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Nobel Prize: डाइनामाइट खोजने वाले अल्फ्रेड की वसीयत से शुरू हुई नोबेल की कहानी

Nobel Prize 2022: जानिए नोबेल पुरस्कार की शुरुआत कैसे हुई, नोबेल पुरस्कार विजेताओं के लिए पैसा कहां से आता है?

विष्‍णु गोपीनाथ
कुंजी
Published:
<div class="paragraphs"><p>Nobel Prize Explained: डाइनामाइट खोजने वाले अल्फ्रेड की वसीयत से शुरू हुई नोबेल की कहानी</p></div>
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Nobel Prize Explained: डाइनामाइट खोजने वाले अल्फ्रेड की वसीयत से शुरू हुई नोबेल की कहानी

(फोटो- क्विंट)

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साल 2022 के लिए नोबेल पुरस्कार (Nobel Prize 2022) की घोषणा सोमवार, 3 अक्टूबर से शुरू हो गयी है. अभी तक मेडिकल और फिजिक्स के फील्ड के लिए इन पुरस्कारों की घोषणा हो चुकी है. हर साल नोबेल पुरस्कार उन व्यक्तियों या संगठनों को दिया जाता है, जिन्होंने अपने-अपने काम से संबंधित फील्ड में मानव जाति को सबसे बड़ा लाभ देने का काम किया है.

1901 में शुरू होने के बाद से 2021 तक 975 व्यक्तियों और संगठनों को 609 बार नोबेल पुरस्कार दिए जा चुके हैं.

नोबेल पुरस्कार के विजेताओं को 10,00,000 स्वीडिश क्रोना (लगभग 7.3 करोड़ रुपए) की पुरस्कार राशि भी मिलती है. यानी कुल 6 फील्ड में यह पुरस्कार राशि हर साल 6 मिलियन अमेरिकी डॉलर से अधिक का है. हालांकि नोबेल पुरस्कार किसी देश के सरकारीे खजाने से नहीं दिया जाता. तो नोबेल पुरस्कार विजेताओं के लिए पैसा कहां से आता है? किसको पुरस्कार मिलेगा, इसका फैसला कौन करता है? कुछ ऐसे ही सवालों के जवाबों को खोजने की कोशिश करते हैं.

Nobel Prize: नोबेल पुरस्कार की शुरुआत कैसे हुई?

नोबेल पुरस्कार साहित्य, चिकित्सा या शरीर विज्ञान, फिजिक्स, केमिस्ट्री और शांति के क्षेत्र में उत्कृष्ट काम के लिए दिया जाता है. नोबेल पुरस्कार के शुरू होने की कहानी भी कम रोचक नहीं है. इसे जानने के लिए आपको 19वीं सदी के आखिरी दशकों में अल्फ्रेड नोबेल के दौर में चलना होगा.

अल्फ्रेड नोबेल एक वैज्ञानिक, केमिस्ट और आविष्कारक थे. अपने जीवनकाल में उन्होंने अपने 355 आविष्कारों और पेटेंटों से पैसा कमाया था. उनके आविष्कारों में एक बड़ी संख्या हथियार, गोला-बारूद या विस्फोटक की थी, लेकिन वे डायनामाइट के आविष्कार के लिए सबसे प्रसिद्ध हुए.

1888 में जब अल्फ्रेड के भाई लुडविग की मौत हुई तो कई अखबारों ने गलती से लुडविग के बजाय अल्फ्रेड नोबेल के मौत की खबर छाप दी और हैडलाइन दी 'Le marchand de la mort est mort', जिसका अनुवाद है- 'मौत के सौदागर की मौत हो गयी'.

अखबारों ने कथित रूप से यहां तक लिखा कि, "डॉ अल्फ्रेड नोबेल, जो पहले से कहीं अधिक तेजी से लोगों को मारने के तरीके खोजकर अमीर बने, कल उनकी मृत्यु हो गई." कहा जाता है कि इस वाकये ने अल्फ्रेड की आंखें खोल दी और वे सोचने लगे कि उनकी मौत के बाद उन्हें दुनिया कैसे याद करेगी. वह नहीं चाहते थे कि उसे केवल विनाश के हथियार बनाने और उसके आविष्कारों के लिए याद किया जाए.

इस वाकये के 8 साल बाद, दिसंबर 1896 में, जब अल्फ्रेड नोबेल की इटली में सच में मौत हुई तो उनके आलोचकों को यह जानकर आश्चर्य हुआ कि उन्होंने अपनी वसीयत में संपत्ति का 94% भाग (उस समय लगभग 31 मिलियन SEK) उन लोगों को पुरस्कार देने के लिए रख दिया है, जिनके प्रयासों ने साहित्य, चिकित्सा या शरीर विज्ञान, फिजिक्स, केमिस्ट्री और शांति के क्षेत्र में अपने काम से "मानव जाति को सबसे बड़ा लाभ" देने का काम किया है.

इसके ठीक 5 साल बाद 1901 में नोबेल की अंतिम वसीयत को अमलीजामा पहनाया गया और नोबेल पुरस्कार देने का काम शुरू हुआ.

Nobel Prize: नोबेल पुरस्कार कौन देता है?

अल्फ्रेड नोबेल के वसीयतनामें में यह विस्तार से बताया गया है कि साहित्य, चिकित्सा या शरीर विज्ञान, फिजिक्स, केमिस्ट्री और शांति के क्षेत्र में नोबेल पुरस्कार देने की जिम्मेदारी किसे सौंपी जाएगी. उनकी वसीयत में लिखा है कि:

"फिजिक्स और केमिस्ट्री के लिए पुरस्कार स्वीडिश एकेडमी ऑफ साइंसेज द्वारा दिया जायेगा; स्टॉकहोम में स्थित करोलिंस्का इंस्टिट्यूट चिकित्सा या शरीर विज्ञान के लिए विजेताओं को चुनेगा, स्टॉकहोम एकेडमी द्वारा साहित्य के लिए और नॉर्वेजियन स्टॉर्टिंग द्वारा चुने जाने वाले पांच व्यक्ति की एक समिति द्वारा शांति के लिए नोबेल पुरस्कार दिया जायेगा."

आज भी ये ही संस्थाएं विजेताओं की घोषणा करती हैं. अल्फ्रेड नोबेल की वसीयत के अनुसार रग्नार सोहलमैन और रुडोल्फ लिलजेक्विस्ट ने नोबेल फाउंडेशन की स्थापना की, जो नोबेल के संपत्ति और हर साल पुरस्कार देने की प्रक्रिया की निगरानी करता है.

नोबेल फाउंडेशन में पांच स्वीडिश या नार्वेजियन नागरिकों का बोर्ड होता है. बोर्ड के अध्यक्ष को परिषद में स्वीडिश राजा द्वारा नियुक्त किया जाता है जबकि अन्य चार सदस्यों को उन संस्थानों के ट्रस्टियों द्वारा नियुक्त किया जाता है, जो पुरस्कार प्रदान करते हैं. हालांकि साल 1995 से, नोबेल फाउंडेशन के सभी सदस्यों का चयन संस्थानों के ट्रस्टियों द्वारा ही दिया जाता है.

1968 में, स्वीडन के केंद्रीय बैंक ने अल्फ्रेड नोबेल की याद में आर्थिक विज्ञान (economic sciences) में द सेवरिग्स रिक्सबैंक पुरस्कार की स्थापना की. यह बैंक हर साल आर्थिक विज्ञान के फील्ड में यह पुरस्कार देता है.

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Nobel Prize: नोबेल पुरस्कार विजेताओं और फाउंडेशन के लिए पैसा कहां से आता है?

यह एक ऐसा सवाल है जो अतीत में कई बार सामने आया है. 1896 में नोबेल की मौत के वक्त उनकी संपत्ति 31 मिलियन स्वीडिश क्रोना (SEK) आंकी गयी थी. 2021 तक 975 विजेताओं को नोबेल पुरस्कार 609 से अधिक बार दिया जा चुका है. हर पुरस्कार के साथ 10,00,000 स्वीडिश क्रोना (लगभग 7.3 करोड़ रुपए) की पुरस्कार राशि भी मिलती है, तो नोबेल विजेताओं के लिए इतना धन कहां से आता है? अपने बिल्कुल सही समझा- निवेश के रास्ते.

नॉर्वेजियन अखबार डैगेन्स न्येटर ने 2019 में एक आर्टिकल छापा, जिसके अनुसार नोबेल फाउंडेशन के कैपिटल/पूछी को तीन भाग में बांट कर निवेश किया गया है - 50 प्रतिशत शेयरों में निवेश किया गया है, 30 प्रतिशत निवेश में निवेश किया गया, और 20 प्रतिशत बॉन्ड मेंडाला गया है.

फाउंडेशन के स्वामित्व वाले फंड की वैल्यू 3.6 बिलियन SEK या लगभग 560 मिलियन अमेरिकी डॉलर से अधिक होने का अनुमान है. विजेताओं को मिलने वाली पुरस्कार राशि अमेरिकी डॉलर में कितनी होगी, यह हर साल स्वीडिश क्रोना की गिरते-बढ़ते एक्सचेंज रेट के आधार पर साल-दर-साल बदलती रहती है.

Nobel Prize: नोबेल फाउंडेशन पुरस्कार विजेताओं का फैसला कैसे करता है?

नोबेल के लिए नॉमिनेटेड व्यक्तियों को laureates कहा जाता है. नोबेल कमिटी पुरस्कार दिए जाने से एक साल पहले सितंबर महीने में 3,000 से अधिक लोगों को नॉमिनेशन फॉर्म भेजती है. ये लोग आमतौर पर अपने-अपने संबंधित क्षेत्रों में प्रसिद्ध शिक्षाविद या विशेषज्ञ होते हैं.

वे 31 जनवरी से पहले नॉमिनेशन फॉर्म भरकर वापस भेजते हैं, जो फॉर्म जमा करने की समय सीमा है. शांति पुरस्कार के लिए नॉमिनेशन फॉर्म पूर्व पुरस्कार विजेताओं और तमाम देश की सरकारों को भेजा जाता है, जो अपनी सिफारिश भेजते हैं. साथ ही शांति पुरस्कार के लिए ये फॉर्म नॉर्वेजियन नोबेल समिति के पूर्व सदस्यों को भी भेजे जाते हैं. यही संस्थान शांति पुरस्कार विजेता का फैसला करती है.

एक बार जब नोबेल कमिटी को नॉमिनेशन फॉर्म भरकर वापस मिल जाता है, तो वह उनकी स्क्रूटनी करती है और लगभग 300 नामों का चयन करती है, जिनपर विचार किया जायेगा.

विजेताओं पर अंतिम निर्णय के लिए ये नाम फिर संबंधित संस्थानों को वापस भेज दिए जाते हैं. विजेताओं के अलावा अन्य नॉमिनेटेड व्यक्तियों के नाम सील कर दिए गए हैं और पुरस्कार की घोषणा के 50 साल बाद तक इसका खुलासा नहीं किया जाता है.

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