RBI ने बुधवार को एक महत्वपूर्ण निर्णय लेते हुए रेपो रेट (Repo Rate) में 40 बेसिस प्वाइंट्स की बढ़ोतरी की घोषणा की. केंद्रीय बैंक ने इसे 4 से बढ़ाकर 4.40 प्रतिशत कर दिया है.
RBI की ओर से यह घोषणा ऐसे समय पर की गई है, जब देश में महंगाई अपने चरम पर है और यह केंद्रीय बैंक की निर्धारित सीमा से ऊपर बनी हुई है.
बता दें, RBI ने पिछले महीने अपनी मॉनिटरी पॉलिसी में नीतिगत दरों में कोई बदलाव नहीं किया था.
रेपो रेट वह दर है, जिस पर केंद्रीय बैंक बैंकों को अल्पकालिक यानी कम समय के लिए धन उधार देता है. आरबीआई ने फरवरी 2019 से रेपो रेट में 250 बेसिस प्वाइंट्स (आधार अंकों) की कटौती की है, ताकि विकास की गति को पुनर्जीवित करने में मदद मिल सके. मौद्रिक नीति समिति विकास का समर्थन करने के लिए लंबे समय से उदार रुख पर है.
साथ ही रिजर्व रेश्यो 50 बेसिस प्वाइंट बढ़ाकर 4.5 फीसदी कर दिया गया है. महंगाई पर काबू पाने के लिए यह कदम उठाया गया है. चल रहे भू-राजनीतिक तनाव प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं में मुद्रास्फीति (महंगाई) को अधिक बढ़ा रहे हैं, इसके अलावा कच्चे तेल की कीमत भी अस्थिर है और इसकी कीमत 100 डॉलर प्रति बैरल से ऊपर चल रही है.
दास ने कहा कि खाद्य तेल की कमी निर्यातकों के संघर्ष और प्रतिबंध के कारण है. दास ने कहा, "रेपो दर बढ़ाने के आज के फैसले को मई 2020 की रेट के संबंध में कार्रवाई के उलट होने के रूप में देखा जा सकता है. पिछले महीने, हमने समायोजन वापस लेने का रुख तय किया था. आज की कार्रवाई को उस कार्रवाई के अनुरूप देखा जाना चाहिए.
दास ने कहा, "मैं इस बात पर जोर देना चाहता हूं कि मौद्रिक नीति कार्रवाई का उद्देश्य मुद्रास्फीति में वृद्धि को रोकना और मुद्रास्फीति की उम्मीदों को फिर से स्थापित करना है. उच्च मुद्रास्फीति को विकास के लिए हानिकारक के रूप में जाना जाता है. दास ने हालांकि कहा कि मौद्रिक रुख उदार बना हुआ है और कार्रवाई संतुलित रहेगी.
सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि केंद्रीय बैंक द्वारा अनिर्धारित घोषणा ने इक्विटी बाजारों और निवेशकों को चौंका दिया है. सेंसेक्स करीब 1,100 अंक टूटा है, जबकि निफ्टी 300 अंक से अधिक टूटी है.
(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)