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कोरोना वायरस (Coronavirus) के बढ़ते मामले और ओमिक्रॉन (Omicron) को लेकर बढ़ते रिस्क के बीच फिर कई लोगों के मन में सवाल उठने लगे हैं. बड़े स्तर पर वैक्सीनेशन (COVID Vaccination) होने के बाद अब कई लोग ये जानना चाहते हैं कि फुली वैक्सीनेटेड यानी वैक्सीन की दोनों डोज लेने के बाद भी कोरोना हो रहा है? लेकिन इसका ये मतलब नहीं कि वैक्सीन काम नहीं कर रही.
हां, ओमिक्रॉन, वैक्सीन प्रोटेक्शन को दरकिनार कर सकता है, फिर भी, COVID-19 की वैक्सीन आपको पस्त होने नहीं देगी.
'नया साल, नया मैं', इस मुहावरे को पता नहीं आपने गंभीरता से लिया या नहीं, लेकिन इसे COVID-19 ने काफी गंभीरता से लिया है. ये कोरोना के ओमिक्रॉन वेरिएंट का ही असर है कि दुनिया के अधिकांश हिस्सों में कोरोना की तीसरी लहर देखी जा रही है.
अब कोरोना के वेरिएंट्स, दूसरे वायरसों की तरह, आते-जाते रहेंगे, लेकिन ओमिक्रॉन का ये वेरिएंट इसलिए भी चिंता का सबब है क्योंकि ये डेल्टा वेरिएंट (Delta Variant) के मुकाबले कहीं ज्यादा तेजी के साथ फैलता है.
वैक्सीन के टीके लगा चुके लोग संक्रमित हो रहे हैं क्योंकि,
पुख्ता वैज्ञानिक सबूतों से पता चलता है कि कुछ महीनों के बाद टीके से मिलने वाली एंटीबॉडी की सुरक्षा कम होने लगती है.
ओमिक्रॉन वेरिएंट वैक्सीन से मिलने वाली इम्यून रिस्पॉन्स (रोग प्रतिरोधक क्षमता की प्रतिक्रिया) से आगे निकलने के काबिल है.
पूरी तरह से वैक्सीनेटेड लोगों के यहां-वहां संक्रमित होने की खबरों से आप निराश और गुमराह महसूस कर सकते हैं और ये सवाल भी कर सकते हैं कि "क्या इसका मतलब यह है कि टीके काम नहीं कर रहे हैं?"
हां, ऐसा तो है, लेकिन पूरा उस तरह नहीं जिस तरह से आप सोच रहे हैं.
किसी के लिए, COVID के टीके आपको संक्रमणों से बचाने के लिए इम्युनिटी नहीं देते और ऐसा हमेशा से होता रहा है. बहुत से लोगों को यह गलतफहमी है कि टीका लगवाने का मतलब है, वायरस से पूरी तरह सुरक्षा पा लेना. लेकिन ऐसा नहीं है.
आइए जानें कि हम COVID-19 टीकों के बारे में क्या जानते हैं, इसे लेकर विशेषज्ञ क्या कह रहे हैं, और आपको टीका लगवाना बेहतर क्यों है.
आपने इसे पहले हालांकि ये सुन रखा है, लेकिन यहां एक फौरी विवरण दिया गया है कि कैसे COVID-19 के टीके काम करते हैं.
ये प्रैक्टिस के लिए किए गए एक नकली टार्गेट की तरह है.
ताकि जब आपका शरीर असली चीज के संपर्क में आए, तो आपका शरीर तुरंत खतरे को पहचान सके और उसे नष्ट कर सके.
सैद्धांतिक रूप में, यह तंत्र, अगर कारगर होता है तो पूरी तरह या 'बांझ प्रतिरक्षा' (sterilising immunity) देने में सक्षम होना चाहिए, लेकिन जैसा समझा जाता है, दुर्भाग्य से यह इतना आसान नहीं है.
सही मायनों में, संक्रमण के खिलाफ पूरी तरह सुरक्षा कवच हासिल कर पाना मुश्किल है, क्योंकि वायरस का आगे म्यूटेट (बदलते रहना) होना तय है.
वायरस हमेशा उन बाधाओं को पार करने में कड़ी मेहनत करते हैं जो कोशिकाओं में बसने की राह में आड़े आते हैं.
जब एंटीबॉडी वायरस आपकी कोशिकाओं को संक्रमित होने से रोकने में एक बार असफल हो जाते हैं तो इसके बाद वे ज्यादा कुछ नहीं कर पाते.
लेकिन यही वह जगह है जहां से T Cells की अगली सुरक्षा सीमा शुरू होती है.
एक अलग लेख के लिए FIT से बात करते हुए, वायरोलॉजिस्ट डॉ शाहिद जमील समझाते हैं, "आजकल हमारे पास 'घटते इम्युनिटी' को लेकर बहुत सी चर्चाएं सुनने मिल जाती हैं. हम मोटे तौर पर केवल एंटीबॉडीज को माप रहे हैं, यह कहते हुए कि जब आपको टीका मिला तो आपके पास एक निश्चित स्तर में एंटीबॉडी थी, लेकिन छह महीने बाद आपका एंटीबॉडी स्तर नीचे चला गया है, इसलिए आपकी प्रतिरक्षा कम हो गई होगी."
वे आगे कहते हैं, "मैं पूरे यकीन के साथ नहीं कह सकता कि हम इसे घटता इम्युनिटी कह सकते हैं. यह निश्चित रूप से एंटीबॉडी की कमी है, और जैसा कि मैं जोर देकर कहता हूं, एंटीबॉडी इम्यून सिस्टम का केवल एक हाथ ही है."
जैसा हम जानते हैं कि कोरोना वायरस बिना किसी बाहरी लक्षण के किसी को संक्रमित करने के काबिल है, संक्रमण और बीमारी के बीच अंतर करना मुश्किल हो सकता है, लेकिन विशेषज्ञ मानते हैं कि जब हम टीके की प्रभावशीलता की बात करते हैं तो यह एक महत्वपूर्ण अंतर है.
वास्तव में, ओमिक्रॉन डेल्टा की तुलना में एक 'हल्का' संस्करण है, जिसका शायद उस वैक्सीन कवरेज से बहुत लेना-देना है जिसे हमने अब तक हासिल किया है.
हालांकि टीका लगाए गए लोग भी अब संक्रमित हो रहे हैं, अस्पताल में भर्ती ज्यादातर टीका रहित आबादी में से हैं, जो कि एक मायने में अच्छी खबर है.
गंभीर हो या न हो, संक्रमण का बढ़ना अपने आप में चिंता का विषय है.
यहीं से बूस्टर खुराक की एंट्री होती है. बूस्टर डोज निश्चित रूप से संक्रमण के जोखिम को कम करने के लिए होता है. लेकिन अगर समय के साथ वैक्सीन की इम्युनिटी घटती है, तो बूस्टर डोज की जरूरत बार-बार पड़ सकती है.
कुछ देश पहले से ही चौथी खुराक और भविष्य में पांचवीं और छठी खुराक देने की बात कर रहे हैं.
लेकिन, इससे यह अनुमान नहीं लगा लेना चाहिए कि हम कभी भी वैक्सीने के संक्रमण से पूरी सुरक्षा हासिल कर पाएंगे.
महामारी विज्ञानी डॉ जेपी मुलियाल ने FIT को बताया, "एंटीबॉडी का स्तर ऊपर जाएगा, लेकिन जरूरी नहीं कि यह संक्रमण से सुरक्षा से संबंधित हो."
FIT से बात करते हुए डॉ स्वप्निल पारिख समझाते हैं, "जिनकी इम्युनिटी कमजोर है उनके 3 डोज, युवा, स्वस्थ्य और अच्छी इम्युनिटी वाले शख्स के 2 डोज के बराबर हैं. इसलिए, तीन खुराक को उनके लिए प्राथमिक खुराक माना जाना चाहिए."
इसके अलावा, कई विशेषज्ञों का मानना है कि संक्रिमित होने के बाद टीके लेने से तैयार होनेवाली 'हाइब्रिड इम्युनिटी' वाले, लंबे समय तक और भी मजबूत इम्यून रिस्पॉन्स हासिल करते हैं.
स्वप्निल पारिख FIT को बताते हैं, "पिछले संक्रमण और वैक्सीनेशन के मेल से बनी इम्युनिटी सबसे मजबूत इम्यून रिस्पॉन्स हो सकती है.
कुछ वैक्सीन कंपनियों ने कहा है कि वे ओमिक्रॉन के लिए अपने टीकों में बदलाव कर रहे हैं. लेकिन क्या होता है जब अगला संस्करण सामने आता है, फिर उसके बाद और अगला, और अगला?
अभी, जैसा कि देश में एक बार फिर से COVID के मामले बढ़ रहे हैं, हमें महामारी के शुरुआती दिनों में अपनाए गए प्राथमिक पाठों को फिर से अपनाना होगा.
बार-बार हाथ धोएं
भीड़ से बचें और सामाजिक दूरी बनाए रखें
अपने चेहरे, अपनी आंखों और नाक को छूने से बचें
बाहर निकलते समय अच्छी तरह से फिट किया हुआ मास्क पहनें ( N95 मास्क हो तो बेहतर)
सुनिश्चित करें कि आपके रहने की जगह अच्छी तरह हवादार है
और निश्चित रूप से, टीका लगवाएं, और अगर आप पात्र हैं, तो बूस्टर खुराक लें
क्योंकि भले ही हमें ऐसा नहीं लगता कि टीके काम कर रहे हैं फिर भी वे आपको सबसे खराब स्थिति में पहुंचने से बचा रहे हैं.
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