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लोकसभा चुनाव 2024 आते ही नेताओं के रंग ढंग बदले-बदले नजर आ रहे हैं. वो वोटरों की सहानुभूति हासिल करने के लिए समोसे से लेकर चाउमीन तक का जोर लगा रहे हैं... कोई लोगों के बीच जाकर उनके काम में हाथ बंटा रहा है तो कोई उन्हीं की तरह बनकर उनका काम करके दिखा रहा है... दरअसल, चुनावी सहालग की बेला है तो मतों के बाजार में हर कोई अच्छी स्कीम के साथ इंवेस्टमेंट कर रहा है. आइए जानते हैं कि इन ‘अभि’ नेताओं... माने चुनावी मौसम वाले नेताओं की जनता के लिए लुभावनी साजिशें....माफ कीजिए कोशिशें!
वैसे तो देश की राजनीति में तैनात हर सिपाही अपने आप में मंझा खिलाड़ी है और खुद को पेश करने का सबका अपना तरीका है. लेकिन कुछ नेताओं का अंदाज-ए-खास रुपहले पर्दे पर सीटियां बजवा ही देता है. ऐसे में मौसम चुनावी हो तो राजनीतिज्ञों के रक्त में समर्पण उबलने लगता है और हर अंदाज प्रयास का रूप लेने लगता है.
वहीं सुर्खियों में रहने वाले सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के नेता ओमप्रकाश राजभर भी जमीन से कम नहीं जुड़े हैं. पिछले दिनों वो प्रचार के दौरान किसानों से मिलने खेत पर पहुंच गए और खुद ही गेहूं की फसल काटी. फिर क्या ये वीडियो तो वायरल होना ही था. इससे उन्होंने खूब वाहवाही भी लूटी.
यही जुड़ाव अलवर लोकसभा सीट से बीजेपी के प्रत्याशी भूपेंद्र यादव का नजर आया, जब वो प्रचार के दौरान मुंडावर पहुंचे और कड़ी धूप में खेत में हो रही फसल कटाई में महिलाओं का हाथ बंटाया.
पार्टी के जुदा रंग और प्रत्याशी के अनोखे ढंग इन दिनों हर किसी के दिल को छू रहे हैं. भले ही लोग इसे अल्पकालिक कह रहे हैं लेकिन इस मौसम में तो इनके सभी डायलॉग और एक्शन हिट ही हो रहे हैं.
खास बात ये है कि प्रत्याशी अपने लिए अनूठे तरीके ढूंढ भी लाते हैं और किसी भी तरह सुर्खियों में तो आ ही जाते हैं. इटावा लोकसभा क्षेत्र से एसपी प्रत्याशी जितेंद्र दोहरे तो प्रचार के दौरान गांव-गांव भ्रमण करते नजर आए, देखा महिलाएं चारा काट रही हैं तो वो भी हत्था पकड़ने में कतई नहीं सकुचाए.
मतदान में समय कम है तो मत जुटाने के प्रयास भी उसी गति से हो रहे हैं. नेता मिनट-मिनट बचाकर हर पल को प्रचार के तौर पर उपयोग कर ले रहे हैं. हाल ही में विपक्ष के बड़े नेता के हेलिकॉप्टर में तकनीकी गड़बड़ी आने से उन्हें शहडोल में रात गुजारी. इस दौरान भी उन्होंने चुनाव प्रचार में कोई लापरवाही नहीं की.
समय का सदुपयोग करते हुए उन्होंने स्थानीय दौरा किया और रास्ते में महुआ के फूल बीनती महिलाओं का साथ दिया. नेताओं के तो खैर ये केआरए का हिस्सा है- जितना फील्ड वर्क उतना अच्छा वोट बोनस. लेकिन अब तो उनके परिवार भी चुनावी रणभेरी में मोर्चा संभाले हुए हैं. खून के रिश्ते के खातिर वेश भी ले लेते हैं और उसी परिवेश में खुद को ढाले हुए हैं.
मध्य प्रदेश में केंद्रीय मंत्री और बीजेपी नेता माधवराव सिंधिया को ही ले लीजिए, लेकिन इससे पहले उनके बेटे महाआर्यमन सिंधिया को जेहन में बैठा लीजिए. जी हां, चुनाव प्रचार में महाआर्यमन पिछले दिनों एक तरफ समोसे तलते नजर आए तो दूसरा तरफ अपना आध्यात्मिक चेहरा सामने रखकर भजन भी गाए.
वो आम लोगों के बीच जाकर अक्सर उनकी रोजमर्रा की गतिविधियों में शामिल होकर उनके जैसा दिखने का प्रयास कर रहे हैं. पुत्र धर्म निभाते हुए चुनावी रंग लोगों के मन में भर रहे हैं.
जो भी हो, चुनाव से पहले नेताओं के ये बसंती रंग लोगों को क्षणिक ही सही लेकिन राहत तो पहुंचा ही रहे हैं. फोटो क्लिक होने तक ही सीमित लेकिन पल भर का हाथ तो बंटा रहे हैं. ऐसे में कहना गलत नहीं होगा कि लोगों के लिए मतदान का सफर चुनावी राह से ज्यादा सुकून भरा है क्योंकि हर नेता इन्हीं कुछ हफ्तों में उनकी अहमियत समझता है. प्रचार की शुभ बेला में ही वो उनकी पसीने वाली शर्ट पर हाथ तो रखता है, साथ में फोटो भी खिंचवाता है.
इसी समय बुजुर्गों की सेवा से नेताओं को स्वर्ग का अहसास होता है, महिलाओं में दुर्गा दिखती है तो बच्चों में राम नजर आता है. अब देखना ये है कि नेताओं के ये चुनावी जतन मतदान में कितना वजन डालते हैं. जनता है, वाकई सबकुछ जानती है या लोग प्रचार के दौरान छपी उनकी तस्वीरों का कर्ज उतारते हैं!
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