advertisement
'INDIA' का नाम 'भारत' करने को लेकर पूरे देश में बहस छिड़ी है. विपक्ष का दावा है कि आगामी संसद के विशेष सत्र में देश का नाम 'इंडिया' से बदल कर 'भारत' कर दिया जाएगा. इसको लेकर केंद्र संविधान में संशोधन करेगी. हालांकि, केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर ने इसे अफवाह करार दिया है. ठाकुर ने कहा कि "मुझे लगता है कि ये सिर्फ अफवाहें हैं जो चल रही हैं. मैं बस इतना कहना चाहता हूं कि भारत शब्द पर जिस किसी को भी आपत्ति है, उसकी मानसिकता साफ झलकती है."
दरअसल, G20 समिट को लेकर राष्ट्रपति ने 9 सितंबर को डिनर आयोजित किया है, जिनके आमंत्रण में 'प्रेसिडेंट ऑफ इंडिया' की जगह 'प्रेसिडेंट ऑफ भारत' लिखा गया है. वहीं, 20वें आसियान-भारत शिखर सम्मेलन और 18वें पूर्वी एशिया शिखर सम्मेलन के लिए प्रधानमंत्री की इंडोनेशिया यात्रा पर एक सरकारी पुस्तिका में नरेंद्र मोदी को "भारत के प्रधान मंत्री" रूप में संदर्भित किया गया है. इससे विवाद पैदा हो गया है. और इसने कुछ सवाल खड़े कर दिये हैं.
पटना यूनिवर्सिटी के इतिहास डिपार्टमेंट के हेड डीपी कमल ने क्विंट हिंदी से बात करते हुए कहा, "सिंधु नदी को ग्रीक भाषा में 'इंडस' कहते हैं. कुछ लोग कयास लगाते हैं कि उससे नाम पड़ा. जबकि कुछ का कहना है कि यूनान के राजदूत मेगस्थनीज जब भारत से लौटकर गये तो, उन्होंने 'INDICA' नाम की किताब लिखी, जिससे कारण इंडिया नाम पड़ा. हालांकि, पौराणिक ग्रंथों में भारतवर्ष की चर्चा है."
इलाहाबाद हाईकोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता बीएन मिश्रा ने क्विंट हिंदी से बात करते हुए कहा, "इंडिया शब्द मेगस्थनीज की किताब Indica से आया था, जिसमें उसने बताया था कि एक देश है जिसका नाम इंडिया है. इस किताब में मेगस्थनीज ने भारत की संस्कृति एवं परंपरा को परिभाषित किया था."
इलाहाबाद यूनिवर्सिटी पॉलिटिकल साइंस डिपार्टमेंट के हेड प्रोफेसर पंकज कुमार ने क्विंट हिंदी से बात करते हुए कहा, "1924 में एनी बेसेन्ट ने United State of America की तर्ज पर एक संविधान बनाया, जिसका नाम दिया था United State of India, उसी से इंडिया शब्द आया."
इस सवाल का जवाब प्रोफेसर डीपी कमल ने 'हां' में दिया. उन्होंने कहा, " इंडिया कहीं मेंशन नहीं है. अंग्रेजों ने तोड़-मरोड़ कर भारतवर्ष को इंडिया कहा."
प्रोफेसर डीपी कमल ने आगे कहा, "अंग्रेजी के जो भी शब्द हैं, वो कायदे से अंग्रेजों की ही देन हैं. अंग्रेजों ने अपने समझने के लिए पहले नामकरण किया."
दैनिक भास्कर की रिपोर्ट के अनुसार, इतिहासकार इयान जे बैरो ने अपने आर्टिकल 'फ्रॉम हिन्दुस्तान टु इंडिया: नेम्स चेंजिंग इन चेंजिंग नेम्स' में लिखा है कि 18वीं शताब्दी के मध्यकाल से इसके अंत तक दुनिया के दूसरे हिस्से में 'हिंदुस्तान' शब्द का इस्तेमाल अक्सर मुगल सम्राट के शासन वाले क्षेत्रों के लिए किया जाता था. 19वीं सदी में अंग्रेजों ने इंडिया शब्द का बड़े पैमाने पर इस्तेमाल शुरू कर दिया.
इसके बाद अंग्रेजों की वजह से रियासतों के राजा भी अपने राज्यों में 'भारत' नाम बोलने के लिए 'इंडिया' शब्द का इस्तेमाल करने लगे थे. 1857 ईस्वी तक भारत के एक बड़े क्षेत्र पर ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी का कब्जा हो गया. 1857 के बाद ब्रिटिश हुकूमत ने उन इलाकों पर अधिकार कर लिया, जो ईस्ट इंडिया कंपनी के अधिकार क्षेत्र में थे. इसी समय इंडिया नाम का इस्तेमाल देश और दुनिया में तेजी से बढ़ा.
प्रोफेसर पंकज कुमार ने कहा, "संविधान के अनुच्छेद 1 में लिखा है कि इंडिया दैट इज भारत, इसे संविधान में स्थापित नहीं किया गया, लेकिन 'भारत' शब्द तो बहुत पहले से आ रहा है. संस्कृत के कई श्लोकों में भारत शब्द का जिक्र है."
प्राचीनकाल से भारत के अलग-अलग नाम रहे हैं. जैसे जम्बूद्वीप, भारतखंड, हिमवर्ष, अजनाभवर्ष, भारतवर्ष, भारत, आर्यावर्त, हिंद, हिंदुस्तान और इंडिया.
इंडिया अर्थात् भारत, राज्यों का एक संघ होगा.
राज्य और उनके क्षेत्र पहली अनुसूची में विस्तृत अनुसार होंगे
भारत के क्षेत्र में शामिल होंगे -
(ए) राज्यों के क्षेत्र
(बी) पहली अनुसूची में निर्दिष्ट केंद्र शासित प्रदेश; और
(सी) ऐसे अन्य क्षेत्र जिनका अधिग्रहण किया जा सकता है.
रिपोर्ट्स के अनुसार, 2012 में कांग्रेस सांसद रहे शांताराम नाइक ने राज्यसभा में एक बिल पेश किया था. इसमें उन्होंने मांग की थी कि संविधान की प्रस्तावना में अनुच्छेद 1 में और संविधान में जहां-जहां इंडिया शब्द का उपयोग हुआ हो, उसे बदल कर भारत कर दिया जाए.
उन्होंने कहा कि इंडिया शब्द से एक सामंतशाही शासन का बोध होता है, जबकि भारत से ऐसा नहीं है.
2014 में तात्कालीक बीजेपी सांसद योगी आदित्यनाथ ने लोकसभा में एक निजी विधेयक पेश किया था. इसमें संविधान में 'इंडिया' शब्द के स्थान पर 'हिन्दुस्तान' शब्द की मांग की गई थी, जिसमें देश के प्राथमिक नाम के रूप में 'भारत' का प्रस्ताव किया गया था.
BBC के अनुसार, जून 2020 में सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर की गई थी. इसमें संविधान में दर्ज 'इंडिया दैट इज भारत' को बदलकर केवल भारत करने की मांग की गई थी. याचिकाकर्ता का तर्क था कि इंडिया ग्रीक शब्द इंडिका से आया है. इसलिए इस नाम को हटाया जाना चाहिए.
उस वक्त सुप्रीम कोर्ट के CJI एसए बोबडे की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय बेंच ने याचिका को खारिज करते हुए इस मामले में दखल देने से इनकार कर दिया था.
अदालत ने कहा कि संविधान में पहले से ही भारत का जिक्र है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इस याचिका को संबंधित मंत्रालय में भेजा जाना चाहिए और याचिकाकर्ता सरकार के सामने अपनी मांग रख सकते हैं.
अधिवक्ता बीएन मिश्रा ने कहा, "सरकार पहले नोटिफिकेशन लाएगी. फिर इसको लेकर एक विधेयक संसद में पेश होगा. संसद के दोनों सदनों से पास होने के बाद ये राष्ट्रपति के पास जाएगा और फिर संविधान के अनुच्छेद 368 के तहत कानून बन जाएगा."
इसके जवाब में प्रोफेसर पंकज कुमार ने कहा 'नहीं'. उन्होंने कहा, "संविधान के अनुच्छेद 1 में साफ लिखा है कि दोनों शब्द परस्पर विनिमय योग्य हैं (Both words are interchangeable).
बीएचयू लॉ डिपार्टमेंट में प्रोफेसर डॉ. वीएस मिश्रा ने क्विंट हिंदी से बात करते हुए कहा, "संविधान बनाते समय ये चर्चा हुई थी कि नाम 'इंडिया' रखा जाए या 'भारत', और उसको चिन्हित करने के लिए ही 'इंडिया दैट इज भारत' किया गया. अब उसमें बदलने से कोई बहुत मूलभूत परिवर्तन होने वाला नहीं है. अभी का विवाद राजनैतिक है. इसका कोई संवैधानिक पहलू नहीं है. संविधान संशोधन करने से भी कोई बहुत परिवर्तन नहीं होगा.
उन्होंने कहा कि अगर सरकार इंडिया हटाकर दैट इज भारत कर देती है तो, उसके (संविधान) मूल स्वरूपों में कोई परिवर्तन नहीं होता है, वो पहले ही की तरह है.
हॉलैंड- नीदरलैंड
तुर्की - तुर्किए
चेक रिपब्लिक- चेकिया
सियाम- थाईलैंड
बर्मा- म्यांमार
ईस्ट जर्मनी- जर्मनी
फ्रेंच सूडान -माली
स्वाजीलैंड - इस्वातिनी
मैसेडोनिया गणराज्य - उत्तरी मैसेडोनिया गणराज्य
कंपूचिया- कंबोडिया
पर्शिया- ईरान
सीलोन- श्रीलंका
(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)
Published: undefined