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पीएम नरेंद्र मोदी 30 मई को एक बार फिर प्रधानमंत्री पद की शपथ लेने जा रहे हैं. इस शपथ ग्रहण समारोह में शामिल होने के लिए BIMSTEC के शीर्ष नेताओं को निमंत्रण भेजा गया है. जब साल 2014 में पहली बार नरेंद्र मोदी ने प्रधानमंत्री पद की शपथ ली थी, तब उनके शपथ ग्रहण समारोह में SAARC देशों के नेताओं ने शिरकत की थी. लेकिन इस बार बिम्सटेक देशों को बुलावा भेजा गया है.
अब सवाल उठता है कि क्या है बिम्सटेक? क्यों ये इतना महत्व रखता है कि पीएम मोदी के शपथ ग्रहण समारोह में इन देशों को बुलाया गया है?
बिम्सटेक का पूरा नाम 'बे ऑफ बंगाल इनिशिएटिव फॉर मल्टी-सेक्टोरल टेक्निकल एंड इकनॉमिक कोऑपरेशन' (बिम्सटेक) है. ये बंगाल की खाड़ी से तटवर्ती या आसपास के देशों का एक अंतरराष्ट्रीय आर्थिक सहयोग संगठन है. बिम्सटेक में भारत समेत 7 देश शामिल हैं.
बिम्सटेक का गठन बैंकाक घोषणापत्र के तहत 6 जून 1997 को हुआ था. इसका हेड ऑफिस बांग्लादेश की राजधानी ढाका में है. पिछला बिम्सटेक समिट 2018 में नेपाल के काठमांडू में हुआ था.
बिम्सटेक बंगाल की खाड़ी से जुड़े दक्षिण एशिया और दक्षिण-पूर्व एशिया के सात देशों से मिलकर बना है, जिसका मकसद क्षेत्रीय एकता और सहयोग को बढ़ावा देना है. इसमें दक्षिण एशिया के 5 (बांग्लादेश, भूटान, भारत, नेपाल, श्रीलंका) और दक्षिण-पूर्व एशिया के दो देश (म्यांमार और थाइलैंड) शामिल हैं.
बिम्सटेक क्षेत्र में दुनिया की करीब 1.5 अरब आबादी रहती है, जो कि दुनिया की आबादी का 22 प्रतिशत है.
बिम्सटेक भारत, दक्षिण एशिया और दक्षिण-पूर्व एशिया के बीच एक पुल की तरह काम करता है. एक मायने में बिम्सटेक भारत के लिए इसलिए भी अहम है, क्योंकि बिम्सटेक देशों में से म्यांमार दक्षिण-पूर्व एशिया का एक अकेला देश है, जिसके साथ भारत का बॉर्डर जुड़ा है.
भारत-म्यांमार-थाइलैंड राजमार्ग सरकार की एक्ट इस्ट पॉलिसी की अहम योजनाओं में शामिल है. BIMSTEC ने SAARC और ASEAN सदस्यों के बीच इंट्रा-रिजनल को-ऑपरेशन के लिए एक मंच भी तैयार किया है.
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