advertisement
केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय ने गुरुवार, 7 दिसंबर को एक प्रेस रिलीज के जरिए स्पष्ट किया कि दिल्ली के अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (AIIMS) में पाए गए 7 बैक्टीरियल मामले, हाल ही में चीन में हुए निमोनिया मामलों में बढ़ोतरी से जुड़े नहीं हैं.
मंत्रालय द्वारा जारी एक बयान में कहा गया है:
इसमें आगे कहा गया, ''जनवरी 2023 से अब तक, ICMR के मल्टीपल रेस्पिरेटरी पैथोजेन सर्विलांस (Multiple Respiratory Pathogen Surveillance) के तहत AIIMS दिल्ली के माइक्रोबायोलॉजी विभाग में टेस्ट किए गए 611 नमूनों में कोई माइकोप्लाज्मा निमोनिया नहीं पाया गया, जिसमें मुख्य रूप से सिव्यर एक्यूट रेस्पिरेटरी बीमारी (SARI) शामिल थी. जिसमें रियल टाइम पीसीआर द्वारा लगभग 95% मामले शामिल थे.”
बुधवार को लैंसेट माइक्रोब रिपोर्ट में कहा गया कि अप्रैल-सितंबर 2023 के बीच AIIMS-दिल्ली में माइकोप्लाज्मा निमोनिया के सात मामलों का पता चला था.
चीन ने नवंबर की शुरुआत में "सांस संबंधी बीमारियों की घटनाओं" में वृद्धि दर्ज की. बच्चों में अज्ञात निमोनिया के क्लस्टर के मामले सामने आए.
लेकिन चीनी स्वास्थ्य अधिकारियों ने 24 नवंबर को विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) को बताया कि किसी भी असामान्य या नए पैथोजन का पता नहीं चला है और निमोनिया के मामलों में वृद्धि से जुड़ी कोई असामान्य मामले सामने नहीं आई है.
डब्ल्यूएचओ (WHO) ने यह भी कहा कि ये मामले माइकोप्लाज्मा न्यूमोनिया (mycoplasma pneumonia), रेस्पिरेटरी सिंकाइटियल वायरस (respiratory syncytial virus), एडेनोवायरस और इन्फ्लूएंजा से प्रेरित थे, जो "आमतौर पर इस मौसम में पनपते हैं."
वहीं भारत में मंत्रालय ने कहा है, "केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय राज्य स्वास्थ्य अधिकारियों के संपर्क में है और हर रोज स्थिति पर कड़ी नजर रख रहा है."
(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)
Published: undefined