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दिल्ली AIIMS में शुरू हुआ कोविड के नेजल वैक्सीन की बूस्टर खुराक का ट्रायल

दिल्ली AIIMS में लगभग 100 लोगों पर इसका ट्रायल किया जाएगा.

अश्लेषा ठाकुर
फिट
Published:
<div class="paragraphs"><p>दिल्ली AIIMS में&nbsp;नेजल वैक्सीन की बूस्टर डोज का ट्रायल शुरू</p></div>
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दिल्ली AIIMS में नेजल वैक्सीन की बूस्टर डोज का ट्रायल शुरू

(फोटो:iStock)

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दिल्ली AIIMS में आज से कोविड के नेजल वैक्सीन की बूस्टर डोज का ट्रायल शुरू हो गया है. ये भारत बायोटेक के इंट्रानेजल कोविड-19 वैक्सीन का बूस्टर डोज ट्रायल है.

AIIMS, नई दिल्ली में सामुदायिक चिकित्सा केंद्र के प्रोफेसर डॉ संजय राय ने पीटीआई को बताया कि शुक्रवार से ट्रायल शुरू किया जा रहा है. यह नाक से दिए जाने वाले टीके की बूस्टर खुराक का ट्रायल है. इसका ट्रायल देश के नौ अस्पतालों में हो रहा है. इनमें AIIMS दिल्ली भी शामिल है.

यहां बता दें, भारत द्वारा हैदराबाद की कंपनी 'भारत बायोटेक' द्वारा कोविड-19 के खिलाफ विकसित ‘इंट्रानेसल वैक्सीन’ बीबीवी154 के इस्तेमाल को मंजूरी देना अभी बाकी है.

बूस्टर डोज के ट्रायल के लिए मानक तय किया गया है 

दिल्ली AIIMS में 100 लोगों पर इसका ट्रायल होगा 

(फोटो:iStock)

डॉक्टर संजय राय ने कहा कि यह कोरोना महामारी से लड़ने वाली पहली नेजल वैक्सीन है, जिसका बूस्टर डोज के लिए ट्रायल हो रहा है. इसलिए इस ट्रायल में शामिल होने का मानक भी तय किया गया है. दिल्ली AIIMS में लगभग 100 लोगों पर इसका ट्रायल किया जाएगा.

इसमें 18 साल से ऊपर के लोगों को ही शामिल किया जाएगा. इसके अलावा दोनों डोज ले चुके व्यक्तियों को ही इस ट्रायल का हिस्सा बनाया जाएगा. ट्रायल में कोविशिल्ड या कोवैक्सीन दोनों में से कोई भी टीका लगवा चुके लोग शामिल हो सकते हैं. पर यहाँ बता दें, जिन लोगों को वैक्सीन की दूसरी डोज लिए 5 महीने हो गए हैं, वो इसमें शामिल हो सकते हैं, लेकिन दूसरी डोज लिए 7 महीने से अधिक नहीं होना चाहिए.

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क्या होती है नेजल वैक्सीन?

नाक के जरिए दी जाती है ये वैक्सीन 

(फोटो:iStock)

नेजल वैक्सीन वो होती है, जिसे नाक के जरिए दी जाती है इसलिए इसे इंट्रानेजल वैक्सीन कहा जाता है.

यह नाक के वायुमार्ग से शुरू होने वाले श्वसन मार्ग (respiratory tract) के भीतर इन्फेक्शन के स्थल पर प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया (immune response) पैदा करने में सहायक मानी जाती है. इस तरह का टीका बच्चों के लिए सबसे उपयुक्त माना जाता है.

यह इंफेक्शन रोकने के साथ-साथ ट्रांसमिशन को रोकने में भी मददगार साबित होती है.

एंटीवायरल नेजल स्प्रे कोई नई बात नहीं है। वास्तव में, नाक के स्प्रे का उपयोग कई संक्रमणों के इलाज और सामान्य सर्दी और फ्लू से संबंधित लक्षणों को कम करने के लिए किया गया है.

कैसे काम करती है नेजल वैक्सीन?

नाक के अंदरूनी हिस्सों में म्यून तैयार करती है

(फोटो:iStock)

यह नाक के अंदर के हिस्सों में म्यून तैयार करती है. इसे ज्यादा कारगर इसलिए भी माना जाता है क्योंकि हवा से फैलने वाली ज्यादातर बीमारियों के संक्रमण का रास्ता प्रमुख रूप से नाक ही होता है. इसलिए नाक के अंदरूनी हिस्सों में इम्युनिटी तैयार होने से ऐसी बीमारियों को रोकना आसान साबित होता है.

नेजल वैक्सीन के फायदे

बच्चों को देना होगा आसान 

(फोटो:iStock)

इंजेक्शन के मुकाबले नेजल वैक्सीन के फायदे अधिक हैं.

  • इंजेक्शन से छुटकारा मिलेगा

  • नाक के अंदरूनी हिस्सों में इम्यून तैयार होने से सांस से संक्रमण होने का खतरा घटेगा

  • इसे लोगों को देने के लिए हेल्थ वर्कर्स को ट्रेनिंग लेने की जरूरत नहीं

  • बच्चों का टीकाकरण होगा आसान

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