जिस तेज़ी से दुनिया में कोरोनावायरस फैल रहा है, उसी तेज़ी से उससे जुड़ी सही-ग़लत जानकरियाँ भी फैल रही हैं. उन जानकारियों में एक सवाल हमेशा अहम बन, सबके मन में उठता है, क्या कोरोनावायरस से लड़ने में असरदार है एंटीबायोटिक?

अगर नहीं, तो ये कोविड के मरीज़ों को क्यों दी जा रही है? किन स्थितियों में दी जाती है ये? क्या है एंटीबायोटिक से जुड़े गाइडलाइन्स? शरीर में एंटीबायोटिक के साइड इफ़ेक्ट्स का क्या? इन्हीं बातों पर आज हम विशेषज्ञों से चर्चा करेंगे.

एंटीबायोटिक क्या है और कैसे काम करती है?

बैक्टीरिया को मारने वाली दवाइयों को एंटीबायोटिक कहते हैं या यूँ कहें एंटीबायोटिक बैक्टीरिया को मार कर या क्षति पहुँचा कर बीमारी का इलाज करती है.

एंटीबायोटिक अलग-अलग इंफेक्शन के इलाज में काम आती है.

बैक्टीरिया के कारण होने वाले संक्रमण के इलाज में एंटीबायोटिक का इस्तेमाल किया जाता है.

कोरोना काल में भारत में एंटीबायोटिक की बिक्री में हुए वृद्धि को बताता 'सेल ऑफ एंटीबायोटिक्स एंड हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन इन इंडिया ड्यूरिंग द कोविड-19 पेंडेमिक' नाम का रिसर्च पेपर पिछले साल सामने आया था.

कोविड में एंटीबायोटिक के लिए क्या गाइडलाइन्स हैं?

नई कोविड गाइडलाइन्स और एंटीबायोटिक

(फोटो: iStock)

नई कोविड गाइडलाइन्स के अनुसार आइवरमेक्टिन को जून 2021 में आधिकारिक गाइडलाइन से हटा दिया गया था, क्योंकि वैज्ञानिक प्रमाणों में पाया गया था कि एंटीपैरासिटिक दवा कोविड के इलाज में मदद नहीं करती है.

वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गनायज़ेशन (डब्ल्यू-एच-ओ), यूएस फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन (एफडीए), और यूरोपीय मेडिसिन एजेंसी (ईएमए) सभी ने आइवरमेक्टिन को एक उपचार या प्रॉफ़लैक्टिक (रोगनिरोधी) के रूप में उपयोग करने के खिलाफ चेतावनी दी है.

कई दवाइयां जिन्हें दूसरी लहर में कोविड के इलाज के लिए प्रायोगिक उपयोग के लिए अनुशंसित किया गया था, अब कोविड-19 के उपचार में बेअसर साबित होने के बाद आधिकारिक दिशानिर्देशों से हटा दिया गया है. इनमें हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन, डेक्सामेथासोन और प्लाज्मा ट्रीटमेंट शामिल हैं. हालांकि, उनमें से कुछ को अभी भी प्रिस्क्राइब किया जा रहा है.

MoHFW के अनुसार, रेमेडिसविर और टोसीलिज़ुमैब को केवल मध्यम से गंभीर बीमारी के मामले में ही प्रिस्क्राइब किया जा सकता है और वह भी विशिष्ट मापदंडों की परिस्थिति में.

एंटीबायोटिक का उपयोग राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बनी गाइडलाइंस के अनुसार ही करना चाहिए.
“ किसी भी वायरल बीमारी का कोई ठोस उपचार नहीं है. कुछ गिनी चुनी दवाइयां हैं, जो किसी-किसी वायरल बीमारी में वायरस की संख्या को कम करती हैं. 99% वायरल बीमारी की कोई दवा अभी नहीं है.”
डॉ. मैथ्यू वर्गीज, पब्लिक हेल्थ एक्स्पर्ट

कोविड में एंटीबायोटिक कब और क्यों दी जा रही है?

एंटीबायोटिक का कोई रोले नहीं

(फ़ोटो: iStockphoto)

कोविड में एंटीबायोटिक का कोई रोले नहीं है क्योंकि ये एक वायरल बीमारी है न की बैक्टीरीयल. पर, मरीज़ को कोविड होने के कारण अगर कोई सेकंडेरी बैक्टीरीयल इन्फ़ेक्शन हो जाए तो ऐसे में एंटीबायोटिक दिया जाता है. जब भी कोई वायरल बीमारी होती है तो लोगों की इम्यूनिटी कमज़ोर हो जाती है जिस वजह से कई बार सेकंडेरी बैक्टीरीयल इन्फ़ेक्शन हो जाता है, तब एंटीबायोटिक मरीज़ को दी जाती है” ये कहना है डॉ. विकास मौर्य, निदेशक और एचओडी पल्मोनोलॉजिस्ट, फ़ोर्टिस हॉस्पिटल, शालीमार बाग़

“कोविड की शुरुआत में लक्षणों के अनुसार ही मरीज़ का इलाज किया जाता है. एंटीबायोटिक का उपयोग शुरू में नहीं किया जाता है.”
डॉ. विकास मौर्य, निदेशक और एचओडी पल्मोनोलॉजिस्ट, फ़ोर्टिस हॉस्पिटल, शालीमार बाग़

एंटीबायोटिक के साइड इफ़ेक्ट्स

मोलनुपिरवीर के साइड इफ़ेक्ट्स हैं 

(फ़ोटो: iStock)

फ़िट हिंदी ने जब साइड इफ़ेक्ट्स के बारे डॉ. विकास मौर्य से पूछा तो उन्होंने कहा “हम जितनी भी दवाइयां इस्तेमाल करते हैं, चाहे एंटीबायोटिक हों या ऐंटीवायरल सब के थोड़े बहुत साइड इफ़ेक्ट्स तो होते ही हैं. अगर एंटीबायोटिक की बात करें, तो छोटे साइड इफ़ेक्ट्स जैसे कि पेट से जुड़ी समस्या अक्सर हो जाती है, जो अधिकतर मामलों में नियंत्रण में ही रहती है."

कई बार एंटीबायोटिक के ज़्यादा उपयोग से मरीज़ में प्रतिरोधी बैक्टीरीया बन जाते हैं, जिस कारण बीमारी से लड़ने के लिए ज़्यादा क्षमता वाले एंटीबायोटिक का इस्तेमाल करना पड़ता है. इसलिए एंटीबायोटिक का उपयोग वहीं करें जहां आवश्यकता हो, ऐसा कहना है डॉ. विकास मौर्य का.

“कोरोनावायरस की तीसरी लहर में नई गाइडलाइन के अनुसार मोलनुपिरवीर को आपातकालीन स्थिति में इस्तेमाल करने की मंज़ूरी दी है. साइड इफ़ेक्ट्स की वजह से कोविड के माइल्ड से मॉडरेट लक्षण वाले मरीज़ों में ये दवा सोच समझ कर उपयोग में लाने की बात कही गयी है.”
डॉ. पिनांक पंड्या जसलोक हॉस्पिटल

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