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एलन मस्क की रॉकेट कंपनी SpaceX के सैटेलाइट इंटरनेट डिवीजन Starlink अब भारत के इंटरनेट बाजार में उतरने को तैयार है. भारत सरकार के पास दायर डाक्यूमेंट्स के अनुसार Starlink ने 1 नवंबर को भारत में अपना कारोबार रजिस्टर्ड किया है.
यानी Starlink के लिए भारत का इंटरनेट मार्केट तैयार है. ऐसे में Starlink क्या है, यह कैसे काम करता है, भारत में ये कब तक और किस स्पीड से नेट प्रोवाइड कराएगा और इसके लिए आपको कितना खर्च करना पड़ेगा- आपके ऐसे हर सवाल का जवाब देने कोशिश करते हैं.
Starlink एलन मस्क की रॉकेट कंपनी SpaceX के भीतर तकनीकी रूप से एक इंटरनेट डिवीजन है. स्टारलिंक इस स्पेसफ्लाइट कंपनी के कक्षीय उपग्रहों/ ऑर्बिटल सैटेलाइट के बढ़ते नेटवर्क का नाम भी है.
हाल ही में 26 मई 2021 को ऑर्बिट में 60 अन्य सैटेलाइट्स को स्थापित किया गया है. इसके बाद Starlink के ऑर्बिटल सैटेलाइट की कुल संख्या 1,737 तक हो गयी है, जिनमें से कुछ प्रोटोटाइप भी हैं.
Starlink इन्हीं सैटेलाइट की मदद से इंटरनेट पहुंचाएगा - विशेष रूप से ग्रामीण क्षेत्रों और दुनिया के अन्य हिस्सों के लोगों को, जिनके पास पहले से ही हाई-स्पीड ब्रॉडबैंड तक पहुंच नहीं है.
Starlink वेबसाइट के अनुसार “स्टारलिंक आदर्श रूप से विश्व के उन क्षेत्रों के लिए उपयुक्त है जहां कनेक्टिविटी आमतौर पर एक चुनौती रही है... पारंपरिक ग्राउंड इंफ्रास्ट्रक्चर से अप्रभावित, स्टारलिंक उन स्थानों पर हाई-स्पीड ब्रॉडबैंड इंटरनेट पहुंचा सकता है जहां यह अविश्वसनीय या पूरी तरह से अनुपलब्ध है."
इंटरनेट कनेक्शन के लिए आपको बस इतना करना है कि घर पर एक छोटा सा सैटेलाइट डिश लगाना है, उससे सिग्नल प्राप्त करना है और अपने राउटर को बैंडविड्थ पास करना है.
जमीन पर बिछाए गए फाइबर-ऑप्टिक केबल के माध्यम से दिए जाने वाले इंटरनेट सर्विस में अपलोड और डाउनलोड की स्पीड सैटेलाइट इंटरनेट की तुलना में बहुत तेज है. ऐसे में आखिर स्टारलिंक फाइबर ऑप्टिक्स की जगह सैटेलाइट से इंटरनेट क्यों देता है जिसमें कंपनी को सर्विस प्रोवाइड करने के लिए 1700 से अधिक सैटेलाइट स्पेस में भेजना पड़ा है?
कंपनी के वेबसाइट के अनुसार बीटा स्टेज में "यूजर्स अगले कई महीनों में डेटा स्पीड 50 से 150 mb/ सेकंड देखने की उम्मीद कर सकते हैं.” एलन मस्क ने फरवरी में ट्वीट किया था कि उम्मीद है कि 2021 के अंत तक इंटरनेट स्पीड 300 mbps तक दोगुना हो जाएगी.
Starlink ने कंपनी के "बेटर दैन नथिंग" बीटा प्रोग्राम में शामिल होने के इच्छुक कस्टमर्स से प्री-आर्डर स्वीकार करना शुरू कर दिया है. इंटरनेट सर्विस की लागत प्रति महीने $99 या 7,350 रूपये है. साथ ही टैक्स, फीस, माउंटेबल सैटेलाइट डिश और राउटर के लिए $500 का प्रारंभिक भुगतान करना होगा.
हालांकि मीडिया रिपोर्टों के अनुसार भारत में अब तक 5,000 प्री-आर्डर किये गए हैं और कंपनी प्रति कस्टमर 7,350 रुपये/ $99 का डिपॉजिट ले रही है.
Starlink ने 1 नवंबर को भारत में अपना कारोबार रजिस्टर्ड किया है. भारत में एक लोकल यूनिट होने से स्टारलिंक सैटेलाइट कम्युनिकेशंस प्राइवेट लिमिटेड कंपनी ब्रॉडबैंड और अन्य सैटेलाइट-आधारित संचार सेवाएं प्रदान करने से पहले सरकार से लाइसेंस प्राप्त करने के लिए आवेदन कर सकेगी.
IAMAI-Kantar ICUBE 2020 की रिपोर्ट की माने तो 2020 में भारत में 62.2 करोड़ से अधिक इंटरनेट यूजर्स थे जो आंकड़ा 2025 तक 90 करोड़ तक बढ़ने का अनुमान है. ऐसे में भारत का बढ़ता इंटरनेट मार्केट Starlink के लिए शानदार प्लेटफॉर्म हो सकता है.
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