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Explained: दोनों डोज लगने के बावजूद हो गया कोविड? क्या वैक्सीन काम नहीं कर रही?

ओमिक्रॉन वेरिएंट, वैक्सीन प्रोटेक्शन को दरकिनार कर सकता है, फिर भी, कोविड वैक्सीन आपको पस्त होने नहीं देगी.

अनुष्का राजेश
कुंजी
Published:
<div class="paragraphs"><p>कोविड वैक्सीन</p></div>
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कोविड वैक्सीन

(फोटो: फिट)

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कोरोना वायरस (Coronavirus) के बढ़ते मामले और ओमिक्रॉन (Omicron) को लेकर बढ़ते रिस्क के बीच फिर कई लोगों के मन में सवाल उठने लगे हैं. बड़े स्तर पर वैक्सीनेशन (COVID Vaccination) होने के बाद अब कई लोग ये जानना चाहते हैं कि फुली वैक्सीनेटेड यानी वैक्सीन की दोनों डोज लेने के बाद भी कोरोना हो रहा है? लेकिन इसका ये मतलब नहीं कि वैक्सीन काम नहीं कर रही.

हां, ओमिक्रॉन, वैक्सीन प्रोटेक्शन को दरकिनार कर सकता है, फिर भी, COVID-19 की वैक्सीन आपको पस्त होने नहीं देगी.

'नया साल, नया मैं', इस मुहावरे को पता नहीं आपने गंभीरता से लिया या नहीं, लेकिन इसे COVID-19 ने काफी गंभीरता से लिया है. ये कोरोना के ओमिक्रॉन वेरिएंट का ही असर है कि दुनिया के अधिकांश हिस्सों में कोरोना की तीसरी लहर देखी जा रही है.

अब कोरोना के वेरिएंट्स, दूसरे वायरसों की तरह, आते-जाते रहेंगे, लेकिन ओमिक्रॉन का ये वेरिएंट इसलिए भी चिंता का सबब है क्योंकि ये डेल्टा वेरिएंट (Delta Variant) के मुकाबले कहीं ज्यादा तेजी के साथ फैलता है.

न केवल तेजी के साथ फैलने वाला, बल्कि ये वेरिएंट COVID-19 वैक्सीन की सुरक्षा को भी दरकिनार कर सकता है. इसका मतलब है कि जिन लोगों को वैक्सीन की दोनों खुराकें भी मिल चुकी हैं, उन्हें भी कोरोना के फिर से होने का खतरा जरूर है. ये हो भी रहा है और ऐसे हजारों मामले हैं.

ये क्यों हो रहा है?

वैक्सीन के टीके लगा चुके लोग संक्रमित हो रहे हैं क्योंकि,

  1. पुख्ता वैज्ञानिक सबूतों से पता चलता है कि कुछ महीनों के बाद टीके से मिलने वाली एंटीबॉडी की सुरक्षा कम होने लगती है.

  2. ओमिक्रॉन वेरिएंट वैक्सीन से मिलने वाली इम्यून रिस्पॉन्स (रोग प्रतिरोधक क्षमता की प्रतिक्रिया) से आगे निकलने के काबिल है.

पूरी तरह से वैक्सीनेटेड लोगों के यहां-वहां संक्रमित होने की खबरों से आप निराश और गुमराह महसूस कर सकते हैं और ये सवाल भी कर सकते हैं कि "क्या इसका मतलब यह है कि टीके काम नहीं कर रहे हैं?"

हां, ऐसा तो है, लेकिन पूरा उस तरह नहीं जिस तरह से आप सोच रहे हैं.

किसी के लिए, COVID के टीके आपको संक्रमणों से बचाने के लिए इम्युनिटी नहीं देते और ऐसा हमेशा से होता रहा है. बहुत से लोगों को यह गलतफहमी है कि टीका लगवाने का मतलब है, वायरस से पूरी तरह सुरक्षा पा लेना. लेकिन ऐसा नहीं है.

आइए जानें कि हम COVID-19 टीकों के बारे में क्या जानते हैं, इसे लेकर विशेषज्ञ क्या कह रहे हैं, और आपको टीका लगवाना बेहतर क्यों है.

आपने इसे पहले हालांकि ये सुन रखा है, लेकिन यहां एक फौरी विवरण दिया गया है कि कैसे COVID-19 के टीके काम करते हैं.

ये वैक्सीन किसी खास वायरस के खिलाफ लड़ने के लिए आपके शरीर में एंटीबॉडीज को तैयार करते हैं. इस मामले में SARS CoV-2 या तो एक मरे हुए या कमजोर वायरस, या वायरस के कुछ हिस्सों (जैसे स्पाइक प्रोटीन), या उसके DNA के हिस्से को पेश करता है, लेकिन ये निर्भर करता है कि वैक्सीन का प्रकार क्या है.

ये प्रैक्टिस के लिए किए गए एक नकली टार्गेट की तरह है.

ताकि जब आपका शरीर असली चीज के संपर्क में आए, तो आपका शरीर तुरंत खतरे को पहचान सके और उसे नष्ट कर सके.

सैद्धांतिक रूप में, यह तंत्र, अगर कारगर होता है तो पूरी तरह या 'बांझ प्रतिरक्षा' (sterilising immunity) देने में सक्षम होना चाहिए, लेकिन जैसा समझा जाता है, दुर्भाग्य से यह इतना आसान नहीं है.

वैक्सीन बुलेटप्रूफ ढाल की तरह नहीं हैं

सही मायनों में, संक्रमण के खिलाफ पूरी तरह सुरक्षा कवच हासिल कर पाना मुश्किल है, क्योंकि वायरस का आगे म्यूटेट (बदलते रहना) होना तय है.

वायरस हमेशा उन बाधाओं को पार करने में कड़ी मेहनत करते हैं जो कोशिकाओं में बसने की राह में आड़े आते हैं.

अक्सर, वे म्यूटेशन तैयार करते रहते हैं ताकि वैक्सीन की एंटीबॉडीज उन्हें पहचान न ले. लेकिन यह अच्छी बात है कि केवल एंटीबॉडी हमारी सुरक्षा का एकमात्र रास्ता नहीं हैं. यहीं से खूंखार T सेल का राज शुरू होता है.

एंटीबॉडी Vs T सेल इम्युनिटी: जहां एक रक्षा विफल होती है, तो दूसरा सजग हो उठती है

जब एंटीबॉडी वायरस आपकी कोशिकाओं को संक्रमित होने से रोकने में एक बार असफल हो जाते हैं तो इसके बाद वे ज्यादा कुछ नहीं कर पाते.

लेकिन यही वह जगह है जहां से T Cells की अगली सुरक्षा सीमा शुरू होती है.

एंटीबॉडी की तरह नहीं, T सेल्स न केवल शरीर में तैरते पैथोजन्स को बेअसर करती हैं, बल्कि संक्रमित कोशिकाओं की तलाश करने और उन्हें बीमारी फैलाने से रोकने में सक्षम होते हैं.

एक अलग लेख के लिए FIT से बात करते हुए, वायरोलॉजिस्ट डॉ शाहिद जमील समझाते हैं, "आजकल हमारे पास 'घटते इम्युनिटी' को लेकर बहुत सी चर्चाएं सुनने मिल जाती हैं. हम मोटे तौर पर केवल एंटीबॉडीज को माप रहे हैं, यह कहते हुए कि जब आपको टीका मिला तो आपके पास एक निश्चित स्तर में एंटीबॉडी थी, लेकिन छह महीने बाद आपका एंटीबॉडी स्तर नीचे चला गया है, इसलिए आपकी प्रतिरक्षा कम हो गई होगी."

वे आगे कहते हैं, "मैं पूरे यकीन के साथ नहीं कह सकता कि हम इसे घटता इम्युनिटी कह सकते हैं. यह निश्चित रूप से एंटीबॉडी की कमी है, और जैसा कि मैं जोर देकर कहता हूं, एंटीबॉडी इम्यून सिस्टम का केवल एक हाथ ही है."

"एस्ट्राजेनेका वैक्सीन जिसे भारत में कोविशील्ड कहा जाता है, जहां तक T Cell का सवाल है, अपनी श्रेणी में सर्वश्रेष्ठ है."
डॉ शाहिद जमील, वायरोलॉजिस्ट
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संक्रमण बनाम रोग

जैसा हम जानते हैं कि कोरोना वायरस बिना किसी बाहरी लक्षण के किसी को संक्रमित करने के काबिल है, संक्रमण और बीमारी के बीच अंतर करना मुश्किल हो सकता है, लेकिन विशेषज्ञ मानते हैं कि जब हम टीके की प्रभावशीलता की बात करते हैं तो यह एक महत्वपूर्ण अंतर है.

तो हां, ये संभव है कि कोरोना के टीके संक्रमण के खिलाफ उतना कारगर साबित न हो जैसा पहली बार में हुआ करते थे. लेकिन ये भी सच है कि वे अभी भी गंभीर बीमारी और मौत से बचाने में बहुत कारगर हैं, जैसा कि हम जानते हैं कि वे इसी के लिए बने थे. यह न केवल क्लीनिकल अध्ययनों में बल्कि वास्तविक तौर पर दुनिया के अध्ययनों और सबूतों के जरिए भी सिद्ध हो चुका है.

वास्तव में, ओमिक्रॉन डेल्टा की तुलना में एक 'हल्का' संस्करण है, जिसका शायद उस वैक्सीन कवरेज से बहुत लेना-देना है जिसे हमने अब तक हासिल किया है.

हालांकि टीका लगाए गए लोग भी अब संक्रमित हो रहे हैं, अस्पताल में भर्ती ज्यादातर टीका रहित आबादी में से हैं, जो कि एक मायने में अच्छी खबर है.

गंभीर हो या न हो, संक्रमण का बढ़ना अपने आप में चिंता का विषय है.

कोई हाई रिस्क कैटेगिरी के वैक्सीनेटेड शख्स गंभीर बीमारी की चपेट में आ सकते हैं. इसके अलावा, बड़ी आबादी वाले देशों में, संक्रमण की उच्च दर का मतलब देश के चिकित्सा ढांचे पर भारी दबाव हो सकता है.

बूस्टर डोज आखिर करता क्या है?

यहीं से बूस्टर खुराक की एंट्री होती है. बूस्टर डोज निश्चित रूप से संक्रमण के जोखिम को कम करने के लिए होता है. लेकिन अगर समय के साथ वैक्सीन की इम्युनिटी घटती है, तो बूस्टर डोज की जरूरत बार-बार पड़ सकती है.

कुछ देश पहले से ही चौथी खुराक और भविष्य में पांचवीं और छठी खुराक देने की बात कर रहे हैं.

लेकिन, इससे यह अनुमान नहीं लगा लेना चाहिए कि हम कभी भी वैक्सीने के संक्रमण से पूरी सुरक्षा हासिल कर पाएंगे.

"उन्होंने (वैक्सीन कंपनियों ने) वादा किया था कि वैक्सीन गंभीर संक्रमण को रोकेगा और वे ऐसा कर रहे हैं. संक्रमण को रोकने के लिए बूस्टर खुराक ली जा रही है, और मेरी राय में यह काम नहीं करेगा."
डॉ जेपी मुलियिल, एपिडेमियोलॉजिस्ट

महामारी विज्ञानी डॉ जेपी मुलियाल ने FIT को बताया, "एंटीबॉडी का स्तर ऊपर जाएगा, लेकिन जरूरी नहीं कि यह संक्रमण से सुरक्षा से संबंधित हो."

तो क्या आपको बूस्टर चाहिए?

FIT से बात करते हुए डॉ स्वप्निल पारिख समझाते हैं, "जिनकी इम्युनिटी कमजोर है उनके 3 डोज, युवा, स्वस्थ्य और अच्छी इम्युनिटी वाले शख्स के 2 डोज के बराबर हैं. इसलिए, तीन खुराक को उनके लिए प्राथमिक खुराक माना जाना चाहिए."

लेकिन, दूसरी ओर, अगर आप अच्छे सेहतमंद हैं और आपको टीके की दो खुराकें मिली हैं, तो विशेषज्ञों का कहना है कि बूस्टर की कोई जरूरत नहीं है, कम से कम फिलहाल तो नहीं.

इसके अलावा, कई विशेषज्ञों का मानना है कि संक्रिमित होने के बाद टीके लेने से तैयार होनेवाली 'हाइब्रिड इम्युनिटी' वाले, लंबे समय तक और भी मजबूत इम्यून रिस्पॉन्स हासिल करते हैं.

स्वप्निल पारिख FIT को बताते हैं, "पिछले संक्रमण और वैक्सीनेशन के मेल से बनी इम्युनिटी सबसे मजबूत इम्यून रिस्पॉन्स हो सकती है.

उन्होंने कहा, "इस 'हाइब्रिड इम्युनिटी' वाले लोगों में एंटीबॉडी टाइटर्स, मेमोरी रिस्पॉन्स और सेल्युलर रिस्पॉन्स काफी अधिक पाए गए हैं." लेकिन फिर भी, यह संक्रमण को रोकने के लिए पर्याप्त मजबूत नहीं लगता है, जैसा कि हम ओमिक्रॉन के साथ देख रहे हैं.

वायरस के कुछ वेरियंट्स को रोकने का कोई खास या अलग तरीका नहीं है

कुछ वैक्सीन कंपनियों ने कहा है कि वे ओमिक्रॉन के लिए अपने टीकों में बदलाव कर रहे हैं. लेकिन क्या होता है जब अगला संस्करण सामने आता है, फिर उसके बाद और अगला, और अगला?

अभी, जैसा कि देश में एक बार फिर से COVID के मामले बढ़ रहे हैं, हमें महामारी के शुरुआती दिनों में अपनाए गए प्राथमिक पाठों को फिर से अपनाना होगा.

  • बार-बार हाथ धोएं

  • भीड़ से बचें और सामाजिक दूरी बनाए रखें

  • अपने चेहरे, अपनी आंखों और नाक को छूने से बचें

  • बाहर निकलते समय अच्छी तरह से फिट किया हुआ मास्क पहनें ( N95 मास्क हो तो बेहतर)

  • सुनिश्चित करें कि आपके रहने की जगह अच्छी तरह हवादार है

  • और निश्चित रूप से, टीका लगवाएं, और अगर आप पात्र हैं, तो बूस्टर खुराक लें

क्योंकि भले ही हमें ऐसा नहीं लगता कि टीके काम कर रहे हैं फिर भी वे आपको सबसे खराब स्थिति में पहुंचने से बचा रहे हैं.

(हैलो दोस्तों! हमारे Telegram चैनल से जुड़े रहिए यहां)

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