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हर साल 24 मार्च को वर्ल्ड टीबी डे (World TB Day) मनाया जाता है. इसे मनाने का मकसद है, लोगों को इस गंभीर बीमारी के प्रति जागरुक करना. ज्यादातर लोग इसके शुरुआती लक्षणों को या तो समझ नहीं पाते हैं या कई बार अनदेखा कर देते है.
इस लेख में फोर्टिस मेमोरियल रिसर्च इंस्टीट्यूट, गुरुग्राम में पल्मोनोलॉजी के निदेशक डॉ मनोज गोयल, TB के बारे में विस्तार से बता रहे हैं.
ट्यूबरक्लॉसिस (TB) ऐसा रोग है, जो आपके शरीर के किसी भी अंग को प्रभावित कर सकता है, लेकिन सबसे ज्यादा फेफड़े (लंग्स), लसिका ग्रंथियां (लिंफ ग्लैंड्स), हडि्डयां (बोन), पेट (एब्डोमेन), मस्तिष्क (ब्रेन) और जनाइटो-यूरीनरी सिस्टम (जननांग-मूत्र प्रणाली) प्रभावित होते हैं. फेफड़ों में TB सबसे ज्यादा आम है.
सभी प्रकार की TB में आमतौर पर लंबे समय तक बुखार की शिकायत रहती है, जो शाम के समय बढ़ता है, भूख घट जाती है, वजन कम होता जाता है, कमजोरी और रात में सोते समय पसीना आने की शिकायत होती है.
फेफड़ों के ट्यूबरक्लॉसिस (TB) की वजह से लंबे समय तक खांसी, थूक में खून, सांस लेने में कठिनाई और छाती में दर्द जैसी परेशानियां होती हैं.
लसिका ग्रंथि में ट्यूबरक्लॉसिस (TB) होने पर ग्रंथियों का आकार बढ़ने और उनमें सूजन, खासतौर से गर्दन में, सबसे आम है, जो फोड़े में बदल सकते हैं और यह भी हो सकता है कि इनके फटने पर लंबे समय तक मवाद बहने जैसी शिकायत भी हो.
लसिका ग्रंथि में ट्यूबरक्लॉसिस (TB) का पता लागने के लिए संक्रमित ग्रंथियों में सुईं चुभाकर जांच की जा सकती है.
हडि्डयों की TB आमतौर पर मेरूदंड (स्पाइन) में होती है. जिसकी वजह से दर्द, विकार और फ्रैक्चर तथा हाथ-पैरों में दर्द की शिकायत हो सकती है. प्रभावित हडि्डयों के सीटी स्कैन या एमआरआई जांच से रोग की पुष्टि हो सकती है.
पेट में TB होने पर पेट में दर्द, पेट में द्रव्य जमा होने से पेट भरा-भरा रहने जैसी शिकायत होती है. TB से आंतों के संक्रमण का खतरा बढ़ जाता है, जिसके चलते उल्टी आना, खाने के बाद भारीपन, कब्ज और कभी-कभी आंतों में अवरोध की शिकायत भी होती है. पेट के एक्स-रे ओर सीटी स्कैन से रोग का पता लगाया जा सकता है, पेट में मौजूद द्रव्य की जांच और एंडोस्कोपी, खासतौर से बड़ी एवं निचली आंत की, से रोग की पुष्टि की जाती है.
ब्रेन ट्यूबरक्लॉसिस होने पर सिर में तेज दर्द, दौरे पड़ने, अचेत होने, उल्टियां, लकवा, आंखों की रोशनी जाना और शरीर पर संतुलन न रहने जैसी शिकायत हो सकती है. ब्रेन एमआरआई तथा सेरिब्रो-स्पाइनल फ्लूड (सीएसएफ) से इसकी जांच की जाती है.
जेनियो-यूरिनरी ट्यूबरक्लॉसिस में पेट और पीठ के निचले हिस्से में दर्द, क्रोनिक यूरिनरी ट्रैक्ट इंफेक्शन तथा पेशाब में जलन, तीव्रता जैसी शिकायत के साथ-साथ पेशाब में पस निकलने की तकलीफ भी पैदा हो सकती है.
हमारे देश में बांझपन का सबसे प्रमुख कारण भी ट्यूबरक्लॉसिस है, जो महिलाओं तथा पुरुषों दोनों में हो सकता है. इसके अलवा, महिलाओं में पेट के निचले हिस्से में दर्द रहने, एमिनोरिया, मासिक धर्म के दौश्रान अत्यधिक दर्द और बदबूदार स्राव की समस्या भी हो सकती है. इसका पता लगाने के लिए पेट की इमेजिंग, लैपरोस्कोपी और स्राव की जांच की जा सकती है.
साथ ही, ट्यूबरक्लॉसिस की वजह से कई तरह की जटिलताएं भी पैदा हो सकती हैं, जैसे कि फेफड़ों का नष्ट होना, हडि्डयों में स्थायी रूप से विकार, बांझपन तथा अन्य संक्रमण जैसी जटिलताएं भी पैदा हो सकती हैं.
इलाज में मुख्य रूप से एंटीटुरकुलर ड्रग्स दी जाती हैं, जो कम से कम 6 माह के लिए लेनी होती हैं. कई बार विभिन्न प्रकार की जटिलताओं के इलाज के लिए सर्जरी की आवश्यकता हो सकती है. ट्यूबरक्लॉसिस के निदान और इलाज की सुविधाएं व्यापक रूप से और डॉट्स (DOTS) सेंटर्स तथा सिविल अस्पतालों में मुफ्त उपलब्ध हैं.
सरकार ट्यूबरक्लॉसिस के मरीजों को प्रोत्साहन (इंसेंटिव्स) भी देती है. सरकार द्वारा भारत को 2025 तक TB मुक्त बनाने की दिशा में कई स्तरों पर प्रयास जारी हैं.
इसलिए, यह जरूरी है कि हम ट्यूबरक्लॉसिस के लक्षणों को छिपाए नहीं और अपने रोग का पता लगते ही जल्द से जल्द डॉक्टर से संपर्क कर इलाज शुरू करें.
TB पूरी तरह से ठीक हो सकती है, बशर्ते समाज सक्रिय रूप से इस बीमारी को जड़ से हटाने में भागीदार बने.
( वर्ल्ड टीबी डे (World TB Day) पर यह लेख फोर्टिस मेमोरियल रिसर्च इंस्टीट्यूट, गुरुग्राम में पल्मोनोलॉजी के निदेशक डॉ मनोज गोयल द्वारा फिट हिंदी के लिए लिखा गया है.)
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Published: 24 Mar 2022,11:20 AM IST