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Migraine In Winter In Hindi: माइग्रेन (Migraine) से पीड़ित बहुत से लोग मौसम बदलने और सर्दियों के महीनों के दौरान तापमान में गिरावट के कारण माइग्रेन अटैक और भी अधिक इंटेंसिटी के साथ महसूस कर सकते हैं.
ऐसा क्यों होता है? क्या माइग्रेन को ठीक करने का कोई तरीका है? क्या माइग्रेन को रोका जा सकता है?
फिट हिंदी ने इन सवालों के जवाब जानने के लिए डॉ. अरुण गर्ग, डायरेक्टर, इंस्टिट्यूट ऑफ न्यूरोसाइंसेंस, मेदांता, गुरुग्राम और डॉ. पी. न. रेनजेन, सीनियर कंसलटेंट, न्यूरोलॉजी, इंद्रप्रस्थ अपोलो हॉस्पिटल से बात की.
सर्दियों के मौसम में तापमान में गिरावट के कारण माइग्रेन होना बहुत आम है और वहीं धूप की कमी के कारण एटमॉस्फेरिक प्रेशर (atmospheric pressure) में बदलाव आ सकता है.
इसके अलावा, हमने यहां वे कारण दिए गए हैं, जो अधिक माइग्रेन को ट्रिगर कर सकते हैं:
स्नोस्ट्रॉम (snowstorms): जो एटमॉस्फेरिक प्रेशर (atmospheric pressure) में अचानक गिरावट लाते हैं
ड्राई हवा: जिससे डीहाईड्रेशन हो सकता है (ये एक सामान्य माइग्रेन ट्रिगर है)
घर के अंदर हीटिंग: जो हवा को और ड्राई कर देती है और डीहाईड्रेशन और माइग्रेन को ट्रिगर करती है
घर के अंदर और बाहर के तापमान में बहुत बड़ा अंतर होना
ठंडी हवाएं जो खिड़कियों और दरवाजों से अंदर आती हैं
यहां कुछ कारण बताए गए हैं जो सर्दियों के दौरान माइग्रेन ट्रिगर करने का कारण बनते हैं:
बैरोमीटर का दबाव बदलना: बैरोमीटर का दबाव, जिसे एटमॉस्फेरिक प्रेशर (atmospheric pressure) के रूप में भी जाना जाता है, माइग्रेन से पीड़ित लोगों के लिए एक संभावित ट्रिगर है. जैसे-जैसे मौसम बदलता है, इसमें उतार-चढ़ाव होता है और ये बदलाव माइग्रेन के अटैक्स को बढ़ा सकते हैं.
ठंड के मौसम में स्ट्रेस
डीहाईड्रेशन
ड्राई हवा
सर्दियों में होने वाले माइग्रेन से खुद को बचाने के लिए ये उपाय किए जा सकते हैं:
ठंडी हवा के संपर्क में आने से बचें. कार्बन मोनोऑक्साइड टॉक्सीसिटी से बचने के लिए घर को वेंटिलेटेड रखें और एक्सहॉस्ट फैन का उपयोग करें.
ड्राइनेस से बचने के लिए घर में ह्यूमिडिफ़ायर का उपयोग करें और घर के अंदर ह्यूमिडिटी 35 से 50% के बीच रखें.
रात में अच्छी नींद जरुर लें.
खाना खाना न छोड़ें और समय-समय पर हेल्दी नाश्ता करें.
अपने आप को अच्छी तरह से हाइड्रेट रखें क्योंकि डीहाइड्रेशन माइग्रेन का कारण बन सकता है. बहुत अधिक कैफीन, चाय, शराब या तंबाकू से बचें.
मछली और अंडे जैसे विटामिन डी से भरपूर खाद्य पदार्थों खाएं. विटामिन डी की कमी होने पर आप विटामिन डी की खुराक ले सकते हैं.
सूप में पाए जाने वाले एमएसजी (MSG) के सेवन से बचें क्योंकि यह माइग्रेन का सिरदर्द पैदा करता है.
30 मिनट तक मॉडरेट इंटेंसिटी वाले एक्सरसाइज करें जैसे पैदल चलना, साइकिल चलाना या इनडोर ऑनलाइन वर्कआउट. ये आपको फिट महसूस करने और सिरदर्द को दूर रखने में मदद करेगा.
शुरुआत में ही माइग्रेन होने से रोकना निश्चित रूप से बेहतर उपाय है, लेकिन अटैक होने पर आप इसे ठीक करने के लिए क्या कर सकते हैं, जानते हैं एक्सपर्ट्स से:
डॉक्टर से सलाह लें: डॉक्टर की सलाह के बिना माइग्रेन की दवा न लें.
कोल्ड पैक आजमाएं: माइग्रेन अटैक आने पर माथे पर कोल्ड पैक रखें. एक तौलिये में लपेटे हुए बर्फ के टुकड़े, जमी हुई सब्जियों का एक बैग या यहां तक कि एक ठंडा स्नान भी दर्द को कम कर सकता है. 15 मिनट तक सिर पर सेक रखें और फिर 15 मिनट के लिए ब्रेक लें.
हीटिंग पैड या हॉट कंप्रेस का उपयोग करें: माइग्रेन अटैक आने पर गर्दन या सिर के पीछे हीटिंग पैड रखें. अगर साइनस (sinus) सिरदर्द है, तो दर्द वाली जगह पर गर्म कपड़ा रखें. गर्म पानी से नहाना भी मददगार साबित हो सकता है.
रोशनी कम करें: तेज या टिमटिमाती रोशनी, यहां तक कि कंप्यूटर स्क्रीन भी, माइग्रेन के सिरदर्द का कारण बन सकती है. बाहर निकलते समय धूप का चश्मा पहनें. कई लोग कंप्यूटर में एंटी-ग्लेयर स्क्रीन भी जोड़ सकते हैं और अपने लाइट फिक्सचर्स में डेलाइट-स्पेक्ट्रम फ्लोरोसेंट बल्ब का इस्तेमाल भी कर सकते हैं.
हाइड्रेटेड रहें: खूब सारे तरल पदार्थ पियें. डीहाइड्रेशन से सिरदर्द हो सकता है या स्थिति बदतर हो सकती है.
कुछ कैफीन लें: कुछ चाय, कॉफी या कुछ ऐसा लें जिसमें थोड़ा कैफीन हो. इससे माइग्रेन के दर्द को कम करने में मदद मिल सकती है.
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