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Migraine Care Tips: माइग्रेन के बारे में वह सब कुछ, जो आपको जानना चाहिए

कुछ लोगों को मौसम-संबंधी माइग्रेन की शुरुआत से पहले चेतावनी के संकेतों का अनुभव हो सकता है.

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Migraine Care Tips: माइग्रेन के बारे में तो आपने सुना ही होगा, लेकिन क्या आप इसके कारणों के बारे में जानकारी रखते हैं? क्या आपको यह पता है कि किन-किन वजहों से यह परेशानी आपको हो सकती है? माइग्रेन से बचने के क्या उपाय कर सकते हैं? अगर परेशानी होती है, तो कैसे उसकी जांच कराएं और इलाज कैसे होगा? अगर नहीं, तो फिट हिंदी के इस आर्टिकल में एक्सपर्ट्स से जानें माइग्रेन से जुड़ी पूरी जानकारी.

Migraine Care Tips: माइग्रेन के बारे में वह सब कुछ, जो आपको जानना चाहिए

  1. 1. माइग्रेन: क्या ये मौसम के बदलने से होता है?

    "माइग्रेन कई कारणों से शुरू हो सकता है और मौसम का बदलना उसके ट्रिगर्स में से एक है. ऐसा माना जाता है कि बैरोमीटर के दबाव, तापमान, ह्यूमिडिटी और दूसरे मौसम संबंधी कारकों में परिवर्तन संभावित रूप से कुछ व्यक्तियों में माइग्रेन को ट्रिगर कर सकता है."
    डॉ. अरुण गर्ग, डायरेक्टर, इंस्टिट्यूट ऑफ न्यूरोसाइंसेंस, मेदांता, गुरुग्राम

    माइग्रेन कई कारणों से शुरू हो सकता है और मौसम का बदलना उसके ट्रिगर्स में से एक है. हालांकि माइग्रेन से पीड़ित हर व्यक्ति को मौसम से संबंधित ट्रिगर का अनुभव नहीं होता है. स्टडीज से पता चला है कि मौसम की स्थिति में बदलाव वास्तव में कुछ व्यक्तियों में माइग्रेन का कारण बन सकता है लेकिन अभी तक इसका सटीक कारण पूरी तरह से समझा नहीं गया है.

    मौसम संबंधी कारक:

    बैरोमीटर का दबाव परिवर्तन: गिरता हुआ बैरोमीटर का दबाव, जो अक्सर तूफान से पहले होता है, माइग्रेन से जुड़ा हुआ है. दबाव में तीव्र या अत्यधिक परिवर्तन दिमाग के सेंसरी नर्व्स को प्रभावित कर सकता है, जिससे माइग्रेन हो सकता है.

    तापमान में परिवर्तन: कुछ व्यक्तियों में माइग्रेन को ट्रिगर करने के लिए तेज या महत्वपूर्ण तापमान परिवर्तन की भी सूचना दी गई है. माइग्रेन से पीड़ित कुछ लोगों के लिए गर्म और ठंडी दोनों ही स्थितियां परेशानी वाली हो सकती हैं.

    माना जाता है कि बैरोमीटर के दबाव में गिरावट, साइनस और ब्लड वेसल्स में दबाव पैदा करते हैं, जिससे संभावित रूप से माइग्रेन हो सकता है.

    ह्यूडिटी और हाई ह्यूमिडिटी लेवल: हाई ह्यूमिडिटी, खास कर गर्मी जैसे दूसरे मौसम कारकों के साथ मिलकर, संभावित रूप से माइग्रेन को ट्रिगर कर सकता है.

    तेज धूप: तेज धूप, खासकर जब उच्च तापमान के साथ हो तो, कुछ व्यक्तियों में माइग्रेन ट्रिगर हो सकता है.

    मौसम से संबंधित एलर्जी: कुछ एलर्जी जो विशिष्ट (specific) मौसम के समय अधिक प्रचलित होती हैं, जैसे कि स्प्रिंग के मौसम में पोलन , संवेदनशील व्यक्तियों में माइग्रेन को ट्रिगर कर सकते हैं.

    "यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि माइग्रेन का अनुभव करने वाला हर व्यक्ति मौसम परिवर्तन से प्रभावित नहीं होगा और ट्रिगर व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में भिन्न हो सकते हैं. यह उन व्यक्तियों के लिए है, जो मौसम से संबंधित माइग्रेन का अनुभव करते हैं ताकि वे अपने लक्षणों को ट्रैक और मैनेज कर सकें."
    डॉ. पी. न. रेनजेन, सीनियर कंसलटेंट, न्यूरोलॉजी, इंद्रप्रस्थ अपोलो हॉस्पिटल्स
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  2. 2. मौसमी माइग्रेन कैसा महसूस होता है?

    "मौसम संबंधी माइग्रेन में आम तौर पर नार्मल माइग्रेन अटैक के समान ही कई लक्षण होते हैं. बस अंतर यह है कि यह मौसम की स्थिति में बदलाव के कारण पैदा होता है या बढ़ जाता है.
    डॉ. पी. न. रेनजेन, सीनियर कंसलटेंट, न्यूरोलॉजी, इंद्रप्रस्थ अपोलो हॉस्पिटल्स

    यहां मौसम संबंधी माइग्रेन के लक्षण दिए गए हैं:

    1. सिरदर्द दर्द: मौसम से संबंधित माइग्रेन में आमतौर पर सिर के एक या दोनों तरफ तेज, थ्रोबिंग पैन होता है. दर्द मध्यम से गंभीर हो सकता है और फिजिकल एक्टिविटी से बढ़ सकता है.

    2. रोशनी के प्रति संवेदनशीलता: मौसम से संबंधित माइग्रेन अक्सर प्रकाश के प्रति संवेदनशीलता का कारण बनता है, जिसे फोटोफोबिया के रूप में जाना जाता है. तेज धूप या यहां तक ​​कि घर के अंदर की रोशनी भी किसी अटैक के दौरान दर्द और परेशानी को बढ़ा सकती है.

    3. आवाज के प्रति संवेदनशीलता: मौसम से संबंधित माइग्रेन वाले कई व्यक्ति आवाज के प्रति संवेदनशीलता का अनुभव करते हैं, इस स्थिति को फोनोफोबिया के रूप में जाना जाता है. तेज आवाज माइग्रेन के लक्षणों को तेज कर सकती हैं.

    4. मतली और उल्टी: मौसम से संबंधित माइग्रेन आमतौर पर मतली, उल्टी या पेट खराब होने जैसे गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल लक्षणों का कारण बनता है. ये लक्षण किसी अटैक के दौरान परेशानी पैदा कर सकता है.

    5. ओरा (कुछ मामलों में): मौसम से संबंधित माइग्रेन सहित माइग्रेन से पीड़ित कुछ लोगों को सिरदर्द के लेवल से पहले या उसके दौरान ओरा (aura) का अनुभव हो सकता है. ओरा में अक्सर दृश्य गड़बड़ी शामिल होती है, जैसे चमकती रोशनी, टेढ़ी-मेढ़ी रेखाएं देखना या अस्थायी दृष्टि हानि का अनुभव करना.

    दूसरी परेशानियां जैसे झुनझुनी महसूस होना या बोलने में कठिनाई भी हो सकती है.

    "कुछ लोगों को मौसम-संबंधी माइग्रेन की शुरुआत से पहले चेतावनी के संकेतों का अनुभव हो सकता है, जिन्हें प्रोड्रोम के रूप में जाना जाता है, जिसमें मूड में बदलाव, थकान या भूख में बदलाव शामिल हो सकते हैं."
    डॉ. अरुण गर्ग, डायरेक्टर, इंस्टिट्यूट ऑफ न्यूरोसाइंसेंस, मेदांता, गुरुग्राम

    डॉ. अरुण गर्ग फिट हिंदी से कहते हैं, "जिन व्यक्तियों को अपने माइग्रेन के लिए मौसम के कारण होने का संदेह है, उनके लिए यह जरुरी है कि वे किसी भी पैटर्न या ट्रिगर की पहचान करने के लिए, मौसम के पैटर्न और लक्षणों दोनों पर नजर रखते हुए, माइग्रेन डायरी रखें. किसी स्वास्थ्य देखभाल पेशेवर के साथ उपचार के विकल्पों या निवारक उपायों पर चर्चा करते समय यह जानकारी सहायक हो सकती है".

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  3. 3. अब जानें, मौसम-संबंधी माइग्रेन से बचाव

    डॉ. पी. न. रेनजेन फिट हिंदी से कहते हैं, "मौसम से संबंधित माइग्रेन को पूरी तरह से रोकना संभव नहीं हो सकता है, लेकिन ऐसे कई स्टेप्स हैं जिन्हें आप इन माइग्रेन की इंटेंसिटी और फ्रीक्वेंसी को कम करने में मदद करने के लिए आजमा सकते हैं".

    यहां कुछ रोकथाम के उपाय दिए गए हैं, जो मददगार हो सकते हैं:

    मौसम के पूर्वानुमानों पर नजर रखें: आने मौसम परिवर्तनों के बारे में पहले से जानकारी रखें. अगर आप जानते हैं कि मौसम की कुछ स्थितियां आपके माइग्रेन को ट्रिगर करती हैं, तो आप पहले से प्लान बना सकते हैं और अपने लक्षणों को मैनेज करने के लिए उचित कदम उठा सकते हैं.

    नियमित दिनचर्या बनाए रखें: नींद, भोजन और एक्सरसाइज के लिए लगातार दैनिक दिनचर्या बनाए रखने से आपके शरीर की आंतरिक घड़ी को रेगुलेट करने में मदद मिल सकती है और माइग्रेन शुरू होने की आशंका कम हो सकती है.

    हाइड्रेटेड रहें: डीहाइड्रेशन संभावित रूप से माइग्रेन के लक्षणों को खराब कर सकता है. यह सुनिश्चित करने के लिए कि आप हाइड्रेटेड रहें, पूरे दिन खूब पानी पिएं, खासकर गर्म मौसम के दौरान या जब ह्यूमिडिटी का स्तर अधिक हो.

    तनाव को मैनेज करें: तनाव माइग्रेन के लिए एक सामान्य ट्रिगर है और यह मौसम से संबंधित ट्रिगर के साथ मिला हो सकता है. गहरी सांस लेने के व्यायाम, ध्यान, योग जैसी स्ट्रेस कम करने की तकनीकों को अपनाएं. अपने पसंदीदा शौक और गतिविधियों में शामिल होना तनाव के स्तर को मैनेज करने में मदद कर सकता है.

    "अगर आप जानते हैं कि कुछ मौसम की स्थितियां आपके माइग्रेन को ट्रिगर करती हैं, तो अपने एक्सपोजर को सीमित करने का प्रयास करें."
    डॉ. अरुण गर्ग, डायरेक्टर, इंस्टिट्यूट ऑफ न्यूरोसाइंसेंस, मेदांता, गुरुग्राम

    धूप का चश्मा पहनें: तेज धूप और चकाचौंध कुछ व्यक्तियों में माइग्रेन का कारण बन सकती है. धूप का चश्मा पहनें जो पराबैंगनी (यूवी) किरणों से उचित सुरक्षा प्रदान करता है और तेज धूप के संपर्क को कम करने में सहायक हो सकता है.

    एक आरामदायक वातावरण बनाए रखें: तापमान या ह्यूमिडिटी में परिवर्तन आपके माइग्रेन को ट्रिगर करता है, तो एक आरामदायक इनडोर वातावरण बनाए रखने का प्रयास करें. तापमान को कंट्रोल करने के लिए पंखे या एयर कंडीशनिंग का उपयोग करें और अगर जरुरी हो तो ह्यूमिडिटी के स्तर को कंट्रोल करने के लिए ह्यूमिडिफायर या डीह्यूमिडिफायर का उपयोग करें.

    प्रिवेंटिव मेडिसिन पर विचार करें: कुछ मामलों में, हेल्थ केयर प्रोवाइडर विशेष रूप से माइग्रेन के लिए निवारक यानी प्रिवेंटिव दवाएं लिख सकते हैं. माइग्रेन की इंटेंसिटी और गंभीरता को कम करने के लिए ये दवाएं नियमित रूप से ली जाती हैं. यह आपके लिए उपयुक्त विकल्प है या नहीं, इस पर चर्चा करने के लिए अपने डॉक्टर से संपर्क करें.

    अपने ट्रिगर्स को ट्रैक करें: मौसम संबंधी कारकों सहित, अपने माइग्रेन के पैटर्न और ट्रिगर्स की पहचान करने के लिए एक माइग्रेन डायरी रखें. यह आपको अपने स्पेसिफिक ट्रिगर्स को बेहतर ढंग से समझने में मदद कर सकता है और आपको उन ट्रिगर्स के जोखिम से बचने या कम करने के लिए सक्रिय कदम उठाने में भी मदद कर सकता है.

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  4. 4. अब सबसे जरूरी सवाल, माइग्रेन का इलाज कैसे करें?

    माइग्रेन का इलाज इसकी इंटेंसिटी, गंभीरता और इसका अनुभव करने वाले व्यक्ति की व्यक्तिगत आवश्यकताओं के आधार पर दूसरे रोगी से अलग हो सकता है.

    डॉ. पी. न. रेनजेन ने माइग्रेन के इलाज के लिए यहां कुछ सामान्य उपाय बताए हैं:

    ओवर-द-काउंटर पैन किलर दवाएं: इबुप्रोफेन, नेप्रोक्सन सोडियम या एस्पिरिन जैसी गैर-पर्ची दर्द निवारक दवाएं हल्के से मध्यम माइग्रेन के दर्द को कम करने में प्रभावी हो सकती हैं. माइग्रेन के हमले के शुरुआती लक्षणों पर लेने पर ये दवाएं सबसे अच्छा काम करती हैं.

    प्रिस्क्रिप्शन दवाएं: अधिक गंभीर या बार-बार होने वाले माइग्रेन के लिए, एक हेल्थ केयर प्रोवाइडर तेज माइग्रेन अटैक का इलाज करने या उनकी घटना को रोकने के लिए स्पेसिफिक दवाएं लिख सकता है. इनमें ट्रिप्टान (जैसे सुमाट्रिप्टन), एर्गोटामाइन डेरिवेटिव, या मतली-रोधी दवाएं शामिल हो सकती हैं.

    कॉम्बिनेशन ड्रग्स: कुछ प्रिस्क्रिप्शन दवाएं अपनी प्रभावशीलता बढ़ाने के लिए पैन किलर मेडिसिन को कैफीन या दूसरे पदार्थों के साथ मिलाती हैं. ये कुछ व्यक्तियों के लिए फायदेमंद हो सकते हैं, लेकिन अति प्रयोग और संभावित रिबाउंड सिरदर्द से बचने के लिए इनका उपयोग सावधानी से किया जाना चाहिए.

    रेस्क्यू मेडिसिन: ऐसे मामलों में जहां ओवर-द-काउंटर या प्रिस्क्रिप्शन दवाएं पर्याप्त राहत नहीं देती हैं, बचाव दवाएं जैसे मजबूत एनएसएआईडी (नॉनस्टेरॉइडल एंटी-इंफ्लेमेटरी ड्रग्स) या डायहाइड्रोएर्गोटामाइन (डीएचई) जैसी प्रिस्क्रिप्शन दवाओं का इस्तेमाल माइग्रेन के हमले को रोकने के लिए किया जा सकता है. इन्हें डॉक्टर की सलाह पर ही लें.

    प्रिवेंटिव मेडिसिन: जिन व्यक्तियों को बार-बार माइग्रेन का अनुभव होता है, उनके लिए निवारक (preventive) दवाएं निर्धारित की जा सकती हैं. माइग्रेन के हमलों की इंटेंसिटी और गंभीरता को कम करने के लिए ये दवाएं नियमित रूप से ली जाती हैं. इनमें बीटा-ब्लॉकर्स, एंटीडिप्रेसेंट, एंटीपीलेप्टिक दवाएं या कुछ रक्तचाप दवाएं शामिल हो सकती हैं.

    लाइफस्टाइल चेंज: लाइफस्टाइल में कुछ बदलाव करने से माइग्रेन को मैनेज करने में मदद मिल सकती है. इनमें ट्रिगर कारकों (जैसे स्पेसिफिक खाद्य पदार्थ, तनाव, नींद की कमी या मौसम में बदलाव) की पहचान करना और उनसे बचना, नियमित नींद बनाए रखना, विश्राम तकनीकों या स्ट्रेस मैनेजमेंट में शामिल होना, नियमित व्यायाम और अच्छी तरह से हाइड्रेटेड रहना शामिल हो सकता है.

    अल्टरनेटिव इलाज: कुछ व्यक्तियों को एक्यूपंक्चर, बायोफीडबैक, संज्ञानात्मक-व्यवहार थेरेपी (cognitive Behavioural Therapy), या हर्बल सप्लीमेंट जैसे वैकल्पिक उपचारों के माध्यम से माइग्रेन से राहत मिलती है. इन विकल्पों की उपयुक्तता (suitability) और सेफ्टी तय करने के लिए हेल्थ केयर प्रोवाइडर के साथ इन विकल्पों पर चर्चा करना बेहद जरूरी है.

    (हैलो दोस्तों! हमारे Telegram चैनल से जुड़े रहिए यहां)

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माइग्रेन: क्या ये मौसम के बदलने से होता है?

"माइग्रेन कई कारणों से शुरू हो सकता है और मौसम का बदलना उसके ट्रिगर्स में से एक है. ऐसा माना जाता है कि बैरोमीटर के दबाव, तापमान, ह्यूमिडिटी और दूसरे मौसम संबंधी कारकों में परिवर्तन संभावित रूप से कुछ व्यक्तियों में माइग्रेन को ट्रिगर कर सकता है."
डॉ. अरुण गर्ग, डायरेक्टर, इंस्टिट्यूट ऑफ न्यूरोसाइंसेंस, मेदांता, गुरुग्राम

माइग्रेन कई कारणों से शुरू हो सकता है और मौसम का बदलना उसके ट्रिगर्स में से एक है. हालांकि माइग्रेन से पीड़ित हर व्यक्ति को मौसम से संबंधित ट्रिगर का अनुभव नहीं होता है. स्टडीज से पता चला है कि मौसम की स्थिति में बदलाव वास्तव में कुछ व्यक्तियों में माइग्रेन का कारण बन सकता है लेकिन अभी तक इसका सटीक कारण पूरी तरह से समझा नहीं गया है.

मौसम संबंधी कारक:

बैरोमीटर का दबाव परिवर्तन: गिरता हुआ बैरोमीटर का दबाव, जो अक्सर तूफान से पहले होता है, माइग्रेन से जुड़ा हुआ है. दबाव में तीव्र या अत्यधिक परिवर्तन दिमाग के सेंसरी नर्व्स को प्रभावित कर सकता है, जिससे माइग्रेन हो सकता है.

तापमान में परिवर्तन: कुछ व्यक्तियों में माइग्रेन को ट्रिगर करने के लिए तेज या महत्वपूर्ण तापमान परिवर्तन की भी सूचना दी गई है. माइग्रेन से पीड़ित कुछ लोगों के लिए गर्म और ठंडी दोनों ही स्थितियां परेशानी वाली हो सकती हैं.

माना जाता है कि बैरोमीटर के दबाव में गिरावट, साइनस और ब्लड वेसल्स में दबाव पैदा करते हैं, जिससे संभावित रूप से माइग्रेन हो सकता है.

ह्यूडिटी और हाई ह्यूमिडिटी लेवल: हाई ह्यूमिडिटी, खास कर गर्मी जैसे दूसरे मौसम कारकों के साथ मिलकर, संभावित रूप से माइग्रेन को ट्रिगर कर सकता है.

तेज धूप: तेज धूप, खासकर जब उच्च तापमान के साथ हो तो, कुछ व्यक्तियों में माइग्रेन ट्रिगर हो सकता है.

मौसम से संबंधित एलर्जी: कुछ एलर्जी जो विशिष्ट (specific) मौसम के समय अधिक प्रचलित होती हैं, जैसे कि स्प्रिंग के मौसम में पोलन , संवेदनशील व्यक्तियों में माइग्रेन को ट्रिगर कर सकते हैं.

"यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि माइग्रेन का अनुभव करने वाला हर व्यक्ति मौसम परिवर्तन से प्रभावित नहीं होगा और ट्रिगर व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में भिन्न हो सकते हैं. यह उन व्यक्तियों के लिए है, जो मौसम से संबंधित माइग्रेन का अनुभव करते हैं ताकि वे अपने लक्षणों को ट्रैक और मैनेज कर सकें."
डॉ. पी. न. रेनजेन, सीनियर कंसलटेंट, न्यूरोलॉजी, इंद्रप्रस्थ अपोलो हॉस्पिटल्स
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मौसमी माइग्रेन कैसा महसूस होता है?

"मौसम संबंधी माइग्रेन में आम तौर पर नार्मल माइग्रेन अटैक के समान ही कई लक्षण होते हैं. बस अंतर यह है कि यह मौसम की स्थिति में बदलाव के कारण पैदा होता है या बढ़ जाता है.
डॉ. पी. न. रेनजेन, सीनियर कंसलटेंट, न्यूरोलॉजी, इंद्रप्रस्थ अपोलो हॉस्पिटल्स

यहां मौसम संबंधी माइग्रेन के लक्षण दिए गए हैं:

1. सिरदर्द दर्द: मौसम से संबंधित माइग्रेन में आमतौर पर सिर के एक या दोनों तरफ तेज, थ्रोबिंग पैन होता है. दर्द मध्यम से गंभीर हो सकता है और फिजिकल एक्टिविटी से बढ़ सकता है.

2. रोशनी के प्रति संवेदनशीलता: मौसम से संबंधित माइग्रेन अक्सर प्रकाश के प्रति संवेदनशीलता का कारण बनता है, जिसे फोटोफोबिया के रूप में जाना जाता है. तेज धूप या यहां तक ​​कि घर के अंदर की रोशनी भी किसी अटैक के दौरान दर्द और परेशानी को बढ़ा सकती है.

3. आवाज के प्रति संवेदनशीलता: मौसम से संबंधित माइग्रेन वाले कई व्यक्ति आवाज के प्रति संवेदनशीलता का अनुभव करते हैं, इस स्थिति को फोनोफोबिया के रूप में जाना जाता है. तेज आवाज माइग्रेन के लक्षणों को तेज कर सकती हैं.

4. मतली और उल्टी: मौसम से संबंधित माइग्रेन आमतौर पर मतली, उल्टी या पेट खराब होने जैसे गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल लक्षणों का कारण बनता है. ये लक्षण किसी अटैक के दौरान परेशानी पैदा कर सकता है.

5. ओरा (कुछ मामलों में): मौसम से संबंधित माइग्रेन सहित माइग्रेन से पीड़ित कुछ लोगों को सिरदर्द के लेवल से पहले या उसके दौरान ओरा (aura) का अनुभव हो सकता है. ओरा में अक्सर दृश्य गड़बड़ी शामिल होती है, जैसे चमकती रोशनी, टेढ़ी-मेढ़ी रेखाएं देखना या अस्थायी दृष्टि हानि का अनुभव करना.

दूसरी परेशानियां जैसे झुनझुनी महसूस होना या बोलने में कठिनाई भी हो सकती है.

"कुछ लोगों को मौसम-संबंधी माइग्रेन की शुरुआत से पहले चेतावनी के संकेतों का अनुभव हो सकता है, जिन्हें प्रोड्रोम के रूप में जाना जाता है, जिसमें मूड में बदलाव, थकान या भूख में बदलाव शामिल हो सकते हैं."
डॉ. अरुण गर्ग, डायरेक्टर, इंस्टिट्यूट ऑफ न्यूरोसाइंसेंस, मेदांता, गुरुग्राम

डॉ. अरुण गर्ग फिट हिंदी से कहते हैं, "जिन व्यक्तियों को अपने माइग्रेन के लिए मौसम के कारण होने का संदेह है, उनके लिए यह जरुरी है कि वे किसी भी पैटर्न या ट्रिगर की पहचान करने के लिए, मौसम के पैटर्न और लक्षणों दोनों पर नजर रखते हुए, माइग्रेन डायरी रखें. किसी स्वास्थ्य देखभाल पेशेवर के साथ उपचार के विकल्पों या निवारक उपायों पर चर्चा करते समय यह जानकारी सहायक हो सकती है".

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अब जानें, मौसम-संबंधी माइग्रेन से बचाव

डॉ. पी. न. रेनजेन फिट हिंदी से कहते हैं, "मौसम से संबंधित माइग्रेन को पूरी तरह से रोकना संभव नहीं हो सकता है, लेकिन ऐसे कई स्टेप्स हैं जिन्हें आप इन माइग्रेन की इंटेंसिटी और फ्रीक्वेंसी को कम करने में मदद करने के लिए आजमा सकते हैं".

यहां कुछ रोकथाम के उपाय दिए गए हैं, जो मददगार हो सकते हैं:

मौसम के पूर्वानुमानों पर नजर रखें: आने मौसम परिवर्तनों के बारे में पहले से जानकारी रखें. अगर आप जानते हैं कि मौसम की कुछ स्थितियां आपके माइग्रेन को ट्रिगर करती हैं, तो आप पहले से प्लान बना सकते हैं और अपने लक्षणों को मैनेज करने के लिए उचित कदम उठा सकते हैं.

नियमित दिनचर्या बनाए रखें: नींद, भोजन और एक्सरसाइज के लिए लगातार दैनिक दिनचर्या बनाए रखने से आपके शरीर की आंतरिक घड़ी को रेगुलेट करने में मदद मिल सकती है और माइग्रेन शुरू होने की आशंका कम हो सकती है.

हाइड्रेटेड रहें: डीहाइड्रेशन संभावित रूप से माइग्रेन के लक्षणों को खराब कर सकता है. यह सुनिश्चित करने के लिए कि आप हाइड्रेटेड रहें, पूरे दिन खूब पानी पिएं, खासकर गर्म मौसम के दौरान या जब ह्यूमिडिटी का स्तर अधिक हो.

तनाव को मैनेज करें: तनाव माइग्रेन के लिए एक सामान्य ट्रिगर है और यह मौसम से संबंधित ट्रिगर के साथ मिला हो सकता है. गहरी सांस लेने के व्यायाम, ध्यान, योग जैसी स्ट्रेस कम करने की तकनीकों को अपनाएं. अपने पसंदीदा शौक और गतिविधियों में शामिल होना तनाव के स्तर को मैनेज करने में मदद कर सकता है.

"अगर आप जानते हैं कि कुछ मौसम की स्थितियां आपके माइग्रेन को ट्रिगर करती हैं, तो अपने एक्सपोजर को सीमित करने का प्रयास करें."
डॉ. अरुण गर्ग, डायरेक्टर, इंस्टिट्यूट ऑफ न्यूरोसाइंसेंस, मेदांता, गुरुग्राम

धूप का चश्मा पहनें: तेज धूप और चकाचौंध कुछ व्यक्तियों में माइग्रेन का कारण बन सकती है. धूप का चश्मा पहनें जो पराबैंगनी (यूवी) किरणों से उचित सुरक्षा प्रदान करता है और तेज धूप के संपर्क को कम करने में सहायक हो सकता है.

एक आरामदायक वातावरण बनाए रखें: तापमान या ह्यूमिडिटी में परिवर्तन आपके माइग्रेन को ट्रिगर करता है, तो एक आरामदायक इनडोर वातावरण बनाए रखने का प्रयास करें. तापमान को कंट्रोल करने के लिए पंखे या एयर कंडीशनिंग का उपयोग करें और अगर जरुरी हो तो ह्यूमिडिटी के स्तर को कंट्रोल करने के लिए ह्यूमिडिफायर या डीह्यूमिडिफायर का उपयोग करें.

प्रिवेंटिव मेडिसिन पर विचार करें: कुछ मामलों में, हेल्थ केयर प्रोवाइडर विशेष रूप से माइग्रेन के लिए निवारक यानी प्रिवेंटिव दवाएं लिख सकते हैं. माइग्रेन की इंटेंसिटी और गंभीरता को कम करने के लिए ये दवाएं नियमित रूप से ली जाती हैं. यह आपके लिए उपयुक्त विकल्प है या नहीं, इस पर चर्चा करने के लिए अपने डॉक्टर से संपर्क करें.

अपने ट्रिगर्स को ट्रैक करें: मौसम संबंधी कारकों सहित, अपने माइग्रेन के पैटर्न और ट्रिगर्स की पहचान करने के लिए एक माइग्रेन डायरी रखें. यह आपको अपने स्पेसिफिक ट्रिगर्स को बेहतर ढंग से समझने में मदद कर सकता है और आपको उन ट्रिगर्स के जोखिम से बचने या कम करने के लिए सक्रिय कदम उठाने में भी मदद कर सकता है.

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अब सबसे जरूरी सवाल, माइग्रेन का इलाज कैसे करें?

माइग्रेन का इलाज इसकी इंटेंसिटी, गंभीरता और इसका अनुभव करने वाले व्यक्ति की व्यक्तिगत आवश्यकताओं के आधार पर दूसरे रोगी से अलग हो सकता है.

डॉ. पी. न. रेनजेन ने माइग्रेन के इलाज के लिए यहां कुछ सामान्य उपाय बताए हैं:

ओवर-द-काउंटर पैन किलर दवाएं: इबुप्रोफेन, नेप्रोक्सन सोडियम या एस्पिरिन जैसी गैर-पर्ची दर्द निवारक दवाएं हल्के से मध्यम माइग्रेन के दर्द को कम करने में प्रभावी हो सकती हैं. माइग्रेन के हमले के शुरुआती लक्षणों पर लेने पर ये दवाएं सबसे अच्छा काम करती हैं.

प्रिस्क्रिप्शन दवाएं: अधिक गंभीर या बार-बार होने वाले माइग्रेन के लिए, एक हेल्थ केयर प्रोवाइडर तेज माइग्रेन अटैक का इलाज करने या उनकी घटना को रोकने के लिए स्पेसिफिक दवाएं लिख सकता है. इनमें ट्रिप्टान (जैसे सुमाट्रिप्टन), एर्गोटामाइन डेरिवेटिव, या मतली-रोधी दवाएं शामिल हो सकती हैं.

कॉम्बिनेशन ड्रग्स: कुछ प्रिस्क्रिप्शन दवाएं अपनी प्रभावशीलता बढ़ाने के लिए पैन किलर मेडिसिन को कैफीन या दूसरे पदार्थों के साथ मिलाती हैं. ये कुछ व्यक्तियों के लिए फायदेमंद हो सकते हैं, लेकिन अति प्रयोग और संभावित रिबाउंड सिरदर्द से बचने के लिए इनका उपयोग सावधानी से किया जाना चाहिए.

रेस्क्यू मेडिसिन: ऐसे मामलों में जहां ओवर-द-काउंटर या प्रिस्क्रिप्शन दवाएं पर्याप्त राहत नहीं देती हैं, बचाव दवाएं जैसे मजबूत एनएसएआईडी (नॉनस्टेरॉइडल एंटी-इंफ्लेमेटरी ड्रग्स) या डायहाइड्रोएर्गोटामाइन (डीएचई) जैसी प्रिस्क्रिप्शन दवाओं का इस्तेमाल माइग्रेन के हमले को रोकने के लिए किया जा सकता है. इन्हें डॉक्टर की सलाह पर ही लें.

प्रिवेंटिव मेडिसिन: जिन व्यक्तियों को बार-बार माइग्रेन का अनुभव होता है, उनके लिए निवारक (preventive) दवाएं निर्धारित की जा सकती हैं. माइग्रेन के हमलों की इंटेंसिटी और गंभीरता को कम करने के लिए ये दवाएं नियमित रूप से ली जाती हैं. इनमें बीटा-ब्लॉकर्स, एंटीडिप्रेसेंट, एंटीपीलेप्टिक दवाएं या कुछ रक्तचाप दवाएं शामिल हो सकती हैं.

लाइफस्टाइल चेंज: लाइफस्टाइल में कुछ बदलाव करने से माइग्रेन को मैनेज करने में मदद मिल सकती है. इनमें ट्रिगर कारकों (जैसे स्पेसिफिक खाद्य पदार्थ, तनाव, नींद की कमी या मौसम में बदलाव) की पहचान करना और उनसे बचना, नियमित नींद बनाए रखना, विश्राम तकनीकों या स्ट्रेस मैनेजमेंट में शामिल होना, नियमित व्यायाम और अच्छी तरह से हाइड्रेटेड रहना शामिल हो सकता है.

अल्टरनेटिव इलाज: कुछ व्यक्तियों को एक्यूपंक्चर, बायोफीडबैक, संज्ञानात्मक-व्यवहार थेरेपी (cognitive Behavioural Therapy), या हर्बल सप्लीमेंट जैसे वैकल्पिक उपचारों के माध्यम से माइग्रेन से राहत मिलती है. इन विकल्पों की उपयुक्तता (suitability) और सेफ्टी तय करने के लिए हेल्थ केयर प्रोवाइडर के साथ इन विकल्पों पर चर्चा करना बेहद जरूरी है.

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