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World Sleep Day|नींद उड़ने की वजह हो सकती है गंभीर, अच्छी नींद के ये हैं उपाय

बेहद आम-सी लगने वाली इस स्वास्थ्य समस्या के पीछे ऑब्सट्रक्टिव स्लीप एपनिया भी हो सकता है, जो बेहद खतरनाक बीमारी है.

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​​नींद हमारी जिंदगी का बहुत अहम हिस्सा है. अगर हम देखें तो स्वस्थ व्यक्ति हर दिन लगभग 6-8 घंटे की नींद लेते हैं. इसका मतलब है कि अपने जीवन का एक तिहाई हिस्सा मनुष्य सोने में निकाल देते हैं. इससे आप समझ सकते हैं कि अच्छी नींद हमारे लिए कितनी महत्वपूर्ण है.

नींद न केवल हमारे शरीर को आराम देती है बल्कि हमारे शरीर को नई ऊर्जा प्रदान करती है और साथ ही हमारे सोचने की क्षमता को भी ऊर्जा देती है.

आज कल देखा जाता है कि काफी लोग नींद की समस्या से ग्रस्त हैं, चाहे वो किसी भी उम्र वर्ग के क्यों न हों.

एक स्वस्थ व्यक्ति को कम से कम 8 घंटे की नींद लेने की सलाह दी जाती है. लेकिन, कई लोग जिंदगी में व्यस्तता, तनाव या स्वास्थ्य में गड़बड़ी के कारण आठ घंटे की नींद पूरी नहीं कर पाते हैं. बहुत से लोगों को लगता है कि नींद न आना एक आम बात है. लेकिन ऐसा नहीं है, अच्छी नींद नहीं आना धीरे-धीरे गंभीर समस्या बन सकती है.

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बेहद आम-सी लगने वाली इस स्वास्थ्य समस्या का प्रभाव कभी-कभी इतना ज्यादा होता है कि बात जान पर बन आती है.

नींद न आने के प्रमुख कारण 

"नींद कम आना मनुष्य की कई शारीरिक व मानसिक प्रक्रियाओं को खराब कर देता है. जैसे कि हार्मोन बैलेन्स बिगड़ जाता है, रक्तचाप, शुगर और कई दूसरी बीमारियां बढ़ जाती हैं. मांसपेशियों को आराम न मिलने के कारण शरीर में थकान और दर्द बना रहता है. साथ ही दिमाग को रेस्ट न मिलने के कारण अटेन्शन की कमी और यादाशत की कमी ये सारी परेशानियाँ धीरे-धीरे घेरने लगती हैं" ये कहना है गुरुग्राम फ़ोर्टिस मेमोरीयल रीसर्च इन्स्टिटूट के न्युरोलॉजी के निदेशक एवं हेड डॉ प्रवीन गुप्ता का.

मनुष्य की नींद कई कारणों से बाधित हो सकती है. जैसे कि

  • मानसिक कारण - स्ट्रेस, ऐंजाइयटी और डिप्रेशन

  • शारीरिक कारण - ऑब्सट्रक्टिव स्लीप एपनिया

लक्षण, कारण और उपाय 

स्ट्रेस, ऐंजाइयटी और डिप्रेशन को कम करें- नींद न आने के मानसिक कारकों में स्ट्रेस, ऐंजाइयटी और डिप्रेशन शामिल हैं. स्ट्रेस होने पर शरीर में कोर्टिसोल का स्तर बढ़ जाता है, जो कि एक स्ट्रेस हार्मोन है. इसके कारण शरीर आराम की स्थिति में नहीं रह पाता और ब्रेन एक्टिव रहता है, जिससे नींद आने में कठिनाई होती है. अगर आपकी नींद स्ट्रेस के कारण बहुत अधिक बाधित हो रही है और इसका असर आपके दिनचर्या पर पड़ रहा है, तो आपको सायकॉलिजस्ट या काउंसलर से सम्पर्क करना चाहिए.

ऑब्सट्रक्टिव स्लीप एपनिया- "यह स्लीप डिसॉर्डर बहुत कॉमन है. लगभग 5-10 प्रतिशत लोगों में पाया जाता है. यह हायपर्टेन्शन और डायबिटीज जितना ही कॉमन है. इसे ओएसए भी कहते हैं. यह नींद की शारीरिक समस्या है, जैसे स्ट्रेस, ऐंजाइयटी और डिप्रेशन मानसिक समस्याएं हैं" ये कह कर ओएएस के कारण, लक्षण और उपाय के बारे में कुछ ऐसा कहते हैं, गुड़गाँव फ़ोर्टिस हॉस्पिटल के पल्मोनोलॉजी और स्लीप मेडिसिन विभाग के प्रमुख और निर्देशक डॉ मनोज कुमार गोयल.

नींद में साँस के रुकने को ओएसए कहते हैं.

ओएसए में सोते समय गला चोक हो जाता है, जिससे शरीर के अंदर लंग्स में पर्याप्त हवा नहीं पहुँच पाती है, जिस कारण शरीर में ऑक्सिजन की कमी हो जाती है.

इस कंडिशन से पीड़ित व्यक्ति का वजन अधिक होता है, उनका गला छोटा होता है और गले के आस पास चर्बी जमा होती है. अक्सर देखा जाता है कि इन लोगों की जीभ लम्बी होती है और साँस लेने का रास्ता कॉम्प्रॉमायज़्ड होता है.

जब ऐसे लोग सोते हैं और उनका शरीर रिलैक्स होता है, तो उनके थ्रोट मसल्ज भी रिलैक्स हो जाते हैं, जिस कारण गला चोक कर जाता है और हवा रुक जाती है.

क्योंकि ये रास्ता छोटा है, इसके बंद होने से लोगों को जोर से खर्राटे आने शुरू हो जाते हैं. चोक करने की वजह से लोग बार-बार उठ जाते हैं और गहरी नींद में नहीं जा पाते हैं.

रात में ठीक से न सोने के कारण ये लोग दिन भर सुस्त महसूस करते हैं.

पुरुषों और वृद्ध लोगों में खर्राटे और ऑब्सट्रक्टिव स्लीप एपनिया अधिक आम है. खासकर अगर वे मोटे हैं (बीएमआई>30 किग्रा/ मी 2) और यदि उनकी जीभ बड़ी और गर्दन छोटी है, साथ ही अगर उनके कॉलर का आकार (गर्दन का घेरा) 17 इंच से अधिक हो.
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ओएसए होने पर अच्छी नींद तो नहीं ही आती है, पर ऑक्सिजन की कमी के कारण और भी बड़ी समस्याएं खड़ी हो जाती हैं. जैसे कि

  • इरेग्युलर हार्ट बीट

  • कार्डीऐक इवेंट्स

  • शरीर के अंगों पर बुरा असर

  • स्ट्रोक हो सकता है

  • एजिंग जल्दी होती है

  • अंकंट्रोल्ड डायबिटीज

  • हायपर्टेन्शन

  • कोलेस्ट्रॉल की प्रॉब्लम

“स्लीप एपनिआ काफी कॉमन है, इसको इग्नोर न करें. अगर आपका वजन ज्यादा है, आपको खर्राटे आते हैं, आपकी नींद उचटती है, रात में सोते समय साँस लेने में परेशानी होती है और दिन में सुस्ती छाई रहती है, तो आपको जरूर अपनी जाँच करा लेनी चाहिए.”
डॉ मनोज कुमार गोयल

ऑब्सट्रक्टिव स्लीप एपनिया का इलाज 

ओएसए की जाँच करने के लिए एक टेस्ट होता है, जिसे स्लीप स्टडी कहते हैं. इस स्टडी के द्वारा पता चलता है कि नींद की क्वालिटी कैसी है, एर्फ़्लो अब्स्ट्रक्शन हो रहा है या नहीं, किस पज़िशन में साँस ज्यादा रुक रही है, शरीर में ऑक्सिजन की कितनी कमी हो रही है, इस आधार पर उसकी डाययग्नोसिस बनती है, जिसमें पता चलता है कि समस्या माइल्ड है, मॉडरेट है या सिवीयर है.

अगर कंडिशन मॉडरेट या सिवीयर है, तो उन्हें सोते समय साँस लेने में मदद करने के लिए CPAP नाम की एक छोटी, पॉर्टबल मशीन दी जाती है, जो मास्क के द्वारा, एक जेंटल एर प्रेशर से अपर एर्वे को खोलता है. इससे एर्फ़्लो हमेशा बना रहता है और मरीज के खर्राटे रुक जाते हैं, चोक होना बंद हो जाता है, साँस लेने में तकलीफ खत्म हो जाती है और शरीर को भरपूर ऑक्सिजन मिलता है. इससे कम ऑक्सिजन से होने वाली परेशानियां भी खत्म हो जाती हैं.

ओएसए का दूसरा आसपेक्ट है वजन घटाना. जिन लोगों में माइल्ड स्लीप एपनिआ है, उनमें केवल वजन घटाने से सुधार आ जाता है पर जिन्हें मॉडरेट या सिवीयर एपनिआ है उनके लिए, थकान और कम एनर्जी के कारण, वजन घटाना मुश्किल होता है. इसलिए उन्हें CPAP मशीन की जरूरत होती है.

अपनी नींद की समस्या को अनदेखा न करें क्योंकि इसके पीछे हो सकते हैं कई गंभीर स्वास्थ्य सम्बंधी कारण. समय रहते लक्षणों को पहचाने और डॉक्टर की सलाह लें.

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