मेंबर्स के लिए
lock close icon
Home Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019Fit Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019कोरोना के कहर के बीच इंसेफेलाइटिस के लिए कितना तैयार है गोरखपुर?

कोरोना के कहर के बीच इंसेफेलाइटिस के लिए कितना तैयार है गोरखपुर?

गोरखपुर में इंसेफेलाइटिस, इस साल अब तक का हाल

सुरभ‍ि गुप्‍ता
फिट
Published:
BRD मेडिकल कॉलेज
i
BRD मेडिकल कॉलेज
null

advertisement

कोरोना महामारी के बीच इंसेफेलाइटिस जैसी बीमारियां जिनसे हर साल सैकड़ों मासूमों की जान को खतरा होता है, उसे लेकर क्या तैयारी है? क्या कोरोना का कहर बाकी बीमारियों की तैयारियों पर असर डाल रहा है?

सोमवार, 6 जुलाई को उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बाबा राघव दास (BRD) मेडिकल कॉलेज गोरखपुर का दौरा किया.

“हम लोगों ने गोरखपुर और बस्ती मंडल की कोरोना के साथ-साथ जापानी इंसेफेलाइटिस (जेई), एक्यूट इंसेफेलाइटिस सिंड्रोम (एईएस) और डेंगू जैसे संचारी रोगों पर प्रभावी नियंत्रण के लिए एक कार्य योजना तैयार की है.”
योगी आदित्यनाथ, मुख्यमंत्री, उत्तर प्रदेश

सीएम योगी ने बताया कि जापानी इंसेफेलाइटिस और AES के 90% मामले और ज्यादा मौतें इन्हीं मंडलों में दर्ज की जाती हैं.

पिछले 3 साल के अंदर हमने अंतर विभागीय समन्वय के जरिए बीमारी पर 60 फीसदी और मौतों पर 90 फीसदी नियंत्रण करने में सफलता प्राप्त की.
सीएम योगी

हर साल मॉनसून में मासूमों की मौत का खौफ

इंसेफेलाइटिस, मॉनसून और पोस्ट मॉनसून यानी जुलाई से अक्टूबर के दौरान ये बीमारी अपने चरम पर होती है.

हर साल देश के किसी न किसी हिस्से में एक्यूट इंसेफेलाइटिस सिंड्रोम (AES) के प्रकोप से सैकड़ों मासूमों की मौत होती है.

गोरखपुर, महराजगंज, सिद्धार्थनगर, संतकबीर नगर, कुशीनगर समेत पूर्वांचल के सभी जिलों में जुलाई से दिसंबर का महीना इंसेफेलाइटिस के खौफ में ही गुजरता है.

साल 2017 का गोरखपुर त्रासदी की सुर्खियां याद होंगी आपको, जब गोरखपुर के बीआरडी मेडिकल कॉलेज में मासूमों की मौत पर राष्ट्रीय स्तर पर चर्चा हुई थी.

इसके बाद सीएम योगी की ओर से इंसेफेलाइटिस से प्रभावित जिलों में इसकी रोकथाम के लिए विशेष अभियान चलाने का निर्देश दिया गया, जैसे- साफ-सफाई का खास खयाल, दवाइओं, बेड की व्यवस्था और रैपिड रिस्पॉन्स टीम.

ADVERTISEMENT
ADVERTISEMENT

गोरखपुर में इंसेफेलाइटिस, इस साल अब तक का हाल

बीआरडी मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल डॉ गणेश कुमार ने फिट से बताया कि इस साल 4 जुलाई तक तकरीबन 70-75 मरीज भर्ती हुए, 10-15 की मरीजों की मौत हुई. उन्होंने कहा कि ऐसा लग रहा है, ये फिगर पूरे गोरखपुर मंडल की है.

कोरोना के कहर में इंसेफेलाइटिस को लेकर इंतजाम के सवाल पर उन्होंने कहा, "स्वास्थ्य विभाग की ओर से बचाव के पूरे इंतजाम किए गए हैं. वहीं अस्पताल में हमने बेड और ऑक्सीजन सप्लाई की पूरी व्यवस्था कर रखी है."

जैसा कि सीएम योगी ने दावा किया है कि बीमारी पर 60 फीसदी और मौतों पर 90 फीसदी नियंत्रण में कामयाबी मिली है. यूपी में साल 2018 से ही इंसेफेलाइटिस के मामलों और उससे होने वाली मौत में गिरावट का दावा किया जा रहा है.

BRD मेडिकल कॉलेज में मेडिकल सुपरिटेंडेंट डॉ एके श्रीवास्तव कहते हैं कि पिछले साल AES के मामले कम थे.

ऐसे में क्या इस साल भी इंसेफेलाइटिस के ज्यादा मामले न आने की उम्मीद की जा सकती है?

डॉ एके श्रीवास्तव कहते हैं कि अभी इस क्षेत्र में AES का प्रकोप नहीं है और बरसात के बाद इसका प्रकोप बढ़ता है.

आप कुछ नहीं कह सकते कि किस साल कितने मामले आएंगे. कभी इंसेफेलाइटिस का प्रकोप कुछ कम होगा, तो कभी अधिक होगा. पिछले साल कम मरीज थे, लेकिन कुछ निश्चित नहीं है.
डॉ एके श्रीवास्तव

इंसेफेलाइटिस से निपटने के लिए क्या कदम उठाए गए

  • साल 2018 में बड़े पैमाने पर जापानी इंसेफेलाइटिस को रोकने के लिए वैक्सीनेशन प्रोग्राम चलाया गया.
  • प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों की फंडिंग बढ़ाई गई, जिससे वे अपने स्तर पर AES के मरीजों का बेहतर ढंग से इलाज कर पाएं.
  • जुलाई 2019 में दस्तक नाम का एक अभियान शुरू किया गया, इसमें घर-घर जाकर लोगों को संक्रमित बीमारियों से बचने और उनके इलाज की जानकारी दी जाती है.

सरकार की तरफ से बनाई गई योजना अच्छी है, लेकिन इस कोरोना काल में ये कदम जमीनी स्तर पर कितने बेहतर तरीके से उठाए गए हैं, आगे के हालात उसी से तय होंगे, नहीं तो कोरोना महामारी में किसी और बीमारी के प्रकोप की हमें बहुत बड़ी कीमत चुकानी पड़ेगी.

(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)

अनलॉक करने के लिए मेंबर बनें
  • साइट पर सभी पेड कंटेंट का एक्सेस
  • क्विंट पर बिना ऐड के सबकुछ पढ़ें
  • स्पेशल प्रोजेक्ट का सबसे पहला प्रीव्यू
आगे बढ़ें

Published: undefined

ADVERTISEMENT
SCROLL FOR NEXT