मेंबर्स के लिए
lock close icon
Home Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019Fit Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019क्या दोबारा संक्रमण संभव है? कोरोना पर ऐसे 5 सस्पेंस  

क्या दोबारा संक्रमण संभव है? कोरोना पर ऐसे 5 सस्पेंस  

कोरोना से बचाव: उपाय से ज्यादा कई सवाल हैं जिनका जवाब हमारे पास नहीं है.

कौशिकी कश्यप
फिट
Updated:
एक साल बाद, COVID-19 से जुड़े कई सवाल अभी भी अनसुलझे रहस्य हैं 
i
एक साल बाद, COVID-19 से जुड़े कई सवाल अभी भी अनसुलझे रहस्य हैं 
(फोटो: फिट हिंदी)

advertisement

कोरोना (Corona) महामारी को झेलते हुए 1 साल से ऊपर का वक्त गुजर चुका है. जितना हम कोविड-19(Covid-19)के बारे में जान पाए हैं, बचने के उपाय ढूंढ पाए हैं उससे ज्यादा कई सवाल हैं जिनका जवाब हमारे पास नहीं है.

ये सवाल आम लोगों के मन में तो है ही और एक्सपर्ट के लिए भी पहेली है.

इस वीडियो में हम बात कर रहे हैं, 5 वैसे ही अनसुलझे सवालों के बारे में और उस बारे में अब तक क्या पता है, ये भी बताएंगे.

ADVERTISEMENT
ADVERTISEMENT

1. अगर आप Covid-19 से उबर चुके हैं तो दोबारा संक्रमित हो सकते हैं? दोबारा संक्रमित होने से कब तक बचे रह सकते हैं?

इसका कोई निश्चित जवाब नहीं है. जैसे-जैसे रिइंफेक्शन के मामले सामने आएंगे, वायरस के संपर्क में आने से पैदा हुई इम्युनिटी के प्रकार और समय को लेकर अनिश्चितता बनी रहेगी.

अब तक, ये पाया गया है कि अधिकांश रिकवर्ड लोगों में इम्युन रिस्पॉन्स में एंटीबॉडी और टी सेल्स दोनों शामिल हैं, जो कुछ समय के लिए सुरक्षा का संकेत देते हैं.

अन्य कोरोनावायरस को देखते हुए पता चलता है कि COVID-19 से मिली इम्युनिटी कभी स्थायी नहीं हो सकती है.

170 से ज्यादा लोगों पर की गई एक स्टडी में, जो गंभीर SARS-CoV(कोरोनावायरस का एक स्ट्रेन) से संक्रमित थे उनमें सार्स स्पेसिफिक एंटीबॉडी औसतन 2 साल तक देखा गया. इसका मतलब ये है कि शुरुआती एक्सपोजर के 3 साल बाद SARS मरीजों को दोबारा संक्रमण होने की आशंका हो सकती है.

कुल मिलाकर, हमें ये पता है कि इंफेक्शन के बाद इम्युनिटी विकसित तो होगी लेकिन वो इम्युनिटी कितनी मजबूत है और कितने समय तक बनी रहती है, इस बारे में जानकारी नहीं है.

2. क्या आप कोरोना से उबर चुके हैं तो नए वैरिएंट की चपेट में आसानी से आ सकते हैं?

कोरोना के वैरिएंट्स ने कंफ्यूजन बढ़ाया है. कभी साउथ अफ्रीकन तो कभी यूके वैरिएंट के मामले सामने आ रहे हैं.

इस सवाल को एक उदाहरण से समझिए.

DW की एक न्यूज रिपोर्ट कहती है कि ब्राजीलियन वैरिएंट पहली बार अमेज़ॉन राज्य की राजधानी मनौस में देखा गया, जहां पिछले साल कोरोना वायरस से तीन चौथाई आबादी संक्रमित थी. इससे आबादी के एक बड़े हिस्से को बेसिक इम्युनिटी मिल चुकी थी, लेकिन इस साल संक्रमण की संख्या फिर से तेजी से बढ़ी है.

इसका मतलब ये हो सकता है कि जो लोग COVID -19 से उबर चुके हैं या जिन्हें वैक्सीन लगाया गया है, उनमें इम्युन रिस्पॉन्स पर्याप्त नहीं है, क्योंकि नया वैरिएंट- P.1 के खिलाफ इम्युन रिस्पॉन्स काम नहीं कर पा रहा  यानी  एंटीबॉडी अब वायरस को बाइंड नहीं कर पा रहे और बेअसर नहीं कर पा रहे.

नया वैरिएंट कोविड से उबर चुके व्यक्ति के लिए भी परेशानी का कारण हो सकता है.

3. भारत में कोरोना की दूसरी लहर आ चुकी है और क्या इसके लिए नया वैरिएंट जिम्मेदार है?

24 मार्च को, स्वास्थ्य मंत्रालय ने बताया कि भारत में एक नये डबल म्यूटेंट वेरिएंट की पहचान की गई है. तो क्या मार्च से केस में बढ़त इसी का नतीजा है?

वायरोलॉजिस्ट शाहिद जमील कहते हैं- भारत में डबल म्यूटेंट वैरिएंट- E484Q नया है जिसे देखा नहीं गया था और ये सिक्वेंस किए जा रहे 15-20% मामलों में पाया गया है.लेकिन ये इतनी ज्यादा संख्या में नहीं मिला है कि कुछ राज्यों में बढ़ रहे मामलों से इसका संबंध जोड़ा जा सके. एक म्यूटेशन सेलेक्ट होने के बाद उस वायरस में एक और म्यूटेशन हो सकता है, ट्रिपल म्यूटेशन भी हो सकता है और एक अलग लीनिएज (वंशावली) बन सकता है.

डॉ. जमील कहते हैं, "दक्षिण भारत में एक और म्यूटेशन दिख रहा है. ये  म्यूटेशन वायरस के सतह पर हो रहे हैं, जहां एंटीबॉडीज वायरस को बेअसर करने के लिए बंधते हैं, इसलिए इसका प्रभाव होगा." डॉ जमील के मुताबिक कई म्यूटेशन चिंता का विषय हैं.

म्यूटेशन प्राकृतिक घटनाएं हैं. ये इसलिए होता है क्योंकि कुछ म्यूटेशन वायरस को फायदा पहुंचाते हैं. अगर म्यूटेशन वायरस के लिए हानिकारक होता, तो हम इसे नहीं देखते क्योंकि ये सर्वाइव नहीं कर पाता.

4. वायरस म्यूटेट कर रहा है तो क्या वैक्सीन बेअसर हो जाएंगे?

एक्सपर्ट का मानना है कि अगर किसी वैरिएंट के कारण वैक्सीन का असर घटता है, तो भी वैक्सीन गंभीर बीमारी और मौत से बचाने में मददगार होनी चाहिए.

आमतौर पर mRNA वैक्सीन म्यूटेशन के खिलाफ काम करते हैं. ताजा डेटा बताते हैं कि मॉडर्ना और फाइजर वैक्सीन कम से कम 6 महीने तक प्रभावी हैं - अभी तक 6 महीने के आधार पर स्टडी हुई है. ये कितने लंबे समय तक प्रभावी रहेगा, ये जानना मुश्किल है क्योंकि ये वैक्सीन नई है. बूस्टर शॉट भी डेवलप किए जा रहे हैं और जॉनसन एंड जॉनसन की वैक्सीन नए वैरिएंट के खिलाफ प्रभावी पाई गई है.

5. क्या ये वायरस कभी खत्म होगा?

एक्सपर्ट का कहना है कि कोरोनावायरस के बेकाबू, तेज संक्रमण पर लगाम लग सकता है. इसका ट्रांसमिशन लोअर लेवल पर जारी रहेगा. वायरस एंडेमिक हो जाएगा.एंडेमिक किसी भौगोलिक क्षेत्र के भीतर आबादी में किसी बीमारी या संक्रामक एजेंट की निरंतर उपस्थिति और/या आम प्रसार के बारे में बताता है.”

पैंडेमिक का एंडेमिक स्टेज में पहुंचना राहत की बात है . एंडेमिक स्टेज में वायरस कमजोर होता है और हमारे आसपास मौजूद अन्य आम वायरस की तरह व्यवहार करने लगता है,

(हैलो दोस्तों! हमारे Telegram चैनल से जुड़े रहिए यहां)

अनलॉक करने के लिए मेंबर बनें
  • साइट पर सभी पेड कंटेंट का एक्सेस
  • क्विंट पर बिना ऐड के सबकुछ पढ़ें
  • स्पेशल प्रोजेक्ट का सबसे पहला प्रीव्यू
आगे बढ़ें

Published: 08 Apr 2021,02:42 PM IST

Read More
ADVERTISEMENT
SCROLL FOR NEXT