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लोकतंत्र के महापर्व ‘चुनाव’ वाले दिन ‘पहले मतदान करें, बाद में कुछ काम करें’. चुनाव देश के लोकतंत्र का सबसे अहम पहलू है. अगर आप पहली बार वोट डालने जा रहे हैं, तो ये समझना बेहद जरूरी है कि आखिर इसका पूरा प्रोसेस क्या है, पोलिंग बूथ पर जाकर क्या करें, अपने पसंदीदा उम्मीदवार के लिए कैसे वोट करें?
आजादी के बाद साल 1951-52 में जब पहली बार चुनाव हुए थे, तब बैलेट पेपर के जरिए वोट डाले जाते थे. चुनाव की प्रक्रिया को निष्पक्ष, आसान और भरोसेमंद बनाने के लिए इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (EVM) आई. साल 2004 से देश में पूरी तरह से EVM के जरिए ही वोट डाले जा रहे हैं. आइए पहले समझते हैं वोट डालने का पूरा प्रोसेस.
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पोलिंग बूथ में एक प्रेडिसिंग ऑफिसर, 4-5 पोलिंग ऑफिसर और कुछ एजेंट्स होते हैं. पोलिंग ऑफिसर लाइन से बैठे होते हैं. बूथ में एंट्री करते ही पोलिंग ऑफिसर को अपना वोटर आईडी कार्ड दिखाएं. ऑफिसर वोटिंग लिस्ट से मतदाता के नाम का मिलान करते हैं.
इसके बाद दूसरे पोलिंग ऑफिसर को अपना पहचान पत्र दिखाए. वो वोटर आईडी से इलेक्ट्रोल नंबर देखकर रजिस्टर में दर्ज करेंगे. तीसरे पोलिंग ऑफिसर उंगली पर स्याही लगाकर ईवीएम पर वोट डालने की अनुमति दे देंगे.
इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन एक वोटिंग कंपार्टमेंट में रखी होती है. मशीन में बाएं तरफ सभी उम्मीदवारों का नाम और उनकी पार्टी का चुनाव चिन्ह छपा होता है. हर उम्मीदवार के नाम के आगे लाल लाइट और एक नीला बटन होता है. वोट देने के लिए ये स्टेप फॉलो करें-
वोट डालते ही मशीन लॉक हो जाती है. अब अगर दोबारा ईवीएम पर कोई बटन दबाया जाता है, तो मशीन इसे रिकॉर्ड नहीं करती है. क्योंकि ईवीएम लॉक हो चुकी होती है.
मतदाता ने अपने पसंदीदा उम्मीदवार को वोट दे दिया, लेकिन ये कैसे मालूम करें कि वोट उसी उम्मीदवार को गया है. इस बात की पुष्टि EVM के पास रखी VVPAT मशीन से की जा सकती है.
मतदाता ने जिस प्रत्याक्षी और पार्टी को वोट दिया है उसका नाम इस पर्ची से जरूर मिलान कर लेना चाहिए. ताकि वोट किसी दूसरे प्रत्याक्षी या उम्मीदवार को न चला जाए. अगर ये नाम नहीं मिलता है तो पोलिंग बूथ पर मौजूद प्रेडिसिंग ऑफिसर से इसकी शिकायत करें.
भारत में 18 साल या उससे अधिक उम्र के हर व्यक्ति को वोट डालने का अधिकार है. वोट डालने के लिए मतदाता के पास वोटर आईडी (पहचान पत्र) होना जरूरी है. चुनाव वाले दिन पोलिंग बूथ पर जाने से पहले ये सुनिश्चित कर लें कि आपने वोटर आईडी रख ली है.
चुनाव से करीब 10-15 दिन पहले वोटिंग लिस्ट में अपना नाम जरूर चेक कर लें. कभी-कभी वोटर आईडी बने होने के बावजूद वोटिंग लिस्ट में नाम नहीं होता है. अगर लिस्ट में आपका नाम नहीं है, तो फॉर्म 6 भरकर अपने एरिया के बीएलओ के पास जमा कर दें. ऐसा करने से वोटिंग लिस्ट में नाम जोड़ दिया जाएगा.
ईवीएम पूरी तरह से टेंपर प्रूफ होती हैं. ये एक चिप के जरिए काम करती है जिसे सिर्फ एक बार ही प्रोग्राम किया जा सकता है. वोटिंग के समय ईवीएम को कंट्रोल यूनिट के जरिए कंट्रोल किया जाता है.
कंट्रोल यूनिट चुनाव के दौरान पोलिंग ऑफिसर के पास रहता है. ऑफिसर कंट्रोल यूनिट पर एक बटन दबाता है. इसके बाद ही मतदाता ईवीएम मशीन पर अपने मनपसंद उम्मीदवार के चुनाव चिन्ह के सामने वाले बटन को दबा पाता है.
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