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Simple Blood Test Detects Bipolar Disorder: रिसर्चरों ने बाइपोलर डिसऑर्डर के डायग्नोस में सुधार करने का एक नया तरीका डेवलप किया है, जो स्थिति से जुड़े बायोमार्कर की पहचान करने के लिए एक साधारण ब्लड टेस्ट का इस्तेमाल करता है. इस ब्लड टेस्ट के साथ मनोचिकित्सक यानी मेंटल हेल्थ एक्सपर्ट की सलाह से बाइपोलर डिसऑर्डर की जल्द पहचान और इलाज में मदद मिल सकती है. हालांकि अभी इस तकनीक को आने में थोड़ा समय लग सकता है.
क्या होता है बाइपोलर डिसऑर्डर? बाइपोलर डिसऑर्डर पर आई कैम्ब्रिज की स्टडी क्या कहती है? क्या हैं बाइपोलर डिसऑर्डर के लक्षण? कैसे मैनेज करें बाइपोलर डिसऑर्डर को? इस आर्टिकल में इन सवालों के जवाब जानते हैं .
कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी के रिसर्चरों ने मेंटल डिसऑर्डर की पहचान के लिए आसान मेडिकल जांच की खोज की है. रिसर्चरों का यह भी दावा है कि डिजिटल मेंटल हेल्थ इवैल्यूएशन के साथ यह तकनीक और भी ज्यादा कारगर है.
मेडिकल जर्नल जामा में प्रकाशित स्टडी में रिसर्चरों ने बताया कि उन्होंने ऐसे बायोमार्कर की पहचान की है, जिनका इस्तेमाल डिप्रेशन और बायपोलर समस्या की पहचान करने में किया जा सकता है. इस बायोमार्कर का इस्तेमाल एक ब्लड टेस्ट से कर सकते हैं.
कैंब्रिज विश्वविद्यालय के प्रो. जैकब टोमासिक ने कहा, यह बेहद प्रभावी तरीका है और एक साधारण से ब्लड टेस्ट के साथ बीमारी की पहचान करने की क्षमता रखता है.
बाइपोलर डिसऑर्डर मेंटल हेल्थ से जुड़ी एक स्थिति है, जिसमें इससे ग्रस्त व्यक्ति के मूड, एनर्जी और काम करने की क्षमता में तेजी से बदलाव आता है. बाइपोलर की समस्या जेनेटिक भी हो सकती है. अगर माता-पिता, दोनों को बाइपोलर है, तो बच्चों में इस स्थिति का खतरा 40% बढ़ जाता है. ट्रॉमा, बहुत अधिक तनाव या फिर नशे की लत बाइपोलर डिसऑर्डर का जोखिम बढ़ाते हैं.
बाइपोलर डिसऑर्डर से दुनिया भर में करीब 1% आबादी ग्रस्त है यानी दुनिया भर में करीब आठ करोड़ से ज्यादा लोग इससे पीड़ित हैं, जिनमें से करीब 40% रोगियों में अक्सर इस बीमारी को डिप्रेशन समझा जाता है जबकि मेडिकल तौर पर यह गलत पुष्टि है. दोनों के लक्षण लगभग एक जैसे दिखाई देते हैं, जबकि दवाएं अलग-अलग होती हैं.
मेंटल हेल्थ एक्सपर्ट्स का मानना है कि बाइपोलर डिसऑर्डर के लिए जीन और केमिकल बैलेंस भी जिम्मेदार हो सकते हैं. ये हैं बाइपोलर डिसऑर्डर के लक्षण:
एनर्जी में वृद्धि
मूड में अचानक से बदलाव आना
शारीरिक और मानसिक गतिविधि में वृद्धि
तेज गति से विचार करना या स्पीच देना
निराशा और किसी भी काम में मन न लगना
बिना कारण रोना
नींद में कमी
आत्महत्या के ख्याल आना
अचानक वजन बढ़ना या कम होना
बाइपोलर डिसऑर्डर मूडी होने और बुरे दिन के दौरान मूड में बदलाव से कहीं अधिक गंभीर समस्या होती है. इस समस्या में मूड में बदलाव काफी गंभीर होता है और हफ्तों और महीनों तक बना रह सकता है.
इसका प्राइमरी इलाज लक्षणों को मैनेज करना होता है. इस डिसऑर्डर में मूड स्टेबलाइजर्स के रूप में लिथियम व्यापक रूप से दिया जाता है. लिथियम मूड एपिसोड की गंभीरता को रोकने या कम करने में सबसे प्रभावी होता है. यह दूसरी दवाओं के साथ भी दिया जा सकता है.
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