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फोर्टिस केस: कारोबार भी चौपट हुआ और भाई,भाई भी न रहा  

दोनों भाइयों का झगड़ा अब मारपीट की हद तक जा पहुंचा है. ये कॉरपोरेट जगत के फैमिली वॉर की कहानी है.

वैभव पलनीटकर
कुंजी
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कभी ये भी दिन थे.....
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कभी ये भी दिन थे.....
(फोटो: रॉयटर्स)

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भारतीय हेल्थकेयर इंडस्ट्री की नामी गिरामी कंपनी फोर्टिस हेल्थकेयर का केस सुप्रीम कोर्ट में चल रहा है. जापानी कंपनी ने दायची ने फोर्टिस हेल्थकेयर के पूर्व प्रमोटर मिलविंदर-शिविंदर सिंह पर केस करके रेनबैक्सी डील में गड़बड़ी का आरोप लगाया था. दायची का कहना है कि दोनों भाइयों ने अपनी हिस्सेदारी बिना कोर्ट की मंजूरी के बेच दी.

इसी मामले की सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने हिस्सेदारी बढ़ाने-घटाने पर रोक लगा दी. लेकिन अब फोर्टिस कंपनी और इसमें हिस्सा खरीदने वाली IHH हेल्थकेयर मुश्किल में फंसते नजर आ रही हैं.  हिस्सेदारी खरीदने-बेचने पर सुप्रीम कोर्ट के स्टे से फोर्टिस के शेयर गिर रहे हैं. आइए समझते हैं इस पूरे मामले को.

दोनों भाइयों की कारोबारी कहानी

देश की फार्मा और हेल्थकेयर इंडस्ट्री का जाना पहचाना चेहरा रहे दो भाई शिविंदर और मलविंदर. पहले रेनबैक्सी और बाद में फोर्टिस, रेलिगेयर जैसी कंपनियों के मालिक रहे इन दोनों का झगड़ा अब मारपीट की हद तक जा पहुंचा है. ये कॉरपोरेट जगत के फैमिली वॉर की कहानी है. 2008 में शिविंदर-मलविंदर ने अपने पिता की बनाई कंपनी रैनबैक्सी को बेच दिया. रैनबैक्सी बेचकर जो मोटा पैसा मिला उससे इन भाइयों ने मिलकर फोर्टिस हेल्थकेयर कंपनी खड़ी की. फोर्टिस को खड़ा करने के लिए कर्ज लेकर जबरदस्त पैसा झोंका. कारोबार में नुकसान की वजह से बहुत घाटा हुआ. इसका कर्ज चुकाने के लिए इन्होंने फोर्टिस हेल्थकेयर में अपनी हिस्सेदारी मलेशियन कंपनी IHH हेल्थकेयर को बेची. अब शिविंदर-मलविंदर का दोनों कंपनी में कोई पद नहीं है.

अभी किस मामले में सुनवाई चल रही है?

सुप्रीम कोर्ट में फोर्टिस मामले की सुनवाई चल रही है जिसमें फोर्टिस की कंपनी में हिस्सेदारी बेचे जाने की याचिका पर सुनवाई होगी. इसके पहले 14 दिसंबर को सुप्रीम कोर्ट में जापानी कंपनी दायची ने फोर्टिस हेल्थकेयर में हिस्सेदारी ट्रांसफर न किए जाने को लेकर सुप्रीम कोर्ट में याचिका दी थी. जिसमें कोर्ट ने कंपनी की हिस्सेदारी में यथास्थिति बनाए रखने का आदेश दिया था. फोर्टिस हेल्थ को कुछ ही दिन पहले मलेशियन कंपनी IHH हेल्थकेयर ने खरीदा था, IHH हेल्थकेयर चाहती है कि वो कंपनी में अपनी मेजोरिटी हिस्सेदारी खरीद ले. लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने दायची की याचिका के बाद हिस्सेदारी पर जो यथास्थिति बरकरार रखने का आदेश दिया है इससे IHH हेल्थकेयर हिस्सेदारी ट्रांसफर नहीं कर पा रही है.

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दायची के फोर्टिस हेल्थकेयर और दोनों भाइयों पर क्या आरोप है?

जापानी कंपनी दायची सैंक्यो ने मलविंदर सिंह और शिवेंदर सिंह से रैनबैक्सी कंपनी करीब 9500 करोड़ रुपए में खरीदी थी. जब ये डील हुई थी तो इसे फार्मा सेक्टर की सबसे बड़ी डील करार दिया गया था. लेकिन सौदा पूरा होने के बाद रेनबैक्सी पर कई सारी ड्रग एजेंसियों की नेगेटिव रिपोर्ट आईं. रेनबैक्सी ने कंपनी के पूर्व प्रोमोटर पर आरोप लगाया कि मलविंदर और शिविंदर सिंह ने डील में सभी जानकारियों का खुलासा नहीं किया. दोनों भाइयों पर 500 मिलियन डॉलर के घपले का आरोप है. इसी आरोप पर अभी तक फोर्टिस के पूर्व प्रमोटर इन भाइयों पर केस चल रहा है.

दायची सैंक्यो का आरोप है कि फोर्टिस हेल्थकेयर के पूर्व प्रोमोटर शिविंदर सिंह मलविंदर सिंह ने कोर्ट की रोक के बावजूद भी अपने शेयर बेच दिए. फोर्टिस ने पिछले साल ही मलेशिया की IHH हेल्थकेयर को फोर्टिस की 31.1% हिस्सेदारी बेची थी. इसके अलावा 26% हिस्सेदारी खरीदने के लिए IHH हेल्थकेयर ओपन ऑफर लाने वाली थी.

IHH हेल्थकेयर को क्या दिक्कत है?

जब शिविंदर सिंह और मलविंदर सिंह पर कर्ज बहुत ज्यादा बढ़ गया तो उन्होंने फोर्टिस हेल्थ में हिस्सा बेचने का फैसला किया. ये हिस्सेदारी खरीदी मलेशियन कंपनी IHH हेल्थकेयर ने. रैनबैक्सी-दायची डील में गड़बड़ी पर शिविंदर-मलविंदर पर केस चल रहा था, तब ये दोनों भाई फोर्टिस हेल्थकेयर के बोर्ड का  हिस्सा थे. दायची का आरोप है कि इन्होंने फोर्टिस में अपना हिस्सा बेचकर कोर्ट के आदेश की अवमानना की है. इसी अवमानना के मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट में केस चल रहा है. कोर्ट ने फोर्टिस में हिस्सेदारी खरीदने बेचने पर रोक लगा दी है. इसलिए अब IHH हेल्थकेयर ओपन ऑफर के जरिए जो हिस्सेदारी बढ़ाना चाह रही है वो नहीं बढ़ा पा रही है.

आइए देखते हैं , अभी फोर्टिस में किसकी कितनी हिस्सेदारी है

दोनों भाइयों में लड़ाई की क्या वजह है?

शिविंदर सिंह और मलविंदर सिंह भाइयों ने आध्यात्मिक संस्था से जुड़े गुरिंदर सिंह ढिल्लों को 2500 करोड़ रुपए का कर्ज दिया था. इन्होंने ढिल्लन परिवार को कर्ज क्यों दिया इसका सीधा-सीधा जवाब नहीं है. जब कर्ज दिया था तब दोनों भाइयों का कारोबार बढ़िया चल रहा था लेकिन आज हालात खराब हैं. अब इसी पैसे को वापस लेने को लेकर झगड़ा चल रहा है. शिविंदर ने अपने बड़े भाई पर मलविंदर पर फोर्टिस को भी डुबाने का आरोप लगाते हुए नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल में याचिका डाल दी. बीते साल इस लड़ाई ने हद पार कर दी. 7 दिसंबर को दोनों भाइयों के बीच मारपीट होने की खबरें आईं.

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