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चुनाव आयोग ने मंत्री चंद्रशेखर के हलफनामे में 'गड़बड़ियों' की जांच के निर्देश क्यों दिए?

2021-22 के लिए हलफनामे में चंद्रशेखर की टैक्सेबल इनकम 680 रुपये बताई गई है.

मीनाक्षी शशि कुमार
कुंजी
Published:
<div class="paragraphs"><p>चुनाव आयोग ने मंत्री चंद्रशेखर के हलफनामे में 'गड़बड़ियों' की जांच का निर्देश क्यों दिया?</p></div>
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चुनाव आयोग ने मंत्री चंद्रशेखर के हलफनामे में 'गड़बड़ियों' की जांच का निर्देश क्यों दिया?

(फोटो- क्विंट हिंदी) 

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चुनाव आयोग (ECI) ने 9 अप्रैल को सेंट्रल बोर्ड ऑफ डायरेक्ट टैक्सेस (सीबीडीटी) विभाग को केरल के तिरुवनंतपुरम लोकसभा क्षेत्र में बीजेपी (BJP) उम्मीदवार राजीव चंद्रशेखर (Rajeev Chandrasekhar) के चुनावी हलफनामे में कथित गड़बड़ियों की जांच करने का निर्देश दिया है.

चुनाव आयोग ने 5 अप्रैल को विपक्षी पार्टी कांग्रेस द्वारा दायर एक शिकायत पर संज्ञान लिया, जिसमें आरोप लगाया गया कि केंद्रीय राज्य मंत्री ने "झूठा चुनावी हलफनामा" दायर किया है और उनकी वास्तविक और घोषित संपत्ति और आय में गड़बड़ियां हैं.

चंद्रशेखर के हलफनामे में साल 2021-22 के लिए उनके "इनकम टैक्स रिटर्न में दिखाई गई कुल इनकम" 680 रुपये बताई गई है. 2020-21 में कुल टैक्सेबल इनकम 17.5 लाख रुपये और 2022-23 में 5.59 लाख रुपये दिखाई गई है.

सुप्रीम कोर्ट की वकील और कांग्रेस सदस्य अवनी बंसल द्वारा दायर शिकायत में आरोप लगाया गया है: "2021-22 के इनकम टैक्स रिटर्न में जो टैक्सेबल इनकम दिखाई गई है, यह राजीव चंद्रशेखर के भ्रष्ट आचरण का प्रमाण है, जो भारत में सबसे अमीर संसद सदस्य के रूप में जाने जाते हैं."

शिकायत में आगे आरोप लगाया गया कि "स्व-घोषित अरबपति" चंद्रशेखर ने हलफनामे में अपने घरों और लग्जरी कारों सहित अपनी सभी संपत्तियों का जिक्र नहीं किया.

केरल में सत्तारूढ़ पार्टी सीपीआई (एम) ने भी कथित तौर पर अपनी संपत्ति को "गलत तरीके से पेश करने" के लिए चंद्रशेखर के खिलाफ शिकायत दर्ज की है.

तो, आखिर विवाद क्या है? चलिए आपको बताते हैं.

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कांग्रेस की शिकायत में क्या कहा गया है?

शिकायत में आरोप लगाया गया है कि चंद्रशेखर ने कुल 14.4 करोड़ रुपये की अचल संपत्ति (जैसे घर, जमीन, आदि) घोषित की है, लेकिन बेंगलुरु के "पॉश इलाके" में "किराये से मिली इनकम, या किराये के पेमेंट, या उनके अपने घर के पते" का कोई जिक्र नहीं है.

शिकायत में ये भी दावा किया गया है कि उन्होंने अपनी संपत्ति की घोषणा वर्तमान चुनावी हलफनामे के साथ-साथ 2018 के राज्यसभा चुनाव में भी नहीं की थी.

चन्द्रशेखर ने अपने हलफनामे में 1994 में 10,000 रुपये में खरीदी गई '1942 मॉडल रेड इंडियन स्काउट' बाइक की भी घोषणा की है. कांग्रेस की शिकायत में आरोप लगाया गया कि कई मीडिया रिपोर्ट्स में केंद्रीय मंत्री को "कई लक्जरी कारों" का मालिक दिखाया गया है.

शिकायत में चंद्रशेखर पर "बार-बार अपराध" दोहराने का आरोप लगाया है, और कहा गया कि उनके 2018 के राज्यसभा चुनाव हलफनामे में भी गड़बड़ियां थीं. 2019 में, बेंगलुरु स्थित रेनजिथ थॉमस ने दिल्ली हाई कोर्ट में एक जनहित याचिका दायर की थी, जिसमें दावा किया गया था कि चंद्रशेखर ने अपने राज्यसभा चुनाव हलफनामे में जानकारियां छिपाई हैं.

ये तब पता चला जब मार्च 2019 में स्क्रॉल.इन की रिपोर्ट में कथित तौर पर उनके द्वारा नियंत्रित कंपनी जूपिटर कैपिटल का हलफनामे में जिक्र नहीं था.

अवनी बंसल ने यह भी कहा कि ये दूसरी बार है, जब चुनाव आयोग ने चंद्रशेखर की संपत्ति के संबंध में उनकी शिकायत टैक्स विभाग को भेजी है - पहली बार 2022 में भी शिकायत भेजी थी.

अवनी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा कि, "सवाल यह है कि @ECISVEEP (चुनाव आयोग) ने 2022 से अब तक @Rajeev_GoI (राजीव चंद्रशेखर) के खिलाफ क्या किया है? वास्तव में 2019 से, जब हमने पहली बार @Rajeev_GoI के 2018 के राज्यसभा चुनावों के बाद इसे उनके संज्ञान में लाया था. अब, इसे फिर से CBDT (टैक्स विभाग) को भेज रहे हैं? इसका क्या मतलब है क्या उचित समय में कार्रवाई होगी?

राजीव चंद्रशेखर ने क्या कहा?

9 अप्रैल को चुनाव आयोग ने जब सीबीडीटी (टैक्स विभाग) को कथित "गड़बड़ियों" की जांच करने का आदेश दिया था, उसके बाद, राजीव चंद्रशेखर ने एक्स पर लिखा कि, "ECI या CBDT द्वारा जांच कांग्रेस की झूठी राजनीति को उजागर करने एक अच्छा तरीका है. जैसा कि मैंने पहले कहा था, जब कांग्रेस ने कुछ साल पहले यह कोशिश की थी, तब मेरी जानकारी की कानूनी रूप से जांच हुई थी और सब सही निकला था."

4 अप्रैल को, कांग्रेस ने चंद्रशेखर के पिछले चुनावी हलफनामों में गड़बड़ियों का आरोप लगाते हुए एक वीडियो डाला था, जिसके बाद, केंद्रीय मंत्री चंद्रशेखर की टीम ने एक प्रेस रिलीज में आरोपों को "झूठा" बताया था.

चन्द्रशेखर ने कांग्रेस द्वारा आदर्श आचार संहिता के उल्लंघन का हवाला देते हुए केरल के मुख्य निर्वाचन अधिकारी से भी शिकायत की थी:

"कांग्रेस... इस आधार पर कई अप्रमाणित और फर्जी आरोप लगा रही है कि मैंने अपने राज्यसभा चुनाव के दौरान चुनाव आयोग के समक्ष एक झूठा हलफनामा, विशेष रूप से अपनी संपत्ति और धन के संबंध में पेश किया है. हालांकि, चुनाव आयोग या किसी अन्य सक्षम प्राधिकारी ने मेरे हलफनामे को झूठा नहीं पाया है, जबिक मैं कम से कम 2006 से चुनावी राजनीति में शामिल हूं."

कानून कहता है कि यदि कोई उम्मीदवार नामांकन पत्र या चुनावी हलफनामे में जानकारी छिपाता है, तो यह लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 का उल्लंघन है. उम्मीदवार को 6 महीने की जेल या जुर्माना हो सकता है.

हालांकि, चुनावी हलफनामे में उम्मीदवारों द्वारा जानकारी का खुलासा नहीं करने के बारे में एक अलग याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने 9 अप्रैल को कहा:

"यह जरूरी नहीं कि एक उम्मीदवार अपने या खुद पर निर्भर परिवार के सदस्यों की चल संपत्ति (जैसे कार, आदि) की हर चीज की घोषणा करे, जैसे कि कपड़े, जूते, क्रॉकरी, स्टेशनरी और फर्नीचर आदि, जब तक कि वह इतनी मूल्यवान न हो कि एक बड़ी संपत्ति बन जाए."
इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार, सुप्रीम कोर्ट ने कहा...

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