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मणिपुर में बीजेपी के लिए मुश्किलें बढ़ती दिख रही हैं. राज्य में चौथे बीजेपी विधायक ने सोमवार, 24 अप्रैल को एक प्रशासनिक पद से इस्तीफा दे दिया.
बीजेपी विधायक रघुमणि सिंह रिटायर्ड आईएएस अधिकारी हैं और उन्होंने 24 अप्रैल को मणिपुर नवीकरणीय ऊर्जा विकास एजेंसी (MANIREDA) के अध्यक्ष पद से मुख्यमंत्री नोंगथोम्बम बीरेन सिंह को अपना इस्तीफा सौंप दिया.
रघुमणि सिंह उरिपोक विधानसभा क्षेत्र से विधायक हैं और उन्होंने अपने त्याग पत्र में लिखा है, "निजी कारणों से और सार्वजनिक हित में, मैंने यह महसूस किया है कि MANIREDA के अध्यक्ष पद पर इस समय मेरे बने रहने की आवश्यकता नहीं है. इसलिए, मैं उक्त पद से अपना इस्तीफा देता हूं और कृपया उसे स्वीकार किया जाए”.
इस एक्सप्लेनर में हम यह बारीकी से समझने की कोशिश करेंगे कि विधायकों के इस्तीफा देने के पीछे की वजह क्या है? मुख्यमंत्री ने इन इस्तीफों के बारे में क्या कहा है? इसके अलावा और भी सवालों के जवाब आपको देंगे.
रघुमणि सिंह एक महीने के भीतर सरकारी पद से इस्तीफा देने वाले चौथे विधायक हैं. इस्तीफों का सिलसिला 13 अप्रैल को शुरू हुआ जब पूर्व आईपीएस अधिकारी और हीरोक के विधायक थोकचोम राधेश्याम सिंह ने यह कहते हुए मुख्यमंत्री के सलाहकार पद से इस्तीफा दे दिया कि उन्हें "कोई जिम्मेदारी नहीं दी गई है".
उनके इस्तीफे के बाद दो और विधायकों - लांगथबल विधायक करम श्याम (17 अप्रैल को) और वांगजिंग तेंथा विधायक पाओनम ब्रोजेन सिंह (20 अप्रैल को) ने क्रमशः मणिपुर पर्यटन निगम और मणिपुर विकास सोसायटी के प्रमुख के पद से इस्तीफा दे दिया.
उन्होंने मीडिया को यह भी बताया कि उन्होंने पर्यटन निगम के विभिन्न विकास कार्यों के लिए मुख्यमंत्री को कई योजनाएं सौंपी थी, लेकिन उन्हें एक भी सकारात्मक जवाब नहीं मिला.
ब्रोजेन सिंह ने "व्यक्तिगत' कारणों से अपने पद से इस्तीफा दिया है.
21 अप्रैल को, बीजेपी की राज्य इकाई ने इंफाल में पार्टी विधायकों और मंत्रियों की एक बैठक बुलाई. बैठक की नोटिस पार्टी के महासचिव एल देबेन सिंह ने 19 अप्रैल को जारी की थी.
उसी दिन, एक फेसबुक पोस्ट में, बीजेपी विधायक और मुख्यमंत्री के दामाद राजकुमार इमो सिंह ने "सरकार/पार्टी के किसी भी कार्यक्रम या निर्णय के खिलाफ कार्रवाई करने या प्रचार करने" या पार्टी या सरकार के विवाद को "प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया सहित किसी अन्य एजेंसी" तक ले जाने पर "राजनीतिक दल/विधायक के सदस्य के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई" की चेतावनी दी.
इंफाल में बीजेपी के एक विधायक ने नाम न छापने की शर्त पर द क्विंट को बताया कि कई कारणों से सत्ता परिवर्तन की मांग की जा रही है. उन्होंने आरोप लगाया कि मुख्यमंत्री "पार्टी को एक पारिवारिक शो की तरह चला रहे हैं, और किसी विधायक या मंत्री की कोई मर्जी नहीं चलती".
पिछले हफ्ते, द हिंदू की रिपोर्ट के अनुसार नई दिल्ली में बीजेपी के पदाधिकारियों ने पुष्टि की कि मणिपुर के कम से कम 10-12 बीजेपी विधायकों ने बीरेन सिंह के खिलाफ शिकायतों के साथ राजधानी में डेरा डाला था.
सूत्रों के हवाले से अखबार ने कहा कि बीजेपी विधायकों की शिकायत का एक मुख्य कारण बीरेन सिंह सरकार द्वारा मार्च 2023 में 2008 के SoO (सस्पेंशन ऑफ ऑपरेशन) समझौते को निलंबित करना रहा है. बता दें कि समझौते पर 2008 में केंद्र और मणिपुर और नागालैंड राज्यों में सक्रिय विभिन्न कुकी उग्रवादी समूहों के बीच संघर्ष विराम समझौते के रूप में हस्ताक्षर किए गए थे.
बीजेपी विधायक ने कहा, "SoO समझौता टूटने के कारण, क्रैकडाउन हुए हैं जो कुकी क्षेत्रों में रोजमर्रा की जिंदगी पर प्रभाव डाल रहे हैं. कुकी विधायक इस सरगर्मी को महसूस कर रहे हैं क्योंकि अफीम की खेती स्थानीय लोगों के लिए निर्वाह का स्रोत थी और वे मुख्यमंत्री के खिलाफ दबाव बनाने के लिए एक साथ आए हैं."
पिछले हफ्ते पार्टी की उच्च स्तरीय बैठक के बाद मुख्यमंत्री ने बीजेपी के भीतर दरार की खबरों का खंडन किया. सीएम बीरेन सिंह ने संवाददाताओं से कहा, "कोई संकट नहीं है. एक मंत्री ने मुझसे अनुपस्थिति की छुट्टी ले ली है, वह इंदौर गए थे. उनमें से तीन का दिल्ली में इलाज चल रहा है. बस इतना ही. सभी ने (पार्टी) बैठक में भाग लिया।" .
मणिपुर बीजेपी की प्रदेश अध्यक्ष ए शारदा देवी ने संवाददाताओं से कहा कि उन्हें विधायकों से कोई शिकायत नहीं मिली है. उन्होंने बीजेपी विधायकों के बीच राजनीतिक साजिश की अफवाहों का खंडन किया है.
बता दें कि पिछले साल, बीजेपी ने मणिपुर विधानसभा की 60 सीटों में से 32 सीटों पर जीत हासिल की और लगातार दूसरे कार्यकाल के लिए सत्ता बरकरार रखी.
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