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RBI ने Repo Rate बढ़ाया: महंगाई का ये इलाज आपके लिए और बढ़ाएगा महंगाई

RBI Repo Rate Hike: रेपो रेट क्या होता है? रेपो रेट बढ़ने से आपकी EMI पर क्या असर पड़ेगा?

आशुतोष कुमार सिंह
कुंजी
Updated:
<div class="paragraphs"><p>RBI ने Repo Rate बढ़ाई: महंगाई का ये इलाज आपके लिए और बढ़ाएगा महंगाई</p></div>
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RBI ने Repo Rate बढ़ाई: महंगाई का ये इलाज आपके लिए और बढ़ाएगा महंगाई

(फोटो: iStock)

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भारतीय रिजर्व बैंक ने बुधवार, 4 मई को अपने रेपो रेट (RBI Repo Rate Hike) को तत्काल प्रभाव से 40 बेसिस प्वाइंट बढ़ाकर 4.40 प्रतिशत कर दिया. बढ़ती महंगाई के बीच केंद्रीय बोर्ड के साथ बैठक में मौद्रिक नीति समिति (MPC) द्वारा यह निर्णय लिया गया. इस घोषणा का शेयर मार्केट पर जोरदार असर पड़ा और BSE Sensex में 1,400 अंक से अधिक की गिरावट हुई जबकि NSE Nifty भी 391 अंक लुढ़क गया.

लेकिन सबसे बड़ा सवाल है कि देश के केंद्रीय बैंक के इस निर्णय का आम लोगों पर क्या असर पड़ेगा? रेपो रेट होता क्या है ? RBI ने रेपो रेट क्यों बढ़ाया है? इसकी घोषणा पर बाजार ने कैसी प्रतिक्रिया दी ? चलिए जानते हैं एक-एक करके इस सभी सवालों का जवाब.

Repo rate क्या होता है?

जब वाणिज्यिक बैंकों (commercial banks) के पास धन की कमी होती है, तो वे केंद्रीय बैंकों से धन उधार लेते हैं. रेपो रेट (Repo rate) वह ब्याज दर है जिस पर किसी देश का केंद्रीय बैंक - भारत में RBI - वाणिज्यिक बैंकों को पैसा उधार देता है.

इसी रेपो रेट का उपयोग देश की सरकार या केंद्रीय बैंक महंगाई को नियंत्रित करने और विकास के दर को बनाए रखने के लिए करता है. दरअसल रेपो रेट वह औजार है जिससे केंद्रीय बैंक बाजार में पैसे की तरलता को नियंत्रित करता है.

महंगाई बढ़ने पर आरबीआई रेपो रेट को बढ़ा देता है. ब्याज की इस दर के बढ़ने से केंद्रीय बैंक से पैसा उधार लेना अधिक महंगा हो जाता है और अंततः बाजार में पैसे की तरलता कम होती है.

RBI ने अभी रेपो रेट क्यों बढ़ाया है?

RBI के गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा कि रेपो रेट बढ़ाने का फैसला बढ़ती महंगाई, भू-राजनीतिक तनाव, क्रूड ऑयल की ऊंची कीमतों और वैश्विक स्तर पर मालों की कमी को ध्यान में रखते हुए लिया गया, जिसने भारतीय अर्थव्यवस्था को प्रभावित किया है.

“रेपो रेट बढ़ाने के आज के फैसले को मई 2020 में लिए हमारे स्टैंड के उलट होने के रूप में देखा जा सकता है...मैं इस बात पर जोर देना चाहूंगा कि मौद्रिक नीति का उद्देश्य मुद्रास्फीति में बढ़ोतरी को रोकना और मुद्रास्फीति की उम्मीदों को फिर से स्थापित करना है...उच्च मुद्रास्फीति को विकास के लिए हानिकार माना जाता है"
RBI के गवर्नर शक्तिकांत दास

RBI के गवर्नर शक्तिकांत दास ने यह भी कहा कि खाद्य मुद्रास्फीति उच्च रहने की उम्मीद है क्योंकि वैश्विक स्तर पर गेहूं की कमी के कारण घरेलू स्तर पर उगाए गए गेहूं की कीमतों पर असर पड़ रहा है, भले ही घरेलू आपूर्ति आरामदायक बनी हुई है. इसके अलावा रूस-यूक्रेन युद्ध के कारण खाद्य तेल की कीमतें बढ़ सकती हैं क्योंकि प्रमुख उत्पादक देशों ने निर्यात पर बैन लगाए हैं.

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रेपो रेट बढ़ने से आम जनता पर क्या असर पड़ता है?

रेपो रेट के बढ़ने के कारण तमाम बैंक और गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनी (NBFCs) लोन पर ब्याज दरों और जमा दरों में वृद्धि करने लगती है. इसका मतलब है कि रेपो रेट के बढ़ने के साथ कर्ज पर ब्याज दरें बढ़ेंगी. घर, गाड़ी और अन्य व्यक्तिगत और कॉर्पोरेट लोन पर मासिक किस्तों (EMI) में वृद्धि होने की संभावना है.

रेपो रेट में बढ़ोतरी का मतलब है कि होम लोन लेने पर लोगों को थोड़ी ज्यादा ब्याज दर चुकानी पड़ सकती है. हालांकि, इस फैसले का होम लोन बाजार पर तत्काल कोई बड़ा प्रभाव पड़ने की उम्मीद कम है क्योंकि मांग,आपूर्ति और खरीदार जैसे कई अन्य कारक भी हैं जो इसको प्रभावित करते हैं. लेकिन, अगर रेपो रेट में बढ़ोतरी जारी रहती है, तो इसका असर हो सकता है.

रेपो रेट पर RBI के फैसले के बाद बाजार ने कैसी प्रतिक्रिया दी?

RBI द्वारा अचनाक से लिए गए इस फैसले से भारतीय शेयर बाजार में अफरातफरी मच गई. भारतीय शेयर बाजार के बेंचमार्क इंडेक्स सेंसेक्स और निफ्टी 2% से ज्यादा लुढ़के. 30 शेयरों पर आधारित प्रमुख इंडेक्स BSE Sensex 2.29% या करीब 1309 अंको की गिरावट के साथ 55,669 पर बंद हुआ. उधर, NSE Nifty 50 इंडेक्स 2.29% यानी 391 अंक टूटकर 16,677 पर बंद हुआ.

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Published: 04 May 2022,09:16 PM IST

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