहीं है. पारंपरिक पीओएस एनएफसी टेक्नोलॉजी पर काम कर सकते हैं.
कुछ देशों में NFC टेक्नोलॉजी पर आधारित कॉन्टेक्टलेस कार्ड चलन में हैं. लेकिन यहां फ्री मोबाइल ऐप के जरिये हैकिंग और एनएफसी डाटा चोरी कर धोखाधड़ी के मामले सामने आए हैं. कहने का मतलब यह है कि एनएफसी टेक्नोलॉजी अभेद्य नहीं है और इसमें सेंध लगा कर धोखाधड़ी हो सकती है.
कुछ कार्ड होल्डर्स के सामने मौजूद हैकर फोन के जरिये उनकी सूचनाएं चुरा चुके हैं. हालांकि EMV चिप टेक्नोलॉजी पर आधारित कॉन्टेक्टलेस कार्ड सुरक्षित माने जा रहे हैं क्योंकि इनमें डिवाइस को चीप की ओर से भेजे गए इनक्रिप्टेड (एक खास कोड में लिखे गए) संदेश पढ़ने होते हैं.
कार्ड इश्यू करने वाली कंपनियों का कहना कि अगर इन कार्डों के डेटा चुरा भी लिए गए तो इनका इस्तेमाल धोखाधड़ी में नहीं हो सकता क्योंकि इनमें कई सिक्यूरिटी लेयर्स होते हैं. कार्ड के डेटा चुराए नहीं जा सकते. हालांकि फोरेंसिक एक्सपर्ट कहते हैं कि यह दावा पुख्ता नहीं है.नेट से फ्री में स्कीमिंग ऐप डाउनलोड कर इनके डेटा चुराए जा सकते हैं. धोखाधड़ी करने वाले इनके डिटेल बदल सकते हैं और फ्रॉड को अंजाम दे सकते हैं.
कार्ड इश्यू करने वाले बैंक और कंपनियां कॉन्टेक्टलेस कार्ड होल्डर के लिए जीरो लाइबिलिटी पॉलिसी ला रही है. जिसमें कार्ड होल्डर किसी भी गैर अधिकृत ट्रांजेक्शन के लिए जिम्मेदार नहीं होंगे. इसके अलावा कुछ बैंक एक लाख रुपये तक रिस्क कवर कर रहे हैं.
एक्सपर्ट कॉन्टेक्टलेस कार्ड को ज्यादा सेफ रखने के लिए इसे एल्यूमीनियम फ्वायल या स्टील केस में रखने की सलाह देते हैं जिससे ऐप का इस्तेमाल कर कार्ड के डेटा न चुराए जा सकें.
सरकार इस वित्त वर्ष में 30 अरब डिजिटल ट्रांजेक्शन का लक्ष्य हासिल करना चाहती है. उसका कहना है कि कॉन्टेक्टलेस कार्ड से ट्रांजेक्शन आसान भी होगा और इसका दायरा भी बढ़ेगा. रेल, मेट्रो और बसों में ऐसे कार्ड के इस्तेमाल से ट्रांजेक्शन तेज और सुविधाजनक होगा. यह डिजिटल ट्रांजेक्शन की गति को भी बढ़ाएगा.
सेफ होने की वजह से सरकार को साइबर सिक्यूरिटी पर कम खर्च करना पड़ेगा. वित्त मंत्रालय को उम्मीद है कि एक बार बैंक ऐसे कार्ड बड़े पैमाने पर इश्यू करना शुरू कर दें तो लोग इनके अभ्यस्त हो जाएंगे. इस्तेमाल में आसान और सेफ होने की वजह से ज्यादा से ज्यादा लोग ऐसे कार्ड का इस्तेमाल करेंगे.
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