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उमा भारती का शराब के खिलाफ विरोध: मध्य प्रदेश की नई आबकारी नीति क्या है?

Madhya Pradesh New Excise Policy उमा भारती ने शराब के मुद्दे उठाया है, तब से राज्य पर कार्रवाई करने का भारी दबाव था

विष्णुकांत तिवारी
कुंजी
Published:
<div class="paragraphs"><p>मध्य प्रदेश में नई आबकारी नीति को मंजूरी</p></div>
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मध्य प्रदेश में नई आबकारी नीति को मंजूरी

(फोटो- क्विंट हिंदी)

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मध्य प्रदेश में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान (Shivraj Singh Chouhan) की अध्यक्षता में रविवार को हुई कैबिनेट बैठक (Cabinet Meeting) में नई शराबनीति (New Excise Policy of Madhya Pradesh) को मंजूरी दी गई है. नई नीति में शिवराज सरकार ने प्रदेश के सभी अहाते और शॉप बार बंद करने का फैसला किया है. सरकार के इस फैसले पर मध्य प्रदेश की फायरब्रांड हिंदुत्व नेता और शराब की बिक्री के खिलाफ मुहिम चलाने वाली उमा भारती ने 'ऐतिहासिक' बताया है.

बता दें कि अपनी शराब नीतियों को लेकर मध्य प्रदेश की सरकार लगातार भारती के निशाने पर रही है.

अब सरकार के नए आबकारी नीति पर मध्य प्रदेश के गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा कहते हैं,

"मध्य प्रदेश में शराब की खपत को हतोत्साहित करने की दिशा में राज्य की बीजेपी सरकार ने एक ऐतिहासिक निर्णय लिया है. कैबिनेट ने राज्य में संचालित सभी अहातों को बंद करने और दुकान बार में पीने की सुविधा को समाप्त करने के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है. शराब केवल शराब की दुकानों पर बेची जाएगी."

तो, नई उत्पाद शुल्क नीति असल में क्या है? और क्या यह उमा भारती जैसे आलोचकों की जीत है?

क्या है मध्य प्रदेश की नई एक्साइज पॉलिसी?

सबसे पहले, नई आबकारी नीति के तहत राज्य भर में शराब की खपत के लिए दुकान बार और स्थानों पर बैठने की सुविधा पर पूर्ण प्रतिबंध लगाया गया है.

दूसरा, शिक्षण संस्थानों, लड़कियों के छात्रावासों और धार्मिक स्थलों के 100 मीटर के दायरे में शराब की दुकानों को चलाने की अनुमति नहीं होगी.

मीडिया से बात करते हुए राज्य के गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा ने कहा-

"शैक्षणिक और धार्मिक संस्थानों से शराब की दुकानों की दूरी भी 50 से बढ़ाकर 100 मीटर कर दी गई है."

तीसरा, राज्य सरकार शराब पीकर गाड़ी चलाने के मामलों में सजा को और मजबूत करेगी. वर्तमान में पहली बार शराब पीकर गाड़ी चलाने के अपराध के लिए छह महीने की जेल या 2,000 रुपये जुर्माना या दोनों का प्रावधान है. तीन साल के भीतर दूसरी बार शराब पीकर गाड़ी चलाते हुए पकड़ाने पर अपराध के लिए, दो साल की जेल या 3,000 रुपये या दोनों का प्रावधान है.

राज्य सरकार ने अब शराब के नशे में वाहन चलाते पकड़े गए लोगों के ड्राइविंग लाइसेंस को निलंबित करने का प्रस्ताव दिया है.

नई शराब नीति 1 अप्रैल 2023 से लागू होने की उम्मीद है.
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क्या यह उमा भारती की जीत है?

जब से मध्य प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री और शराब विरोधी उमा भारती ने शराब की खपत के मुद्दे उठाया है, तब से राज्य सरकार पर कार्रवाई करने का भारी दबाव था.

कई मौकों पर, उमा भारती ने कथित निष्क्रियता को लेकर राज्य सरकार की आलोचना की. अपने अभियान को तेज करने के लिए, उमा भारती को शराब की दुकानों पर पथराव करते देखा गया, जबकि अन्य अवसरों पर, उन्होंने विरोध मार्च का नेतृत्व किया और मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान से भावनात्मक अपील भी की.

सोमवार, 20 फरवरी को, उमा भारती ने ट्विटर पर आभार व्यक्त किया और नई शराब नीति को "सरकार द्वारा एक ऐतिहासिक और क्रांतिकारी कदम" बताया.

2023 के अंत तक होने वाले राज्य विधानसभा चुनाव से पहले भारती धीरे-धीरे शराब की बिक्री और खपत पर पूर्ण प्रतिबंध की मांग से शराब की नियंत्रित और नियमित बिक्री की मांग करने लगीं.

ट्विटर पर शिवराज सिंह चौहान को धन्यवाद देते हुए भारती ने लिखा,

"इस शराब नीति से मेरे बड़े भाई (सीएम शिवराज सिंह चौहान) ने मुझे अपार व्यक्तिगत संतुष्टि और गौरव दिया है."

क्या बीजेपी नई आबकारी नीति के पक्ष में थी?

अपने 'बेबाक' (कठोर और निडर) व्यक्तित्व के लिए जानी जाने वाली, भारती 2003 के राज्य विधानसभा चुनावों के दौरान अपनी अलग पहचान बनाने में कामयाब हुई थीं.

2003 के मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव में उमा भारती को बीजेपी ने मुख्यमंत्री का चेहरा बनाया था, तब उनके नेतृत्व में बीजेपी ने 10 साल से सत्ता पर काबिज दिग्विजय सिंह के नेतृत्व वाली कांग्रेस को बुरी तरह से हराया था.

हालांकि, भारती को राजनीतिक रूप से पद छोड़ने और शिवराज सिंह चौहान के लिए रास्ता बनाने के लिए मजबूर होना पड़ा. उन्हें निष्कासन का सामना करना पड़ा और अपनी ही पार्टी से उनकी आलोचना हुई. हालांकि, उन्होंने कुछ साल बाद राज्य की राजनीति में वापसी की.

उमा भारती, ने पार्टी पर हावी होने के लिए कड़ा संघर्ष किया. चाहे वह शराब की दुकानों पर पथराव का सहारा लेना हो या लोधी मतदाताओं से कहना कि बीजेपी को वोट देने की की कोई बाध्यता नहीं है. लोध - ओबीसी समुदाय का एक वर्ग और बुंदेलखंड क्षेत्र और बालाघाट, सागर, होशंगाबाद और सिवनी जैसे जिलों में एक निर्णायक फैक्टर है.

मध्य प्रदेश 2023 के विधानसभा चुनावों की ओर बढ़ रहा है, ऐसे में बीजेपी ओबीसी मतदाताओं को परेशान करने का जोखिम नहीं उठा सकती है, जो राज्य के आबादी का लगभग 50 प्रतिशत हिस्सा रखते हैं.

नाम न छापने की शर्त पर एक वरिष्ठ पत्रकार ने द क्विंट से बात करते हुए कहा,

"उमा भारती शराब बंदी के लिए लगातार जोर दे रही हैं और लोधी मतदाताओं पर उनके प्रभाव को लेकर, बीजेपी उन्हें परेशान करने के लिए कभी भी जोखिम नहीं उठाएगी. यह उमा भारती की जीत से ज्यादा बीजेपी के वोट न खोने के इरादे के बारे में बताता है."

दूसरी ओर, नरोत्तम मिश्रा कहते हैं, "मध्य प्रदेश में 2010 से कोई नई शराब की दुकान नहीं हुई है. वास्तव में, वे बंद थे. नर्मदा यात्रा के दौरान (सीएम शिवराज द्वारा) राज्य में कुल 64 शराब की दुकानें बंद कर दी गईं."

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