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इस साल मौसम ने ऐसी करवट बदली कि फरवरी की गुलाबी सर्दी में ही गर्मी का एहसास होने लगा और मार्च आते-आते लोगों को गर्मी सताने लगी है. ये तो अभी शुरुआत है, इस साल और अधिक गर्मी पड़ने के आसार हैं ? मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) (IMD) के अनुसार, 1901 के बाद से सबसे गर्म फरवरी (February) दर्ज की गई, जो कि यह दर्शाता है कि देश में इस साल और तेज गर्मी का सामना करना पड़ सकता है. बीबीसी (BBC) के मुताबिक फरवरी में औसत अधिकतम तापमान 29.5 डिग्री सेल्सियस (℃) था.
पिछले हफ्ते, आईएमडी ने बताया था कि मार्च और मई के बीच लू चलने की ज्यादा से ज्यादा संभावना है.
आईएमडी के अनुसार मार्च से मई तक के महीनों में पूर्वोत्तर भारत, पूर्व और मध्य भारत के अधिकांश हिस्सों और उत्तर-पश्चिम भारत के कुछ हिस्सों में सामान्य से अधिक तापमान होने की संभावना है. मार्च, अप्रैल और मई के महीनों में मध्य और उससे जुड़े उत्तर-पश्चिम भारत के क्षेत्रों में लू चलने के आसार हैं.
गर्मियों में मुख्य रूप से मार्च के महीने में दक्षिण प्रायद्वीपीय भारत को छोड़कर देश के अधिकांश हिस्सों में सामान्य से अधिक न्यूनतम तापमान होने की संभावना है. हालांकि दक्षिण भारत में इसके विपरीत मौसम रह सकता है ,जहां सामान्य से कम तापमान रहने की संभावना है.
इंटरगवर्नमेंटल पैनल ऑन क्लाइमेट चेंज Intergovernmental Panel on Climate Change) ने 2022 में प्रकाशित अपनी हालिया रिपोर्ट में संभावना जताई थी कि आने वाले सालों में भारत में हीटवेव और अधिक गंभीर हो जाएगा.
एनआरडीसी इंडिया के लीड हेल्थ एंड क्लाइमेट रेजिलिएंस अभियंत तिवारी ने द क्विंट को बताया कि हर गुजरते साल के साथ, गर्मियां लंबी होती जा रही हैं. उन्होंने आने वाले सालों के लिए चिंता जताई और कहा कि पिछले साल मार्च 100 साल में सबसे गर्म मार्च था. इस साल फरवरी सबसे गर्म रहा.
यह कहना गलत नहीं होगा कि गर्मियों की अवधि बढ़ने और गर्मी के संपर्क में आने से कई स्वास्थ्य समस्याएं हो जाएगीं. उन्होंने यह भी कहा कि पिछले साल की तरह इस साल भी तापमान के कारण बिजली से जुड़ी समस्याएं हो सकती हैं.
केंद्रीय विद्युत प्राधिकरण (The Central Electricity Authority) के अनुमान के अनुसार अप्रैल में बिजली की अधिकतम मांग 229 गीगावाट रह सकती है. एजेंसी के अनुसार बिजली की मांग अप्रैल में सबसे अधिक 1,42,097 मिलियन यूनिट होगी जो मई महीने के लिए 1,41,464 एमयू के अनुमान से ज्यादा है.
रीयुटर्स के द्वारा सरकारी आंकड़ों और आंतरिक दस्तावेजों के हिसाब से अप्रैल में रात में बिजली की मांग 217 गीगावॉट तक पहुंच सकती है. ग्रिड कंट्रोलर ऑफ इंडिया लिमिटेड ने 3 फरवरी को एक नोट में कहा था कि स्थिति थोड़ी तनावपूर्ण है.
भारती इंस्टीट्यूट ऑफ पब्लिक पॉलिसी, इंडियन स्कूल ऑफ बिजनेस के रिसर्च डायरेक्टर डॉ. अंजल प्रकाश ने द क्विंट को बताया कि ज्यादा तापमान न केवल किसी व्यक्ति के स्वास्थ्य पर प्रभाव डालता है, बल्कि इसका प्रभाव अर्थव्यवस्था के अलग-अलग क्षेत्रों में भी महसूस किया जाता है.
उन्होंने आगे कहा कि पहले भी हीटवेव के कारण से किसानों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ा है. और फसलों को नुकसान हुआ है.
डाॅ प्रकाश ने कहा कि पिछले दो सालों में उत्तरी भारत में शुरुआती गर्मी ने गेहूं की फसल के उत्पादन को एक स्तर तक कम कर दिया. इस तरह की घटनाओं से खाद्य पदार्थों की कमी हो सकती है और कीमतें बढ़ सकती है, जिसका अर्थव्यवस्था और खाद्य सुरक्षा पर बुरा प्रभाव पड़ सकता है.
साथ ही झीलों और नदियों के पानी भी हीटवेव होने के कारण सूख हो सकते हैं. यह भारत में पानी की कमी को बढ़ा सकता खासकर उन जगहों पर जहां पर पहले से ही पानी की समस्या है.
अभियंत तिवारी ने कहा कि इन समस्याओं का हल यही है कि आर्थिक व्यवस्था से जुड़ी सभी योजनाओं को साथ लाया जाए. उन्होंने कहा कि हमारी नीतियों को भी इस तरह से तैयार करना होगा कि वे इससे संबंधित मुद्दों का समाधान करें. जैसे कि हम अभी तक इनडोर हीटिंग के बारे में ज्यादा नहीं जानते हैं. जिसे ध्यान में रखते हुए बिल्डिंग कोड तैयार किए जा सकते हैं.
हालांकि मेगासिटीज पहले से ही विकसित हैं, लेकिन छोटे शहर जो धीरे-धीरे विकास की ओर बढ़ रहे हैं उन्हें कुछ इस तरह से डिजाइन किया जा सकता है, जहां गर्मी के अधिक प्रभाव को थोड़ा बहुत तो कम किया जा सके.
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