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World Pneumonia Day: निमोनिया सबसे बड़ी संक्रामक बीमारी, बचाव के कारगर तरीके

निमोनिया रोगियों की आईसीयू में मृत्‍यु दर 30% तक हो सकती हैं.

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World Pneumonia Day 2022: विश्व निमोनिया दिवस हर साल 12 नवंबर को पूरी दुनिया में मनाया जाता है. निमोनिया बीमारी को जड़ से उखाड़ने के मकसद और लोगों में इस जानलेवा बीमारी के प्रति जागरूकता फैलाने के उद्देश्य से मनाया जाता है.

ऐसे तो यह संक्रमण अधिकतर बच्चों में देखा जाता है, लेकिन किसी भी उम्र के लोग इसकी चपेट में आ सकते हैं. इस बीमारी का इलाज है पर कई कारणों से निमोनिया खतरनाक भी है. इसकी एक वजह यह है कि निमोनिया वायरस, बैक्टीरिया और फंगी तीनों कारणों की वजह से हो सकता है.

जानते हैं निमोनिया के लक्षण, कारण, उससे होने वाले खतरे और बचाव के बारे में.

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क्या है निमोनिया (Pneumonia)?

WHO के अनुसार, निमोनिया एक एक्यूट रेस्पिरेटरी इंफेक्शन है, जो कि आमतौर पर बैक्टीरिया या वायरस के कारण होता है. यह टीबी के कारण भी पनप सकता है. यह लंग्स का एक ऐसा संक्रमण है, जो अन्य सभी संक्रामक रोगों में सबसे घातक और जीवन के लिए खतरा पैदा कर सकता है अगर उसका निदान और इलाज समय पर ना हो.

इस इंफेक्शन में एक या दोनों फेफड़ों की उस थैली में पस या तरल भर जाता है, जिसमें सांस इकट्ठा होती है. इसके कारण सांस लेना मुश्किल हो जाता है.

निमोनिया (Pneumonia) के शुरुआती लक्षण

निमोनिया में दिखने वाले लक्षण इस पर निर्भर करते हैं कि फेफड़ों में इंफेक्शन बैक्टीरिया के कारण हुआ है या वायरस या फिर फंगस. ऐसे निमोनिया के सामान्य लक्षणों में शामिल हैं:

  • बुखार के साथ बलगम वाली खांसी

  • वजन घटना

  • भूख न लगना

  • आलस्य महसूस होना

  • थूक के साथ खून

  • कमजोरी लगना

  • ठंड लगना

  • होंठ या उंगली के नाखून नीले पड़ना

  • बेचैनी महसूस होना

  • पसीना और कंपकंपी आना

  • सांस लेने में कठिनाई होना

  • सीने में दर्द होना

इन लोगों को खतरा ज्यादा है

"जो लोग पहले से दूसरे रोगों जैसे कि डायबिटीज, हृदय रोग, अस्‍थमा और सीओपीडी आईएलडी के पोस्‍ट कोविड स्‍टेटस से जूझ रहें हैं, अधिक उम्र के हैं, या कम उम्र के शिशुओं/बच्‍चों में निमोनिया का जोखिम अधिक होता है."
डॉ. राहुल शर्मा, एडिशनल डायरेक्टर- पल्मोनोलॉजी, फोर्टिस हॉस्पिटल नोएडा

वहीं मेदांता हॉस्पिटल में इंटरनल मेडिसिन के सीनियर कंसल्टेंट डॉ. विकास देसवाल ने बताया कि निमोनिया सबसे गंभीर शिशुओं और छोटे बच्चों, 60-65 वर्ष से अधिक उम्र के लोग, पहले से लंग्स की क्रोनिक बीमारी से ग्रसित हो, किसी तरह की स्वास्थ्य समस्याओं से पीड़ित हो या जिनका इम्यून सिस्टम पहले से विक हो, जो लोग धूम्रपान करते हैं या शराब का अधिक सेवन करते हैं और जिन लोगों को अतीत में स्ट्रोक हुआ हो.

निमोनिया जानलेवा हो सकता है

डॉक्टरों के अनुसार यदि निमोनिया का इलाज सही ढंग से नहीं किया जाए या इसमें देरी हो या इस मामले में लापरवाही बरती जाए तो मरीज की हालत गंभीर हो सकती है और वह आईसीयू में भी पहुंच सकता है. ऐसे में मृत्‍यु की आशंका भी रहती है. आईसीयू में निमोनिया रोगियों की मृत्‍यु दर 30% तक हो सकती है.

निमोनिया लंग्स में मौजूद एयर सैक्स मे सूजन और उसमें पस और तरल पदार्थ भरने का कारण बनता है. निमोनिया के लगभग 30% मामलों में अस्पताल में भर्ती और आईसीयू की आवश्यकता होती है और उनमें से लगभग 25% मामले बीमारी की गंभीरता की वजह से नहीं बच पाते हैं.
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ये हैं रिस्क फैक्टर

"जोखिम के कारणों में पहले से मौजूद रोगों का सही ढंग से उपचार नहीं होना, डायबिटीज का सही तरीके से मैनेज नहीं करना और हृदय रोग जैसी बीमारियां प्रमुख हैं. इसके अलावा, जिन बुजुर्गों ने वैक्‍सीनेशन नहीं कराया है. जो पोस्‍ट कोविड स्‍टेटस वाले हैं या जिनमें पुराने फेफड़ों के रोगों के कुछ प्रभाव बाकी हैं, वे भी निमोनिया के शिकार बन सकते हैं. एलर्जी भी निमोनिया के जोखिम बढ़ाती हैं."
डॉ. राहुल शर्मा, एडिशनल डायरेक्टर- पल्मोनोलॉजी, फोर्टिस हॉस्पिटल नोएडा

रिस्क फैक्टर के बारे में डॉ. विकास देसवाल विस्तार से बताते हैं:

  • उम्र- उम्र के साथ निमोनिया का खतरा बढ़ता है. बच्चे और बुजुर्ग इसके सबसे ज्यादा चपेट में आते हैं. क्योंकि बच्चों में इम्यून सिस्टम का विकास हो रहा होता है और बुज़ुर्गो में इम्यून सिस्टम कमजोर हो जाता है इसलिए इन वर्गों में निमोनिया होने की अधिक आशंका होती है.

  • धूम्रपान- धूम्रपान रेस्पिरेटरी ट्रैक्ट और लंग्स को नुकसान पहुंचाता है और लंग्स में जहरीले धुएं का उत्सर्जन (emission) करता है, जिससे निमोनिया का खतरा बढ़ जाता है.

  • शराब का सेवन- शराब इम्यून सिस्टम को कमजोर करता है, जिससे निमोनिया होने का खतरा बढ़ जाता है. इसके अलावा, अत्यधिक शराब के सेवन से एस्पिरेशन निमोनिया का संक्रमण बढ़ सकता है.

  • को-मोर्बिडीटीएस- सीओपीडी, अस्थमा और ब्रोन्किइक्टेसिस जैसे फेफड़ों के रोग निमोनिया का खतरा बढ़ाते हैं. दूसरी गंभीर स्थितियां जैसे कुपोषण, डायबिटीज, हार्ट फेलियर, सिकल सेल रोग या लिवर और किडनी की बीमारी भी निमोनिया के रिस्क फैक्टर्स में शामिल हैं.

  • एचआईवी- एचआईवी रोगियों का भी इम्यून सिस्टम कमजोर होता है, जिससे उनमें निमोनिया होने का खतरा बढ़ जाता है.

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निमोनिया से बचाव के कारगर तरीके 

"निमोनिया के जोखिम को कम करने के लिए डॉक्टर से सलाह लेने के बाद ही टीका लगवाएं. न्यूमोवैक्स 20, निमोनिया का एक नया टीका है, जो जल्द ही उपलब्ध होगा."
डॉ. विकास देसवाल, सीनियर कंसल्टेंट- इंटरनल मेडिसिन, मेदांता हॉस्पिटल, गुरुग्राम

निमोनिया संक्रमण से बचाव के लिए बताए उपाय फायदेमंद हो सकते हैं: 

  • फ्लू और निमोनिया से बचाव के लिए वैक्‍सीन लें 

  • यदि आपको कोई बीमारी है, तो उसके उपचार की दवाओं का नियमित सेवन करें 

  • नियमित रूप से पीएफटी या लंग फंक्शन टेस्ट करवाएं 

  • संतुलित भोजन करें

  • शराब कम पीएं

  • धूम्रपान नहीं करें

  • हाथ साफ रखें और स्वच्छता बनाए रखें

  • नियमित रूप से व्यायाम करें

  • निमोनिया का लक्षण दिखते ही या उसकी आशंका होते ही अपने डॉक्‍टर से सलाह लें

  • एक स्वस्थ जीवन शैली बनाए रखें, जो इम्यून सिस्टम को मजबूत रखने में मदद करता है और रोग विकसित होने की आशंका को भी कम करता है

जिन लोगों को फेफड़े की समस्या, हार्ट डिजीज, क्रॉनिक किडनी डिजीज, एचआईवी है या जो कीमोथेरेपी करवा रहे हैं या जिनकी उम्र 65 से अधिक है, उन्हें वैक्सीन लगवानी चाहिए क्योंकि उन्हें इस बीमारी का खतरा अधिक है.

शराब इम्यून सिस्टम को कमजोर करता है, निमोनिया तेजी से विकसित हो सकता है. लोग शराब से दूर रहकर इस घातक संक्रामक बीमारी से खुद को बचा सकते हैं.

ऐसे में डॉक्टर से संपर्क करें

डॉक्टर कहते हैं, यदि किसी को सांस लेने में कठिनाई, सांस लेने में परेशानी हो, सीने में दर्द, लगातार 102 F या अधिक बुखार रहे, बलगम वाली खांसी हो, बलगम के साथ खून आए तो तुरंत डॉक्टर से कंसल्ट करना चाहिए.

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