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World Organ Donation Day 2023: हर साल 13 अगस्त को दुनिया भर में वर्ल्ड ऑर्गन डोनेशन डे मनाया जाता है. यह दिन अंगदान के बारे में जागरूकता फैलाने और उससे जुड़े मिथकों की सच्चाई बताने के लिए भी मनाया जाता है. ऑर्गन डोनेशन एक ऐसा नेक काम है, जिससे मरने के बाद हम किसी को जीवनदान दे सकते हैं.
फिट हिंदी ने ऑर्गन डोनेशन से जुड़े जरुरी और अक्सर पूछे जाने वाले सवालों के जवाब जानें, नई दिल्ली, फोर्टिस एस्कॉर्ट्स किडनी एंड यूरोलॉजी इंस्टीट्यूट के प्रिंसीपल डायरेक्टर- डॉ. अजित सिंह नरूला से.
अंगदान दो प्रकार के होते हैं. लिविंग डोनर्स (जीवित दाता) जिसमें कोई भी व्यक्ति अपने जीवनकाल में गुर्दे, पैनक्रियाज के भाग और जिगर के किसी हिस्से का दान कर सकता/सकती है और डिसीज्ड डोनर्स (मृत दाता) जिसमें किसी व्यक्ति की मृत्यु (ब्रेन-स्टेम) के बाद उनके अंगों और टिश्युओं का दान किया जाता है. कुछ टिश्युओं जैसे कि त्वचा, हड्डी, कनेक्टिव टिश्यू जैसे टेंडन, कॉर्निया, हृदय वाल्व का दान कार्डियक डेथ यानी हृदय गति रुकने से हुई मृत्यु के बाद किया जाता है.
अंगदान वास्तव में, किसी ऐसे व्यक्ति को दिए गए हृदय, फेफड़े, गुर्दे, जिगर, पेंक्रिएटिक और आंतों जैसे अंगों के उपहार को कहते हैं, जो उस अंग विशेष के अंतिम चरण के रोगों से जूझ रहा है और जिसे किसी ट्रांसप्लांट की आवश्यकता है.
शरीर के टिशूज को भी उसी प्रकार दूसरों को दान दिया जा सकता है जैसे हड्डी, त्वचा, आंखों के कॉर्निया, हृदय वाल्व, ब्लड वेसल्स, नर्व्स और कनेक्टिव टिशूज को किया जाता है.
कोई भी व्यक्ति, चाहे उसकी उम्र, नसल या लिंग कुछ भी क्यों न हो, अंग और टिश्यू दाता बन सकता है.
जीवित दाता की उम्र 18 वर्ष से अधिक होनी चाहिए और अधिकतम उम्र का निर्धारण दाता की क्रोनोलॉजिकल उम्र की बजाय उसकी शारीरिक स्थिति से किया जाता है. दुनिया भर में कितने ही ऐसे लोगों द्वारा दान किए गए अंगों और टिशूज को सफलतापूर्वक ट्रांसप्लांट किया गया है, जिनकी उम्र 70 और 80 वर्ष को पार कर चुकी थी. जहां तक टिश्युओं और आंखों का सवाल है, उम्र का वास्तव में, उससे कोई सरोकार नहीं है.
भारत में अंगदान/ट्रांसप्लांट संबंधी सभी गतिविधियां ''मानव अंग और टिश्यू ट्रांसप्लांट अधिनियम (TOHTA)1994’’ और इसमें समय-समय पर किए गए संशोधनों से ऑपरेट होते हैं. राष्ट्रीय और प्रादेशिक स्तर पर सभी प्रकार के ट्रांसप्लांट संबंधी गतिविधियों का संचालन ''राष्ट्रीय अंग प्रत्यारोपण एवं ऊतक संगठन’’ (NOTTO) और क्षेत्रीय/राज्य अंग प्रत्यारोपण एवं ऊतक संगठन (ROTTO/SOTTO) द्वारा रेगुलेट होता है.
यदि आप अंगदान करने के इच्छुक हैं, तो अधिकृत (authorised) अंग और टिश्यू डोनेशन फॉर्म (मानव अंग प्रत्यारोपण अधिनियम के प्रपत्र-7) भरकर अपनी इस इच्छा को दर्ज करवा सकते हैं. आप NOTTO की वेबसाइट से फार्म डाउनलोड कर इसे ऑफलाइन भरें और अपने हस्ताक्षर कर इस पते पर भेजें - NOTTO (नेशनल ऑर्गेन एंड टिश्यू ट्रांसप्लांट ऑर्गेनाइज़ेशन, चौथी मंजिल, एनआईओपी भवन, सफदरजंग अस्पताल परिसर, नई दिल्ली110029).
आपका अंग दान संबंधी प्रपत्र मिलते ही आपको एक डोनर कार्ड जारी किया जाएगा.
हां, अपने परिजनों को अपनी इस इच्छा के बारे में बताना जरुरी होता है क्योंकि आपके गुजर जाने के बाद उन्हें ही आपके अंगों को दान करने की अंतिम सहमति प्रदान करनी होती है.
भले ही कोई व्यक्ति अंगदाता (ऑर्गन डोनर) बनने की सहमति देता है, उसके मृत शरीर पर कानूनी हक रखने वाले व्यक्ति, या नजदीकी रिश्तेदार की मंजूरी भी जरूरी होती है. यदि मृत दाता की उम्र 18 वर्ष से कम होती है, तब किसी एक पैरेंट या पैरेंट्स द्वारा अधिकृत किसी नजदीकी रिश्तेदार की मंजूरी की आवश्यकता होती है. सहमति पत्र पर हस्ताक्षर करने वाला परिवार इस बात के लिए सहमत होता है कि उन्हें अपने मृत प्रिय जन के शरीर में से अंगों को निकालने जाने पर कोई आपत्ति नहीं है. यह एक कानूनी दस्तावेज होता है. इसे अस्पताल में रखा जाता है. यदि उन्हें कोई एतराज होता या वे अंग/टिश्यू दान से इंकार करते हैं, तो ऐसे में अंग दान नहीं किया जाता.
मृत अंगदाता को दान की प्रक्रिया होने तक आईसीयू में मेडिकली मेंटेन किया जाना जरूरी है. संभावित अंगदाता के परिवार से किसी तरह का अतिरिक्त शुल्क नहीं लिया जाता है. जिस वक्त कोई परिवार अंगों और टिश्युओं का दान करने के लिए राजी होता है, उसके बाद सभी प्रकार के खर्च को इलाज कर रहा हॉस्पिटल उठाता है और दाता परिवार से आगे कोई और शुल्क नहीं लिया जाता.
मृतक के शरीर के साथ भी किसी प्रकार की ऐसी छेड़छाड़ नहीं की जाती कि वह देखने में अशोभनीय/बुरा लगे. अस्पतालों की बेहद कुशल सर्जिकल ट्रांसप्लांट टीम मृत दाता के शरीर से अंगों और टिश्युओं को इस प्रकार से निकालती है कि उन्हें दूसरे मरीजों में ट्रांसप्लांट किया जा सके. इसके बाद, सर्जन शरीर के उन भागों पर कुशलतापूर्वक टांकों से सिलाई करते हैं, जिनमें चीरा लगाया गया होता है या जिन्हें काटा गया होता है, ताकि किसी प्रकार की विकृति न रहे.
यह जरूरी नहीं है कि किसी प्रकार की मेडिकल कंडीशन से ग्रस्त व्यक्ति अंग या टिश्यू दाता नहीं बन सकता है. आपके कुछ या सभी अंग और टिश्यू ट्रांसप्लांट के लिए उपयुक्त हैं या नहीं, यह फैसला हेल्थ केयर प्रोफेशनल आपकी मेडिकल हिस्ट्री पर विचार करने के बाद करता है.
सभी मृत अंग दाताओं और अंगों के आबंटन के पूरे ब्योरे का रखरखाव NOTTO और उसकी राज्य इकाइयों ROTTO और SOTTO द्वारा किया जाता है. दान किए गए अंगों को उन मरीजों में ट्रांसप्लांट किया जाता है, जिन्हें उनकी तुरंत आवश्यकता होती है. मेडिकल फिटनेस, ट्रांसप्लांट की अर्जन्सी, प्रतीक्षा सूची में प्रतीक्षा की अवधि और भौगोलिक स्थिति के आधार पर इनका मिलान किया जाता है. दाता परिवार और अंग प्राप्त करने वाले व्यक्ति के बीच पूरी गोपनीयता रखी जाती है.
अंग ट्रांसप्लांट के उद्देश से, मानव अंग ट्रांसप्लांट अधिनियम और उसके संशोधनों के तहत, ब्रेन स्टेम डेथ को किसी व्यक्ति की कानूनी तौर पर मृत्यु माना जाता है और इस स्थिति में अंगदान किया जा सकता है. सिर की चोटों, ब्रेन ट्यूमर्स, स्ट्रोक्स या दिमाग को होने वाले ब्लड फ्लो में किसी प्रकार की रुकावट के चलते ब्रेन को होने वाले नुकसान की वजह से ब्रेन को अपरिवर्तनीय (immutable) क्षति पहुंचती है. ब्रेन स्टेम डेथ होने के कुछ समय बाद तक भी दिल की धड़कन जारी रहती है, लेकिन इसका मतलब यह नहीं होता कि ऐसा व्यक्ति जीवित है या उसके दोबारा जिंदा होने की कोई संभावना है. ब्रेन स्टेम डेथ असल में, ऐसी अपरिवर्तनीय स्थिति होती है, जिसमें व्यक्ति को ब्रेन डेड घोषित कर दिया जाता है.
किसी व्यक्ति के मामले में ब्रेन स्टेम डेथ की घोषणा करने से पहले काफी कड़े मेडिकल स्टेण्डर्ड्स का पालन किया जाता है. इसके लिए बाकायदा कुछ मानक निर्धारित किए गए हैं जिनके लिए ब्रेन की सभी कार्यप्रणालियों के अपरिवर्तनीय (immutable) ढंग से बंद होने की पुष्टि करना जरूरी है. ये टेस्ट मेडिकल विशेषज्ञों की एक टीम द्वारा दो बार, कम से कम 6 घंटे के अंतराल पर किए जाते हैं.
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