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फरवरी और मार्च में अबतक जिस तरह कोरोनावायरस के मामलों में बढ़त दिखी है, उससे सबके मन में सवाल है कि क्या भारत में कोविड की दूसरी लहर की शुरुआत हो चुकी है.
क्या ये बढ़त देश के सिर्फ कुछ हिस्सों तक सीमित है या फिर हर जगह मामले बढ़ रहे हैं?
महाराष्ट्र, पंजाब, गुजरात, दिल्ली, तमिलनाडु, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश जैसे राज्यों में जनवरी के बाद से सबसे ज्यादा केस दर्ज हुए हैं. हम आंकड़ों के जरिये इसे समझने की कोशिश करते हैं- कोविड को लेकर भारत क्या दूसरी लहर की चुनौती झेलने जा रहा है.
11 मार्च को कोविड-19 के करीब 23 हजार नए मामले सामने आए, जो पिछले ढाई महीने में दर्ज हुए मामलों में सबसे ज्यादा हैं.
महामारी की पहली लहर के बाद केस ट्रैजेक्टरी (नए कोविड मामलों का 7 दिन का औसत) से पता चलता है कोरोना तेजी से उछाल पर है. फरवरी के पहले सप्ताह तक प्रति सप्ताह 10,988 मामले सामने आ रहे थे जो 10 मार्च तक 18,371 हो गए.
हिन्दुस्तान टाइम्स की एक रिपोर्ट के मुताबिक, जब देश में केस बढ़ रहे हैं तो कई राज्यों में टेस्टिंग भी कम हो गई है. पिछले सप्ताह का औसत देखा जाए तो देश भर में औसतन हर दिन 7,25,626 सैंपल की जांच की गई. वहीं कोरोना केस जब पीक पर था तो 10 अक्टबूर 2020 के सप्ताह में औसतन हर दिन 11,96,972 सैंपल की टेस्टिंग की गई थी.
पंजाब में 7 दिनों के आधार पर केसेज में सबसे ज्यादा बढ़त हुई है. वहां सबसे कम नए केसेज का आंकड़ा सामने आने के बाद अब उनमें 509% की बढ़त देखी गई है. 27 जनवरी को 1 सप्ताह में जहां रोजाना औसतन 181 केस आ रहे थे, वहीं इसके बाद केस बढ़ना शुरू हुए.
पंजाब के बाद महाराष्ट्र में सबसे ज्यादा उछाल देखने को मिला है. 7 दिनों के औसत के हिसाब से 11 फरवरी को जहां रोजाना 2,415 केस आ रहे थे वहीं अब ये आंकड़ा 10,410 तक पहुंच गया है. वहां बुधवार तक साढ़े बाइस लाख से ज्यादा कन्फर्म केस थे. केसेज बढ़ोतरी में हरियाणा तीसरे नंबर पर है. वहां 7 दिन के आधार पर केसेज का औसत 302% बढ़ चुका है.
इन 3 राज्यों के बाद देश की राजधानी दिल्ली का हाल जान लीजिए.
दिल्ली के स्वास्थ्य मंत्री ने 7 मार्च को कहा कि-
अमेरिका के सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन (CDC) के मुताबिक, “एंडेमिक किसी भौगोलिक क्षेत्र के भीतर आबादी में किसी बीमारी या संक्रामक एजेंट की निरंतर उपस्थिति और/या आम प्रसार के बारे में बताता है.”
ये बीमारी का अंतिम स्तर नहीं हो सकता है- जो कि शून्य है- बल्कि ये अपेक्षित स्तर है.
लेकिन, दिल्ली में मामले कम होने के बाद दोबारा उनमें 140% की बढ़त दिखी है.
फिट को हाल ही दिए एक इंटरव्यू में एपिडेमियोलॉजी एंड कम्यूनिकेबल डिजीज के पूर्व प्रमुख- डॉ आरआर गंगाखेड़कर ने भारत में दूसरी लहर की आशंका को लेकर कहा था-
“अगर आप इस महामारी को देखते हैं, तो आपको 3 चीजें देखने की जरूरत है - जनसंख्या घनत्व, मोबिलिटी(गतिशीलता) और पलायन. अब जब हम इनकी बात करते हैं तो आप पाएंगे कि अलग-अलग भौगोलिक क्षेत्रों में वल्नरैबिलिटी के अलग-अलग कारक होंगे. और इस तरह की भिन्नता मौजूद होने के बावजूद कई छोटे क्षेत्र होंगे जहां लॉकडाउन हट रहे हैं, तो आप पाएंगे कि केस में थोड़ी बढ़त हुई है.”
दिल्ली से ज्यादा मध्य प्रदेश (164% बढ़त) और इसके बाद असम (138%) गुजरात (125%) और राजस्थान (111%) हैं. केरल फिलहाल कोरोना की शुरुआती लहर से भी निजात नहीं पा सका है. कुल मिलाकर देश के 20 सबसे ज्यादा आबादी वाले राज्यों में से 17 में केसेज बढ़े हैं.
तमिलनाडु के हेल्थ सेक्रेटरी राधाकृष्णन ने फिट से बातचीत में कहा कि- "3-4 सप्ताह पहले, 450-500 केस मिल रहे थे और ये नीचे नहीं आए. ये चिंता की बात है. चेन्नई में फैमिली बेस्ड क्लस्टर दिख रहे हैं. लोगों में लापरवाही दिख रही हैं. शादी समारोह, फ्यूनरल में लोगों का गाइडलाइन पालन न करना राज्य में बढ़ते केस के पीछे बड़ी वजह है. कोरोना का कोई भी वेरिएंट, स्ट्रेन हो हमें सबसे पहले गाइडलाइन का पालन जारी रखने पर जोर देना है.”
पिछले एक सप्ताह की ही बात करें तो-
स्वास्थ्य विभाग द्वारा 3 दिनों तक लगातार राज्य में बाजार, कंटेनमेंट जोन, मैरिज हॉल और रेलवे स्टेशन पर निगरानी के बाद कलेक्टर्स को दिशा-निर्देश दिए गए हैं.
डॉ आरआर गंगाखेड़कर के ही मुताबिक- “जब तक लगातार एक समान ट्रेंड नहीं दिखता तब तक आपको ये नहीं कहना चाहिए कि ये दूसरी लहर का उदय है. लेकिन ये वो वक्त है जहां हम लोगों को सावधानी जारी रखनी होगी कि उन्हें COVID उपयुक्त व्यवहार का पालन करना जारी रखना होगा, क्योंकि अगर आप ऐसा नहीं करते हैं, तो हमें दूसरी लहर को झेलना होगा.”
फिलहाल, भारत में आकड़ों का ट्रेंड लगातार ऊपर जाता दिख रहा है, जो चिंता की बात है.
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Published: 12 Mar 2021,07:12 PM IST