Home Fit "हमारी बेटी उन 5 बच्चों में जीवित है"- सबसे कम उम्र की अंग दाता रोली के माता-पिता
"हमारी बेटी उन 5 बच्चों में जीवित है"- सबसे कम उम्र की अंग दाता रोली के माता-पिता
6-वर्षीय रोली की अप्रैल 2022 में मृत्यु हो गई. हालांकि, उसने 5 गंभीर रूप से बीमार बच्चों को जीवन का एक और मौका दिया.
अनुष्का राजेश
फिट
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रोली प्रजापति ने 5 बच्चों को जीवन दान दिया
(फोटो: फिट हिंदी)
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Organ Donation: 27 अप्रैल 2022 को नोएडा में छह साल की रोली प्रजापति को उसके घर में गोली मार दी गई थी. उसे अस्पताल ले जाया गया, लेकिन बचाया नहीं जा सका. उसे कभी होश नहीं आया. इलाज करने वाले डॉक्टरों की सलाह के बाद उसके माता-पिता ने उसके अंग दान करने का निर्णय लिया.
फिट उस छोटी सी बच्ची 'रोली' के बारे में अधिक जानने के लिए उसके परिवार से मिलने गई, जिसने कम से कम पांच गंभीर रूप से बीमार बच्चों को जीवन दान दिया.
"उन बच्चों के माध्यम से जिनकी उसने जान बचाई, हमारी रोली जीवित है. यही हमारे लिए एकमात्र सांत्वना है," 6 वर्षीय रोली के पिता हर नारायण प्रजापति कहते हैं, जो पिछले साल दुखद रूप से अपनी जान गंवाने के बाद एम्स दिल्ली की सबसे कम उम्र की अंग दाता बन गई थी.
(फोटो: क्विंट )
हर नारायण और उनका परिवार नोएडा के अंदरूनी इलाकों में एक मामूली, आंशिक रूप से निर्मित घर में रहते हैं. 27 अप्रैल 2022 को हुई घटना के एक साल से अधिक समय बाद, फिट ने रोली के बारे में और उसके अंग दान करने के उनके निर्णय के बारे में अधिक जानने के लिए उसके परिवार से मुलाकात की.
(फोटो: अनुष्का राजेश, फिट हिंदी)
"वह उस रात इस खाट पर सो रही थी, और हम यहीं रात का खाना बना रहे थे जब हमने उसकी चीख सुनी. पहले तो हमें समझ नहीं आया कि क्या हुआ, और फिर हमने उसके कान के पास बंदूक की गोली देखी." हर नारायण का कहना है कि वे रोली को अस्पताल ले गए, लेकिन इससे पहले कि वे उसका ऑपरेशन कर पाते, उसकी मौत हो गई.
(फोटो: गरिमा/फिट हिंदी)
रोली की मां, पूनम देवी रोते हुए कहती हैं, "एक माता-पिता के लिए अपने बच्चे को खोना बहुत मुश्किल होता है. वह मेरी बच्ची थी. वह बहुत सुंदर थी और अपनी उम्र के हिसाब से समझदार थी."
(फोटो: अनुष्का राजेश, फिट हिंदी)
रोली के चार भाई-बहन हैं. पूनम कहती हैं, "हम घर में उसकी तस्वीरें नहीं रखते या अपने आसपास उसके बारे में बात नहीं करते. उन्होंने अपनी छोटी बहन को गोली लगते देखा. इससे वे सदमे में हैं."
(फोटो: अनुष्का राजेश, फिट हिंदी)
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रोली की बड़ी बहन खुशबू (14) का कहना है कि यह उनके लिए बहुत कठिन रहा है. "मैं विशेष रूप से अपनी छोटी बहन रीति के बारे में चिंतित हूं. वह और रोली सिर्फ एक साल अलग थे, और वे बहुत करीब थे. अगर हम उसके बारे में बात करते हैं तो वह खुद बीमार हो जाती है."
(फोटो: अनुष्का राजेश, फिट हिंदी)
पूनम कहती हैं, "रोली को पढ़ाई करना बहुत पसंद था. असल में, वह खुद हमें स्कूल में दाखिला दिलाने के लिए खींचकर ले गई थी." उसके शिक्षकों का कहना है कि रोली एक मेधावी छात्रा थी और वह अपनी उम्र के किसी भी बच्चे की तरह शरारती भी थी.
(फोटो: अनुष्का राजेश, फिट हिंदी)
"हम अंग दान के बारे में ज्यादा नहीं जानते थे. एम्स के डॉक्टरों ने हमें इस पर विचार करने के लिए कहा क्योंकि रोली की दिमागी हालत खराब हो गई थी. हमें इस बारे में सोचने में पूरी रात लग गई. हमें पता था कि हमारी बेटी वापस नहीं आएगी. ऐसा करना हमें सही लगा,'' हर नारायण कहते हैं. उन्होंने आगे कहा कि इस बारे में उन्हें कभी भी कोई पछतावा नहीं हुआ.
(फोटो: अनुष्का राजेश, फिट हिंदी)
परिवार अभी भी उसकी मौत के मामले को सुलझाने के लिए संघर्ष कर रहा है.'' हमने पुलिस में शिकायत दर्ज करने की कोशिश की, लेकिन पुलिस ने यह कहकर हमें अनसुना कर दिया कि हमने अपनी बेटी को मार डाला. मैं एक दर्जी हूं और मेरे पास दूसरे बच्चे भी हैं. हर नारायण कहते हैं, ''मैं अदालती मामले लड़ने में सक्षम नहीं हूं.''
(फोटो: अनुष्का राजेश, फिट हिंदी)
अब वे केवल न्याय की प्रार्थना करते हैं, उसके लिए लड़ते नहीं. हरनारायण कहते हैं, ''हम बस यही चाहते हैं कि जो हमारे साथ हुआ, वह किसी और के साथ न हो.''