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लोकसभा में कौन कहां बैठेगा, समझिए सीटिंग अरेंजमेंट का फॉर्मूला

आगे की सीटों पर किन पार्टियों को जगह मिलेगी और चुन कर आए सांसदों में कौन इन पर बैठेंगे?

एंथनी रोजारियो
कुंजी
Updated:
सीटिंग अरेजमेंट कौन तय करता है और यह कैसे होता है?
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सीटिंग अरेजमेंट कौन तय करता है और यह कैसे होता है?
(फोटो: पीटीआई)

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17वीं लोकसभा में सीटिंग अरेंजमेंट कैसा होगा? आगे की सीटों पर किन पार्टियों को जगह मिलेगी और चुनकर आए सांसदों में कौन इन पर बैठेंगे? इस सीटिंग अरेंजमेंट के लिए कुछ रूल्स तय हैं. इन्हीं के मुताबिक, लोकसभा में पार्टियों को सीटें अलॉट की जाती हैं.

लोकसभा में मैक्सिम सीटों की तादाद

लोकसभा की मौजूदा स्ट्रेंथ 543 है. पूरे देश को 543 लोकसभा क्षेत्रों में बांटा जाता है. हर एक संसदीय क्षेत्र का वोटर अपना एमपी चुनता है.  हालांकि, लोकसभा की सीटें 550 तक बढ़ाई जा सकती हैं. अब इन 550 सीटों को पूरी लोकसभा में छह ब्लॉक में बांट में दिया जाता है. हर एक ब्लॉक में 11 लाइनें होती हैं. इन सीटों को इस तरह अरेंज किया जाता है, जिससे हर एक सीट पर बैठने वाले का मुंह स्पीकर के सामने रहे.

अब सवाल आता है कि 11-11 लाइनों वाले सभी छह ब्लॉक्स की अगली सीटों पर किन पार्टियों के एमपी बैठेंगे? सीटिंग अरेंजमेंट कौन तय करता है और यह कैसे होता है?

इस अरेंजमेंट के मुताबिक कौन कहां बैठता है?

लोकसभा में आगे 22 सीटें होती हैं जो पूरे सदन के छह ब्लॉक में फैली होती हैं. विपक्ष के सांसद स्पीकर की कुर्सी की बाईं ओर बैठते हैं जबकि सरकार उसके सहयोगी और गठबंधन पार्टियों के सांसद दाईं ओर बैठते हैं.

परंपरा के मुताबिक, लोकसभा के डिप्टी स्पीकर, स्पीकर की कुर्सी की बाईं ओर पहली लाइन में बैठते हैं. आमतौर पर डिप्टी स्पीकर आगे की लाइन में विपक्ष के नेता के साथ बैठते हैं. विपक्ष के नेता के ठीक दूसरी ओर सामने की पंक्ति में प्रधानमंत्री और उनके सीनियर कैबिनेट सहयोगी बैठते हैं.

सदन की प्रक्रिया और कामकाज से जुड़े नियम नंबर चार के मुताबिक, सदस्य स्पीकर की बनाई हुई व्यवस्था के तहत ही बैठेंगे. स्पीकर सीटें अलॉट करने में अपने अधिकार का पालन करेंगे. इस मामले में स्पीकर सदन के निर्देश नंबर 22 (ए)  पर चलते हैं. इसमें सीटों के आवंटन के बारे में साफ निर्देश है. इसके मुताबिक, सीटों का ब्लॉक पार्टी की सीटों की ताकत यानी सीटों की संख्या और यहां उपलब्ध सीटों के आधार पर अलॉट होगा.

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सीटिंग फॉर्मूला क्या है?

निर्देश 22 (ए)  के मुताबिक, किसी अगली पंक्ति में पार्टी की सीटों की संख्या उसे चुनाव में मिली सीटों और उस पंक्ति में मौजूदा सीटों की संख्या के गुना को सदन में मौजूद पूरी सीटों से भाग देकर निकाली जाती है.

आइए देखते हैं कि बीजेपी को आगे की कितनी सीटें मिलेंगी. लोकसभा में आगे की 20 सीटें हैं और बीजेपी के 303 सांसद जीत कर आए हैं. सदन की कुल क्षमता 550 सीटों की है.

अब अगर 303 को 20 से गुना कर 550 से भाग दिया जाए तो यह संख्या आती है 11. चूंकि एनडीए को 352 सीटें मिली हैं तो इस तरह उसे आगे की 13 सीटें मिलेंगी.

पहली लाइन में बीजेपी की सीट

लोकसभा चुनाव में जीती गई सीटें X उस लाइन में सीटों की संख्या / उस चैंबर में सीटों की संख्या 303x20/50 = 11.01

बाद की लाइनों में भी सीटिंग अरेंजमेंट इसी हिसाब से तय होगा. बाद की लाइनों में किसी पार्टी को उपलब्ध सीटों के बारे में उसे बता दिया जाता है. उसके बाद पार्टी से उम्मीद की जाती है वह अपने चुने गए सांसदों के नाम समेत सीटिंग अरेंजमेंट भेजेगी.

16वीं और 17वीं लोकसभा के सीट अरेंजमेंट पर एक नजर

16वीं लोकसभा में पीएम मोदी स्पीकर की कुर्सी की बाईं ओर पहली पंक्ति में बैठते थे. वह वहां गृह मंत्री राजनाथ सिंह के साथ बैठते थे. उनकी बाद की लाइनों में विजय गोयल, जितेंद्र सिंह, स्मृति ईरानी बैठती थीं.

2014 में बीजेपी ने 282 सीटें जीती थीं.  बीजेपी की अगुआई वाले एनडीए को 343 सीटें थीं. इसका मतलब छह ब्लॉक्स में चार ब्लॉक एनडीए के सांसदों से भरी हुई थीं. इस बार ऐसा ही होगा क्योंकि एनडीए के पास 353 सीटें हैं.

पिछली लोकसभा में कांग्रेस की 44 सीटें थीं. सहयोगियों के साथ मिलाकर इसकी सीटें थीं 52.  इस बार कांग्रेस की 52 सीटें हैं. सहयोगियों को मिलाकर यूपीए के पास अब 91 सीटें हैं.

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Published: 29 May 2019,07:35 PM IST

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